बड़े समतल भू-भाग में जल-संग्रहण स्थल की परंपरागत पद्धति क्या है ?

बड़े समतल भू-भाग में जल-संग्रहण स्थल की परंपरागत पद्धति क्या है ?

उत्तर⇒बड़े समतल भू-भाग में जल-संग्रहण स्थल मुख्यतः अर्द्धचंद्राकार मिट्टी के गड्ढे अथवा निचले स्थान, वर्षा ऋतु में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ/प्राकृतिक जल मार्ग पर बनाए गये ‘चेक डैम’ हैं जो कंक्रीट अथवा छोटे कंकड़ पत्थरों द्वारा बनाए जाते हैं। इन छोटे बाँधों के अवरोध के कारण इनके पीछे मानसून का जल तालाबों में भर जाता है। केवल बड़े जलाशयों में जल पूरे वर्ष रहता है। परंतु छोटे जलाशयों में यह जल 6 महीने या उससे भी कम समय तक रहता है, उसके बाद यह सूख जाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य जल-भौम स्तर में सुधार करना है। भौम जल वाष्प बनकर उड़ता नहीं बल्कि आस-पास में फैल जाता है, बड़े क्षेत्र में वनस्पति को नमी प्रदान करता है। इससे मच्छरों के जनन की समस्या भी नहीं होती।

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