प्रदूषण जनित बीमारियाँ व रोकथाम के उपाय बताइये ।
प्रदूषण जनित बीमारियाँ व रोकथाम के उपाय बताइये ।
उत्तर–प्रदूषण जनित बीमारियाँ व रोकथाम के उपाय-अलगअलग प्रदूषण से अलग-अलग रोग उत्पन्न होते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित प्रकार हैं–
वायु प्रदूषण के कारण होने वाले विभिन्न रोग–निम्न हैं—
(i) फेफड़ों का कैन्सर– लंग कैन्सर वायु प्रदूषण से होने वाला एक प्रमुख रोग है। यह एक या दोनों फेफड़ों में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का परिणाम है जो कि ट्यूमर में परिवर्तित हो जाती है। एक बार होने के पश्चात् इस पर नियंत्रण रखना काफी कठिन होता है ।
(ii) COPD— क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसआर्डर (COPD) वायु प्रदूषण से होने वाले प्रमुख श्वसन रोग है। इस रोग में व्यक्ति के फेफड़ों में लगातार रुकावट पैदा होती है, जो कि फेफड़ों को कमजोर बनाती है जिससे फेफड़ों सम्बन्धी अन्य रोगों, जैसे—क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस (Chronic bronchitis) वातस्फीति (Emphysema) और कुछ अन्य प्रकार के अस्थमा उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है।
(iii) अस्थमा–अस्थमा वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाला प्रमुख रोग है। यह मुख्यत: कार, फैक्ट्रियाँ, पॉवर प्लाण्ट आदि से निकलने वाले धुएँ से होता है। इसमें सल्फर डाइआक्साइड (SO2) ठोस कण, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि हानिकारक तत्व होते हैं जो अस्थमा उत्पन्न करते हैं। धूम्रपान एवं धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के पास बैठने पर भी अस्थमा हो सकता है।
ध्वनि प्रदूषण से होने वाले रोग – शोर मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाले प्रमुख रोग निम्न हैं—
( 1 ) मानसिक रोग-शोर प्रदूषण अनेक मानसिक रोगों का कारण भी है, क्योंकि इससे हमारे तन्त्रिका तन्त्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शोर से हाइपरटेंशन हो सकता है, जिससे मस्तिष्क रोग, अनिद्रा, कुण्ठा आदि हो सकते हैं। इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि भी देखा जाता है। उदाहरण मुम्बई के सांताक्रूज उपनगर के निवासियों में ऊँचा सुनना, याद्दाश्त में कमी, चिड़चिड़ापन आदि लक्षण देखे जा सकते हैं।
( 2 ) गर्भस्थ शिशुओं पर प्रभाव – ध्वनि प्रदूषण गर्भस्थ शिशुओं और गर्भवती स्त्रियों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे गर्भस्थ शारीरिक रूप से विकृत या मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकते हैं और यहाँ तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है ।
( 3 ) बुढ़ापा—ऑस्ट्रिया के ध्वनि वैज्ञानिक डॉ. ग्रिफिथ ने यह स्पष्ट किया है कि अत्यधिक शोर में रहने वाले लोग जल्दी बूढ़े हो जाते हैं। उनके चेहरे पर जल्दी झुर्रियाँ उभर आती हैं और वे जल्दी थकान अनुभव करते हैं।
( 4 ) शारीरिक प्रभाव-शोर प्रदूषण अनेक शारीरिक रोगों का कारण बनता है। अत्यधिक शोर कानों को तो प्रभावित करता ही है इससे उच्च रक्तचाप और हृदय सम्बन्धी रोग भी हो जाते हैं। तेज ध्वनि के कारण रक्त रक्तवाहिकाओं पर दबाव डालने लगता है। इससे रक्त में कार्टिसोन तथा कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है। जिससे रक्तचाप में बढ़ोतरी हो जाती है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है । •
मृदा प्रदूषण से होने वाले रोग—मृदा प्रदूषण मानव-जीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है। मृदा प्रदूषण विषाक्त यौगिकों, रसायनों, लवणों एवं रेडियोएक्टिव तत्त्वों के द्वारा होता है। मृदा प्रदूषण से होने वाले प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं
(1) मलेरिया— मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है और ये मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बनाते हैं। यदि जल प्रदूषित मिट्टी से बहकर आ रहा है तो प्रदूषणकारी तत्व जल में मिश्रित हो जाते हैं। प्रोटोजोआ, जो मलेरिया को उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है, मृदा से जल में आ जाते हैं। इनके वाहक मच्छर गन्दे जल में पनपते हैं। ये प्रोटोजोआ मच्छरों के सम्पर्क में आते हैं तथा मच्छर इनको व्यक्तियों में प्रसारित कर देते हैं।
( 2 ) हैजा एवं पेचिश – जब प्रदूषित मिट्टी भूमि-जल के सम्पर्क में आती है, जो कि पीने के पानी का मुख्य स्रोत है, तो जल को प्रदूषित कर देती है। इसलिए जल प्रदूषण से होने वाले रोग; जैसे— हैजा एवं पेचिश का प्रसार हो जाता है।
( 3 ) वृक्क एवं यकृत रोग—मृदा में उपस्थित रसायन; जैसेपारा एवं साइक्लोडाइन्स आदि मानव शरीर में भोजन के माध्यम से प्रवेश करते हैं। ये रसायन वृक्क एवं यकृत को क्षति पहुँचाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रेबेज स्थलों एवं औद्योगिक कारखानों के पास रहने वाले लोगों में भी यकृत एवं नृतक से सम्बन्धित होने वाले रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
(4) कैन्सर पेस्टीसाइड्स एवं फर्टिलाइजर रसायनों बेंजीन, क्रोमियम एवं अन्य रसायनी, जी कि मुख्य कार्सनोजेन्स (फैन्स उत्पन्न करने वाले पदार्थ) होते हैं, से निर्मित होते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को मारने के लिए जब इन पेस्टीसाइड्स का प्रयोग किया जाता है, तो इनके रसायन भूमि द्वारा अवशोषित कर लिए, जाता है|
भूमि से इन रसायनों को फसली द्वारा अवशोषित कर लिया जाता जब इन फसलों का उपयोग किया जाता है, तो ये रसायन संक्रमित फसले शरीर में लाल रक्त कणिकाओं (RBC), श्वेत रक्ताणुओं (WBC) एवं प्रतिजैविक पदार्थों के उत्पादन को कम कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करती हैं।
जल प्रदूषण से होने वाले रोग –जल प्रदूषण के कारण विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं, जिसमें पेट सम्बन्धी बीमारियाँ, जनन सम्बन्धी समस्याएँ, मनोरोग एवं कैन्सर जैसे गम्भीर रोग शामिल हैं। जल प्रदूषण से होने चाले प्रमुख रोग निम्नलिखित है
(1) हैजा– यह जल प्रदूषण से होने वाला प्रमुख रोग है, जो कि जीवाणु विब्रियो कॉलेरा (Bibro cholera) के छोटी आंत में पहुँचने से होता है। इसके प्रमुख लक्षणों में दस्त एवं उल्टी का तीव्र गति से होना है। यह रोग पीने के पानी या खाद्य पदार्थ के प्रदूषित होने के साथ-साथ, रोगी के अवशिष्ट पदार्थों में फैलता है। यह मुख्यतः भीड़ वाले क्षेत्रों, मेलों, त्यौहारों आदि के दौरान फैलता है। यह मुख्यत: उन स्थलों में पाया जाता है जहाँ अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन की उचित व्यवस्था नहीं होती है। इस रोग के फैलने का मुख्य कारण मक्खी है, जो भोजन व अन्य खाद्य पदार्थों पर बैठकर हैजे के कीटाणुओं को वहाँ पर छोड़ देती है। ये भोजन व जल के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
( 2 ) हेपेटाइटिस ‘A’ –हेपेटाइटिस ‘A’ जल प्रदूषण से होने वाला गम्भीर रोग है। यह हेपेटाइटिस ‘A’ वाइरस से होता है। जो यकृत को संक्रमित करता है। इससे बुखार, थकान, असहनीय दर्द, डायरिया, पीलिया, भार में कमी एवं तनाव आदि हो जाते हैं।
( 3 ) अमीबीयस–यह जल प्रदूषण से होने वाला एक प्रमुख रोग है, जो कि ‘अमीबा’ नामक जीवाणु से होता है। इसमें रोगी को उल्टीदस्त आदि होते हैं।
( 4 ) पेचिश– पेचिश जल प्रदूषण से होने वाला सामान्य रोग है।इससे बुखार, उल्टी, पेट में दर्द तथा दस्त के साथ खून आते हैं।
( 5) मलेरिया–मलेरिया भी जल प्रदूषण से होने वाला गम्भीर रोग है, जो कि परजीवी के द्वारा होता है। इसका प्रसार करने में मादा ‘एनोफिलिज मच्छर की विशेष भूमिका होती है। ये मच्छर जल में पनपते हैं। जब ये मच्छर किसी व्यक्ति को काटते हैं तो वह मलेरिया से ग्रसित हो जाता है।
( 6 ) फ्युरोसिस – यह एक गम्भीर हड्डी रोग है, जो कि भूमिजल में प्राकृतिक रूप से फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक होने से होता है।
(7) टायफाइड बुखार—यह एक जीवाणु सक्रमित सामान्य बीमारी है, जो कि संदूषित भोजन एवं जल के अन्तर्ग्रहण से होती है।
( 8 ) पोलियो—पोलियो वाइरस से होने वाला एक गम्भीर रोग है, जो कि जल प्रदूषण का परिणाम है। यह बच्चों को संक्रमित करता है जिससे उनके पैरों में लकंवा आ जाता है। इसका वाइरस तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचाता है जिसका परिणाम कमजोरी एवं लकवे का आना है।
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