प्रोफाइल का क्या अर्थ है ? प्रोफाइल निर्माण में सम्मिलित चरणों का वर्णन कीजिए ।

प्रोफाइल का क्या अर्थ है ? प्रोफाइल निर्माण में सम्मिलित चरणों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर — प्रोफाइल का अर्थ (Meaning of Profile)
प्रोफाइल वह आंकलन प्रपत्र है जिसके माध्यम से अधिगम में संलग्न शिक्षार्थियों के बारे में व्यक्तिगत रूप से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह एक प्रकार से शिक्षार्थी का आशुचित्र होता है जो शिक्षार्थी से सम्बन्धित उस समय की उपलब्धियों योग्यताओं/अयोग्यताओं, रुचियों, क्षमताओं/अक्षमताओं, शारीरिक एवं मानसिक दोषों, विशेषताओं एवं कमियों आदि के बारे में सूचना उपलब्ध कराता है। प्रोफाइल के माध्यम से एक शिक्षक उसकी पूर्व की शिक्षा पूर्व ज्ञान, कहाँ किस क्षेत्र से सम्बन्धित है आदि की जानकारी प्राप्त कर सकता है। एक प्रोफाइल में निम्नांकित तथ्यों को सम्मिलित किया जाता है—
(i) इसके अन्तर्गत एक छात्र के कौशल शक्ति (क्षमता) एवं रुचि के बारे में जानकारी को सम्मिलित करते हैं ।
(ii) अधिगमकर्ता/छात्र की अधिगम बाधाओं को प्रदर्शित करते हैं।
(iii) छात्र की विशिष्ट योग्यता एवं अक्षमता का वर्णन करते हैं।
(iv) छात्र के अधिगम से सम्बन्धित आवश्यक सुझावों को सम्मिलित करते हैं।
प्रोफाइल निर्माण एवं विकास में सम्मिलित चरण (Steps Involved for Creating and Developing Profile)
छात्र की प्रोफाइल का निर्माण छात्रों, माता-पिता तथा शिक्षक के सहयोग से किया जा सकता है। बड़े छात्रों से तो चर्चा के माध्यम से ही प्रोफाइल का निर्माण किया जा सकता है। एक शिक्षार्थी प्रोफाइल (Learner Profile) का निर्माण करने से पूर्व छात्र, माता-पिता एवं अन्य शिक्षकों से चर्चा कर लेनी चाहिए। प्रोफाइल निर्माण के चरण निम्नलिखित है—
(1) प्रोफाइल के लक्ष्य एवं उद्देश्य निर्धारित करना ।
(2) ऐसे प्रारूप का चयन करना जिसे आसानी से साझा किया जा सके।
(3) आवश्यक हो तो चयनित प्रारूप को विद्यालय के छात्र प्रबन्धन प्रणाली या विद्यालय के ई-पोर्टफोलियो से सम्बन्धित किया जाए।
(4) छात्र की सभी अच्छी बातों को सम्मिलित किया जाता है।
(5) इसमें छात्रों की रुचियों, पसन्द एवं नापसन्द को सम्मिलित किया जाता है।
(6) छात्र के जीवन से सम्बन्धित सभी महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का विवरण रखा जाता है।
(7) छात्र के जीवन के अनुभवों, जैसे—गतिविधियाँ, स्थान वे लोग जिन्हें वह पसन्द करता है आदि से सम्बन्धित सभी तथ्यों का समावेश किया जाता है।
(8) छात्र के अधिगम में आने वाली बाधाओं एवं उनको दूर करने के लिए उचित उपायों एवं सुझावों का वर्णन भी किया जाता है।
(9) सम्बन्धित छात्र किस बात से उत्साहित होता है, किस बात से क्रोधित होता है तथा उनका प्रदर्शन किस प्रकार करता है आदि बातों को भी सम्मिलित करना ।
(10) पूर्व व वर्तमान विद्यालय से सम्बन्धित अनुभवों का भी उल्लेख किया जाता है जिससे छात्र के दृष्टिकोण को समझा जा सके ।
(11) अतीत में उसके द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख किया जाता है।
(12) छात्र को जब किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है तो वह सहायता प्राप्त करने के लिए क्या-क्या गतिविधियाँ करता है उसका वर्णन भी किया जाता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *