प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्ध की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्ध की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर  – प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्ध की आवश्यकता – प्राकृतिक संसाधन मानव जगत् के अस्तित्व के लिये मूल आधार हैं। अतः उनका संरक्षण कितना समीचीन और आवश्यक है, यह बताने की बात नहीं है लेकिन वर्तमान में उनका जिस तरह उपयोग हो रहा है उसमें
भविष्य की पीढ़ियों को शेष क्या रह पाएगा। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के सन्दर्भ में निम्न उद्देश्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं-
(1)  संसाधनों का आवश्यकतानुसार ही सीमित उपयोग किया जाये जिससे से अधिक दिनों तक रह सके।
(2) उन्हें प्रदूषित होने से बचाया जाये जिससे वह मनुष्यों के खराब स्वास्थ्य का कारण न बनें।
क्योंकि यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण केवल उसके उपयोग हेतु उपलब्धता के लिये ही नहीं बल्कि विश्व में पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाने और उस अनमोल खजाने के शाश्वत सत्य संरक्षित रखने के लिए भी है। स्पष्ट है कि पर्यावरण की गुणवत्ता (quality of environment) मनुष्य के जीवन की गुणवत्ता (quality of life) का आधार है।
“प्रकृति में सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता है लेकिन किसी एक के भी लालच की नहीं।”
अतः यह स्पष्ट है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनके उपयोग में कहीं विवाद नहीं है, अन्तर केवल इतना है कि हम उतना ही प्रकृति से लें जितना आवश्यक है। उनका दोहन न करें, शोषण नहीं। प्रकृति में यह शक्ति है कि वह अपनी कमी स्वयं पूर्ति कर ले।
संरक्षण के सिद्धान्त प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमतापूर्ण एवं आवश्यकतानुसार उपयोग ही हमारी कार्यशैली होनी चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग के कुछ मूल सिद्धान्त निम्न प्रकार प्रस्तुत हैं
(i) प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से दूसरों को हानि न पहुँचे।
(ii) पुनर्जीवित (renewable) होने वाले संसाधनों का इस प्रकार उपयोग हो जिससे उनके पुनः उत्पन्न होने की संभावना बनी रहें।
(iii) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग पर्यावरणीय स्थिति को में रख कर लिया जाये अर्थात् ध्यान रखा जावे कि इस उपयोग ध्यान से पर्यावरण विकृत अथवा प्रदूषित न हो। (iv) पुनर्जीवित नहीं होने वाले (non-renewable) प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम अथवा बुद्धिमतापूर्ण और आवश्यकतानुसार ही उपयोग किया जाये ताकि वह आगे काफी समय तक रहें।
अन्त में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के सन्दर्भ में यह बात पूरी तरह समझनी है कि मूल तत्वों को नष्ट कर पृथ्वी पर रहना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है और हमें केवल अपने ही लिये नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिये भी सोचना है। प्रकृति से विरासत से मिले बहुमूल्य संसाधनों को पूरी तरह समाप्त करने का हमें अकेले ही हक नहीं है, यह हमारे बच्चों की धरोहर है जिसे हमें संरक्षण के लिये सौंप| है ताकि हम उन्हें ठीक-ठाक सौंप सकें ।
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