प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने के कारण एवं संरक्षण के उपाय बताइये ।
प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने के कारण एवं संरक्षण के उपाय बताइये ।
उत्तर— प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने के कारण (Threats to Natural Resources ) – कोई भी सामग्री हो उसका जब भी हम अनुचित प्रयोग करेंगे तो उसकी गुणवत्ता में कमी आयेगी, पर फिर भी कुछ क्रियाकलाप ऐसे हैं जिनसे प्राकृतिक संसाधनों के निरन्तर कम होने अथवा नष्ट होने का खतरा सदैव बना रहता है। वे हैं—
(i) जल का अत्यधिक प्रयोग अथवा दुरुपयोग ।
(ii) लकड़ी का फर्नीचर, सजावट तथा ईंधन के रूप में प्रयोग ।
(iii) कृषि फसलों से बिना किसी योजना के उत्पादन।
(iv) बहते पानी से खेतों की उपजाऊ मिट्टी का बह जाना ।
(v) अधिक उपज के लिये रासायनिक खादों का उपयोग ।
(vi) अनेक पशु-पक्षियों और जीवों का शिकारियों द्वारा शिकार ।
(vii) भूमिगत जल के भण्डारों को अनावश्यक रूप से खाली करना ।
(viii) बढ़ती आबादी से अधिक संसाधनों का व्यय आदि।
जब तक हम प्राकृतिक संसाधनों का उचित, उपयुक्त तथा बुद्धिमतापूर्ण ढंग से उपयोग नहीं करेंगे तब तक संसाधनों की कमी की आशंका बनी ही रहेगी। कम-से-कम उन संसाधनों पर तो विशेष ध्यान देना आवश्यक है जो आज निर्बाध गति से उपयोग में लिये जा रहे हैं और जिनका समाप्त होना सर्वथा सत्य है।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Natural Resources) – प्राकृतिक संसाधन मानव जगत् के लिये मूल आधार हैं। अतः इनका संरक्षण कितना समीचीन और आवश्यक है यह बताने की बात नहीं है, लेकिन वर्तमान में उनका जिस तरह उपयोग हो रहा है । उससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए शेष क्या रह पायेगा ? यह आज विचारने का प्रश्न है। इसके साथ ही उपलब्धता के साथ-साथ से संसाधन कितने निरापद होंगे, यह भी कम विचारणीय प्रश्न नहीं है क्योंकि केवल स्वार्थ तथा क्षणिक लाभ हेतु कुछ लोगों या देशों द्वारा ये निरन्तर प्रदूषित किये जा रहे हैं। संक्षित में मोटेतौर पर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के सन्दर्भ में निम्न उद्देश्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं—
(i) संसाधनों का आवश्यकतानुसार ही सीमित उपयोग किया जाये जिससे वे अधिक दिनों तक रह सकें।
(ii) उन्हें प्रदूषित होने से बचाया जाये जिससे वह मनुष्यों के खराब स्वास्थ्य का कारण न बनें।
(iii) मूलभूत आधार प्राकृतिक संसाधनों को आय का बनाया जाये ।
यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण केवल उसके उपयोग हेतु उपलब्धता के लिए ही नहीं है, बल्कि विश्व में पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाने और उसे अनमोल खजाने के शाश्वत सत्य के साथ संरक्षित रखने के लिए भी गुणवत्ता का आधार है।
प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमत्तापूर्ण एवं आवश्यकतानुसार उपयोग ही हमारी कार्यशैली होनी चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग के कुछ मूल सिद्धान्त निम्न प्रकार हैं—
(i) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग पर्यावरणीय स्थितियों को ध्यान में रखकर किया जावे. अर्थात् यह ध्यान रखा जावे कि इस उपयोग से पर्यावरण विकृत अथवा दूषित न हो ।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से दूसरों को हानि न पहुँचे।
(iii) पुनर्जीवित ( renewal) होने वाले संसाधनों का इस प्रकार उपयोग हो जिससे उनके पुनः उत्पन्न होने की संभावना बनी रहे।
(iv) पुर्जीवित नहीं होने वाले (non-renewal) प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम अथवा बुद्धिमत्तापूर्ण और आवश्यकतानुसार ही उपयोग किया जाये जिससे वह आगे काफी समय तक रह सके।
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