बिहार के इन तीन जिलों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, पूरे राज्य में अलर्ट; इंसान येबरतें सावधानियां

बिहार के इन तीन जिलों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, पूरे राज्य में अलर्ट; इंसान येबरतें सावधानियां

बिहार में बर्ड फ्लू तेजी से फैल रहा है। अब तक बिहार के तीन जिलों पटना, भागलपुर और जहानाबाद में बर्ड फ्लू के मामले की पुष्टि हो चुकी है। सावधानी और मॉनीटरिंग (निगरानी) से ही बर्ड फ्लू के खतरे से बचा जा सकता है, क्योंकि बर्ड फ्लू से बचाव के लिए कोई टीका नहीं है। मौसमी फ्लू से बचाने वाला टीका इसे नहीं रोक पाता। बर्ड फ्लू के बढ़ते मामले को देखते हुए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने बिहार समेत सभी राज्यों को अलर्ट किया है। इससे निबटने के लिए आवश्यक इंतजाम के निर्देश दिये हैं। जिलों को भी अलर्ट किया गया है। कहीं से भी पक्षी या मुर्गियों के मरने की सूचना पर पशुपालन विभाग की टीम सैंपल संग्रह करने पहुंच रही है। बर्ड फ्लू मिलने वाले स्थल के एक किमी में सभी मुर्गी फार्म सेनेटाइज किये जा रहे हैं।

इंसानों के लिए भी खतरा

बर्ड फ्लू प्रभावित मुर्गे, मुर्गी व पक्षियों के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों के लिए यह जानलेवा है। इससे पीड़ित में गंभीर श्वास की बीमारी होती है। संक्रमण के बाद मनुष्य में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने में 3 से 5 दिन लगते हैं। तेज बुखार, गर्मी या कंपकंपी महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, खांसी या सांस लेने में तकलीफ, दस्त, पेट दर्द, सीना दर्द, नाक व मसूड़ों से खून आना, आंख आना इसके लक्षण हैं। इस साल मुर्गे, मुर्गियों में बर्ड फ्लू का सबसे पहला मामला जहानाबाद में मिला। उसके बाद पटना के आईसीएआर परिसर में मुर्गी फार्म में मिला। जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद इसके दायरे में आने वाले बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय मुर्गी फार्म की सभी मुर्गियों को मार कर सुरक्षित दफनाया गया।

पशु स्वास्थ्य व उत्पादन संस्थान के प्रभारी निदेशक, डॉ. आर पंजियार ने कहा कि पटना और भागलपुर में एक-एक जगह पर बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। जहानाबाद में कौवे की मौत बर्ड फ्लू से होने की पुष्टि हुई थी। गया से पक्षियों के भेजे गए सैंपल निगेटिव (बर्ड फ्लू नहीं) पाया गया था। हमलोग लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। प्रभावित स्थानों पर मुर्गियों को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने के लिए यहां से वेटनरी डॉक्टरों की टीम भेजी जा रही है।

यहां होती है जांच

बर्ड फ्लू जांच के लिए सैंपल क्षेत्रीय रोग अनुसंधान लैब (आरडीडीएल) कोलकाता भेजा जाता है। वैसे सैंपल को सीधे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज (एनआईएसएचएडी) भोपाल भी भेजा जाता है।

लगभग हर साल मिलते हैं मामले

लगभग हर साल बर्ड फ्लू के मामले मिलते हैं। कोरोना के समय 2020 में पटना के कंकड़बाग में मुर्गियों में बर्ड फ्लू का मामला मिला था। इसके पहले मुंगेर में बर्ड फ्लू के कारण बड़ी संख्या में मुर्गे और मुर्गियों को मारा गया था।

यहां दें सूचना

स्थानीय पशु अस्पताल, जिला पशुपालन पदाधिकारी और पशु स्वास्थ्य व उत्पादन संस्थान पटना के मेल आईडी lrspatna @gmail.com पर इसकी तत्काल देनी चाहिए।

ये बरतें सावधानी

● कौवा, कबूतर, मुर्गी आदि के मरने पर सतर्कता जरूरी है, मुर्गी फार्म की नियमित सफाई और सेनेटाइज करें

● मुर्गी फार्म के मजदूरों को मास्क, हाथ में ग्लब्स और पैर में जूते पहन ही काम करना चाहिए

● पक्षियों के मांस और अंडे को कच्चा या अधपका न खाकर पूरा पका हुआ खाना चाहिए

● बर्ड फ्लू प्रभावित पक्षी के मांस को भी 100 डिग्री तापमान पर पकाकर खाने की स्थिति में इसका खतरा नहीं रहता है

Source – Hindustan

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