भारत में पायी जाने वाली मिट्टी को कितने वर्गों में बाँटा गया है ?किन्हीं तीन प्रकार की मिट्टी की विशेषताओं और उनके क्षेत्र को लिखें।
भारत में पायी जाने वाली मिट्टी को कितने वर्गों में बाँटा गया है ?किन्हीं तीन प्रकार की मिट्टी की विशेषताओं और उनके क्षेत्र को लिखें।
उत्तर ⇒ भारत की मिट्टी को आठ मुख्य वर्गों में बाँटा है। जो निम्न प्रकार हैं –
(i) जलोढ़ मिट्टी, (ii) काली मिट्टी, (iii) लाल मिट्टी, (iv) लैटेराइट मिट्टी, (v) पहाड़ी मिट्टी, (vi) मरुस्थलीय मिट्टी, (vii) लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी, (viii) जैविक मिट्टी।
(i) जलोढ मिटी- यह मिट्टी नदियों द्वारा बहाकर लायी गई और नदियों के बेसीन में जमा की गई मिट्टी है। समुद्री लहरों के द्वारा भी ऐसी मिट्टी तटों पर जमा की जाती है।
भारत में जलोढ़ मिट्टी मुख्य रूप से गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन एवं पूर्वी तटीय भागों में पाई जाती है। इस मिट्टी की विशेषता यह है कि इसमें सभी प्रकार के खाद्यान्न, दलहन, तेलहन, कपास, गन्ना, जूट और सब्जियाँ ऊगाई जाती हैं। इसमें नाइट्रोजन और फॉसफोरस की कमी पायी जाती है जिसके लिए उर्वरक का सहारा लेना पड़ता है। आयु के आधार पर इसे बांगर और खादर के रूप में बाँटा जाता है।
(ii) काली मिट्टी – स्थानीय स्तर पर इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसका निर्माण दक्षिण के लावा (बेसाल्ट क्षेत्र) वाले भागों में हुआ है। कपास और गन्ने के उत्पादन के लिए यह मिट्टी अच्छी मानी जाती है। इसका बड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक में पाया जाता है। इसमें नमी बनाये रखने की क्षमता होती है और सूखने पर बहुत कड़ी हो जाती है।
(iii) लाल मिट्टी- यह ग्रेनाइट चट्टान के टूटने से बनी मिट्टी है। यह मिट्टी दक्षिण के पठार और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलता है। तमिलनाडु के दो-तिहाई भाग में यह मिट्टी पायी जाती है। यह कम उपजाऊ मिट्टी होती है। इसमें सिंचाई का अधिक आवश्यकता पड़ती है। इसमें विशेषकर मोटे किस्म के अनाज उत्पादन किए जाते हैं।