बालिका शिक्षा एवं महिला सशक्तीकरण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।

बालिका शिक्षा एवं महिला सशक्तीकरण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
महिला सशक्तीकरण से सम्बन्धित संवैधानिक प्रावधानों व पंचवर्षीय योजनाओं के तहत किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिये ।
उत्तर – महिलाओं और बालिकाओं के विकास  का महत्त्व सर्वोपरि है इसी से समग्र विकास की धारा बहती है। इसके लिए एक पृथक् महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का गठन किया गया है ।
मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में मुख्यतः महिलाओं एवं बच्चों के लिए योजनाएँ, नीतियाँ और कार्यक्रम बनाना या उनसे सम्बन्धित विधान करना एवं उसका कार्यान्वयन तथा महिला और बाल विकास के क्षेत्र में कार्यरत सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का मार्गदर्शन और समन्वयन करना शामिल है। मंत्रालय की योजनाएँ एवं कार्यक्रम अन्य विकासात्मक कार्यक्रमों की सहायक भूमिका निभाते हैं। कुछ योजनाओं एवं कार्यक्रमों का वर्णन निम्न प्रकार है—
( 1 ) सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम – बोर्ड द्वारा 1958 में आरम्भ सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम का उद्देश्य स्वैच्छिक संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है ताकि वे विशेष रूप से आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की जरूरतमंद महिलाओं को कार्य एवं मजदूरी के अवसर उपलब्ध करवा सकें तथा विभिन्न प्रकार के जीविकोपार्जन सम्बन्धी कार्य आरम्भ कर सकें। इन कार्यक्रमों में लघु औद्योगिक इकाई, हथकरघा एवं हस्तशिल्प इकाई, दुग्धशालाएँ एवं अन्य पशुपालन कार्यक्रम अर्थात् सूअर पालन, बकरी एवं भेड़पालन, कुक्कुटपालन इकाइयों के साथ ही स्व-रोजगार इकाई स्थापित करने की व्यवस्था है। जीविकोपार्जन परियोजनाओं के नवीन क्षेत्रों का पता लगाने पर बल दिया गया है।
( 2 ) महिला मण्डल–महिला मण्डल नामक इस कार्यक्रम का आरम्भ बोर्ड द्वारा 1961-62 में ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में आरम्भ किया गया था, जहाँ महिलाओं एवं बच्चों के लिए कल्याण कार्यक्रम संचालन हेतु कोई भी स्वयं सेवी संगठन नहीं था। महिला मंडलों का 75 प्रतिशत तक का व्यय केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा वहन किया जाता है। शेष 25 प्रतिशत तक का व्यय संगठन द्वारा अपने हिस्से के रूप में व्यय किया जाता है। एक विकेन्द्रित कार्यक्रम होने के कारण महिला मण्डलों से सम्बन्धित समस्त स्वीकृतियाँ एवं धनराशि देने की कार्यवाही सम्बन्धित राज्य बोर्ड द्वारा की जाती हैं।
( 3 ) बालवाड़ी पोषाहार कार्यक्रम बच्चों में व्याप्त कुपोषण की समस्या से निपटने हेतु सरकार ने 1970 में निम्न आय वर्ग के परिवारों से सम्बन्धित 3 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को पूरक पोषाहार उपलब्ध करवाने की योजना आरम्भ की। इस योजना में स्वास्थ्य सुविधाएँ भी सम्मिलित होती हैं, जैसे—बच्चों का टीकाकरण, स्थानीय निकायों के सहयोग से बेहतर सफाई और पर्यावरण की व्यवस्था करना ।
(4) प्रौढ़ महिलाओं हेतु संक्षिप्त शैक्षिक पाठ्यक्रम एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम-बोर्ड द्वारा प्रौढ़ महिलाओं के लिए संक्षिप्त शैक्षिक पाठ्यक्रम और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्बन्धी योजनाएँ क्रमशः 1958 और 1975 में आरम्भ की गई थीं। 1988 और 1989 में इन योजनाओं में कुछ संशोधन किए गए। इन संशोधनों का उद्देश्य आवश्यकता वाली महिलाओं को शैक्षणिक योग्यताएँ और कौशल प्रदान करना था, ताकि वे जीविकोपार्जन में सक्षम बन सकें तथा सामाजिक कार्यों में शक्ति सम्पन्न बन सकें। इन कार्यक्रमों हेतु अनुदान नॉन मैंचिंग के आधार पर स्वीकार किए जाते हैं। संशोधित योजना 1990-91 से क्रियान्वित की जा रही है ।
( 5 ) शिशुगृह कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण – महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 1986-87 में शिशुगृह कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम आरम्भ किया गया था। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य शिशुगृह संचालित करने हेतु शिशु सदन के कार्यकर्ताओं (Creache Workers) को प्रशिक्षण प्रदान करना था। 1989-90 इस कार्यक्रम का अंतरण केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड में कर दिया गया ताकि इसका कार्यान्वयन स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से हो सके।
( 6 ) ग्रामीण एवं निर्धन महिलाओं के लिए जागृति विकास परियोजनाएँ—ग्रामीण एवं निर्धन महिलाओं हेतु जागृति विकास परियोजनाओं का आरम्भ 1987-88 में किया गया था। इन परियोजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण एवं निर्धन महिलाओं की आवश्यकताएँ ज्ञात करना, समाज एवं परिवार में उनके स्तर के प्रति उनमें जागृति का विकास करना, सामुदायिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य तकनीक एवं पर्यावरण आदि जैसे सामाजिक मुद्दों से निपटना तथा अपने अधिकारों की प्राप्ति हेतु कार्य करने के लिए उन्हें सक्रिय बनाना है।
( 7 ) स्त्री शक्ति पुरस्कार– सामाजिक विकास के क्षेत्र में महिलाओं के व्यक्तिगत योगदान को पहचान देने के लिए केन्द्र सरकार ने स्त्री शक्ति के नाम से पांच राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना की है। यह पुरस्कार भारतीय इतिहास को सम्मानित महिलाओं के नाम पर रखे गए हैं, जो अपने साहस और एकता के लिए विख्यात हैं, जैसे—देवी अहिल्याबाई होल्कर, कन्नगी, माता जीजाबाई, रानी गिडेनेलु जेलियांग, रानी लक्ष्मीबाई ।
वर्ष 2007 से स्त्री शक्ति पुरस्कार की उपश्रेणी में रानी रुद्रम्मा देवी का नाम भी जोड़ा गया है। यह पुरस्कार उत्कृष्ट प्रशासनिक कौशल, नेतृत्व क्षमता और साहस के लिए व्यक्तिगत रूप से महिला और पुरुष को प्रदान किया जाता है। इन पुरस्कारों के अन्तर्गत ₹ 3 लाख नकद और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
( 8 ) द्वकरा योजना, 1982 – इस योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसके साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना, स्वच्छता पर ध्यान देना आदि सम्मिलित था । इस योजना की मुख्य सेवाएँ जैसे शिशुओं का पालन-पोषण करना आदि था। इस योजना को 1999-2000 तक क्रियान्वित करने के बाद इसे ‘स्वर्ण जयन्ती रोजगार योजना’ में विलय कर दिया गया ।
(9) न्यू मॉडल चर्खा योजना, 1987 एवं नोराड योजना, 1989 – यह योजना भी पूर्व योजना की भाँति ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती थी। इस योजना में महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया गया था। दरी, चिकन, बुनाई, प्रिंटिंग, ब्लाक फिटिंग जैसे व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाता था । इस योजना का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं में स्वावलम्बन की भावना का विकास करना था ।
( 10 ) इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना – 2010-11 में प्रसूता एवं स्तन-पान कराने वाली माताओं के लिए प्रायोगिक आधार पर 52 जिलों में यह नई स्कीम शुरू की गई। इसके अन्तर्गत 19 वर्ष से अधिक आयु की गर्भवती महिलाओं को उनके पहले दो जीवित बच्चों के छह माह की आय तक तीन किश्तों में ₹4000 की सहायता दी जाती है । इसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान छुट्टी की वजह से होने वाली वेतन हानि की प्रतिपूर्ति करना है ताकि उन्हें आर्थिक कारणों से गर्भावस्था के अंतिम दिनों तक अथवा उसके तुरंत बाद काम पर न जाना पड़े। साथ ही माँ और शिशु के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा सकता है । यह स्कीम देश 52 जिलों में चलाई जा रही है ।
( 11 ) सामान्य सहायता अनुदान कार्यक्रम – इस योजना के अन्तर्गत ऐसे स्वयंसेवी संगठनों को वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों, निराश्रितों, शारीरिक रूप से विकलांग, मानसिक रूप से अविकसित और कुष्ठ रोगियों आदि से सम्बन्धित विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों में संलग्न हैं।
( 12 ) सामुदायिक विकास परियोजनाएँ— इन परियोजनाओं के उद्देश्य विविध प्रकार के हैं, जिनमें प्रमुख हैं— महिलाओं और बच्चों के लिए बालवाड़ी, शिल्पकला कार्यों एवं सामाजिक शिक्षा, महिलाओं के लिए प्रसव सेवाएँ प्रदान करने, मनोरंजन कार्य-कलापों जैसी सुविधाओं हेतु सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
(13) स्वैच्छिक कार्य ब्यूरो एवं परिवार परामर्श केन्द्र अत्याचार और शोषण के शिकार बच्चों एवं महिलाओं को निवारक उपचारात्मक एवं पुनर्वासात्मक सेवाएँ प्रदान करने हेतु 1982 में बोर्ड द्वारा स्वैच्छिक कार्य ब्यूरो एवं परिवार परामर्श केन्द्र कार्यक्रम आरम्भ किया गया।
( 14 ) मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम, 1992 – इस कार्यक्रम के द्वारा माताओं तथा उनके शिशुओं को पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता था जिसके कारण शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकी तथा टीकाकरण की उचित व्यवस्था भी की जाती थी ।
( 15 ) किशोरी बालिका योजना, 1992 – इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों की बालिकाओं के उचित पालन पोषण तथा उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
( 16 ) महिला समृद्धि योजना, 1993 – इस योजना के अन्तर्गत ) ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को समृद्ध करने के लिए बचत योजनाओं के विषय में जागरूक किया गया। उनके आमदनी की बचत को सुरक्षित करने के लिए बैंक में खाता खुलवाया गया जिससे महिलाओं के सशक्तीकरण में वृद्धि हुई ।
( 17 ) स्वावलंबन ( व्यवसायिक प्रशिक्षण ) – बोर्ड ने विभिन्न ट्रेड्स में महिलाओं को प्रशिक्षित करने, जो विपणन योग्य होते हैं एवं बदलते कार्य दशाओं की माँग को पूरा करने के क्रम में उनके कौशल में वृद्धि भी करते हैं, के लिए 1975 के दौरान व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना प्रारम्भ की। व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को रोजगार अवसरों की प्राप्ति हेतु सक्षम बनाना है। वर्तमान में बोर्ड स्वावलम्बन योजना के तहत वित्त प्राप्त करता है। केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड राज्यों से, जहाँ महिला विकास निगम स्थापित नहीं हुए हैं, प्रस्ताव स्वीकार करता है। स्वैच्छिक संगठनों के आवेदनों को सम्बद्ध राज्य बोडों द्वारा प्राप्त किया जाता है एवं वे इस आवेदन को विभाग की प्रोजेक्ट अनुमोदन समिति द्वारा अनुदान की मंजूरी के लिए राज्य स्तरीय सशक्तीकरण समिति के समक्ष विभाग में जमा करने के लिए प्रस्तुत करते हैं ।
कल्याण मंत्रालय विभाग, प्रदर्शित केन्द्रीय कल्याण बोर्ड, ग्रामीण विकास मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, बाल विकास विभाग आदि का गठन महिलाओं के सशक्तीकरण तथा विकास के लिए किया गया । उपरिलिखित सभी योजनाएँ अपने-अपने स्तर से महिलाओं का उत्थान करने में कार्यरत हैं।
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