भारत में जेण्डर विभेद क्या है ?

भारत में जेण्डर विभेद क्या है ?

उत्तर  – भारत में जेण्डर (लिंग) विभेद भारत में लिंग भेद निम्नलिखित प्रकार से होता है
(1) पुरुष लिंग–पुरुष जाति का बोध उनकी शारीरिक बनावट, रहन-सहन, विचार तथा भावों से प्रकट होता है। पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा कठोर तथा आध्यात्मिक विचार के होते हैं। पुरुषों के रहन-सहन एवं कार्य भी अलग होते हैं। समय के साथ-साथ पुरुषों में दाढ़ी, मूँछ आदि आने लगती है तथा अनेक शारीरिक परिवर्तनों के कारण पुरुष जाति का बोध होता है।
( 2 ) स्त्री लिंग–लिंग का दूसरा प्रकार स्त्रीलिंग होता है। स्त्रियों का स्वभाव, विचार पुरुषों की अपेक्षा कोमल होता है। किशोरावस्था तक पहुँचते-पहुँचते इनमें अनेक शारीरिक परिवर्तन परिलक्षित होने लगते हैं जिससे स्त्री जाति का बोध होता है। स्त्रियों की आवाज मधुर तथा सुरीली होती है। इनका रहन-सहन तथा वेशभूषा भी अलग होती है। स्त्रियाँ स्वभाव से ही लज्जाशील तथा दयालु होती हैं। स्त्रियाँ भौतिकवादी विचारों को अधिक मान्यता देती हैं।
( 3 ) उभय लिंग लिंग का तीसरा प्रकार उभय लिंग है। इसके अन्तर्गत ऐसे लोग होते हैं जो शारीरिक रूप से पुरुष या स्त्री होते हैं लेकिन उनके विचार, व्यवहार, भाव, रहन-सहन तथा प्रतिक्रियाएँ विपरीत होती हैं। जैसे—शारीरिक रूप से कोई बालक है लेकिन उनके विचार, व्यवहार, आदत प्रतिक्रियाएँ, रहन-सहन एवं रुचि विपरीत लिंग की तरह होते हैं वे उभयलिंगी कहे जाते हैं। अधिकांशतः ऐसे लोगों का विचार अन्तर्लिंगी होता है । जर्मनी भाषा में इन्हें यूरेनियन (Uranian) कहा जाता है अर्थात् ‘‘एक पुरुष के शरीर में एक महिला मानस ।”
( 4 ) नपुसंक लिंग—इसके अन्तर्गत ऐसे व्यक्ति आते हैं जो न तो पूर्ण रूप से पुरुष होते हैं और न पूर्ण रूप से स्त्री होते हैं। इनका एक अपना अलग समाज होता है। इनमें सन्तानोत्पत्ति की क्षमता नहीं होती है। इन्हें द्विआधारी लिंग भी कहते हैं। इनके व्यवहार, प्रतिक्रियाएँ तथा सामाजिक कार्य अपने समाज के अनुसार होते हैं। वर्तमान समय में इन्हें भी सामान्य लोगों की तरह सभी अधिकार प्रदान किए जा रहे हैं।
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचना के आधार पर स्पष्ट होता है कि लिंग मुख्य रूप से पुरुष एवं स्त्री के रूप में होते हैं किन्तु कुछ प्राकृतिक अपवादों के कारण उभयलिंग एवं नपुंसक लिंग भी होते हैं। समाज अधिकांशतः पुरुष एवं स्त्रीलिंग को ही मान्यता देता है क्योंकि इस लिंग के लोगों की संख्या अधिक है तथा अन्य लिंगों की संख्या कम है। वर्तमान समय में प्रशासन द्वारा सभी लिंगों को समान अधिकार प्रदान किया गया है तथा उसे सुचारू रूप से क्रियान्वित करने का प्रयास भी जा रहा है।
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