भारत में महिलाओं के विकास से सम्बन्धित एक योजना का वर्णन कीजिए।
भारत में महिलाओं के विकास से सम्बन्धित एक योजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर–आर्थिक सशक्तिकरण की योजनाएँ – रोजगार तथा प्रशिक्षण के लिए सहायता देने का कार्यक्रम – महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के लिए सहायता देने का कार्यक्रम (स्टेप) 1987 में केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में प्रारम्भ किया गया। इसका उद्देश्य परम्परागत क्षेत्रों में महिलाओं के कौशल में सुधार लाना हैं। इसके लिए उन्हें उपयुक्त समूहों में संगठित किया जाता है, संबंधी सम्पर्क कायम करने के लिए व्यवस्थित किया जाता है, सेवाओं में जाती है, और ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना में रोजगार के आठ परम्परागत क्षेत्र शामिल है जो इस प्रकार है कृषि, पशुपालन, डेयरी, व्यवसाय, मछली पालन, हथकरथा, हस्तशिल्प, खादी और ग्राम उद्योग तथा रेशम कीट पालन। यह योजना सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों राज्य निगमों, जिला ग्राम्य विकास अधिकरणों, सहकारिता परिसंधों और ऐसे पंजीकृत स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से लागू की जा रही है।
स्वयंसिद्धा — स्वयंसिद्धा महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण की समन्वित योजना है। इस योजना का दीर्घकालीन उद्देश्य महिलाओं का चहुँमुखी विकास, खासतौर पर उनका सामाजिक और आर्थिक विकास करना है। इसके लिए सभी वर्तमान क्षेत्रीय कार्यक्रमों में समन्वय तथा लगातार चलने वाली प्रक्रिया के जरिए संसाधनों तक उनकी सीधी पहुँच तथा नियंत्रण सुनिश्चित करना है। योजना का कौरी उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों का गठन, समूह के सदस्यों में स्वास्थ्य प्रतिस्थिति, पोषण तथा महिला शिक्षा, कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करना, स्थानीय ग्रामीण महिलाओं में बचत की आदत डालना, आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करना, स्थानीय योजनाओं में महिलाओं को शामिल करना तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और महिलाओं में बचत की आदत डालना, आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करना, स्थानीय योजनाओं में महिलाओं को शामिल करना तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और अन्य विभागों की सेवाओं की ओर अभिमुख करना हैं। दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2311333 गरीब महिलाओं को इस योजना का लाभ मिला।
यह योजना 2000-01 में देश के 650 ब्लॉकों में शुरू की गई थी, जिनमें आईएमआई 335 जिलों के 238 ब्लॉक भी शामिल हैं राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रत्येक ब्लॉक में 100 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है। अधिकतर राज्यों में कार्यक्रम का क्रियान्वयन आदि में स्वैच्छिक संगठनों की मदद ली जाती है। इस योजना के तहत 69,165 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है जिनके 10.02 लाख महिला सदस्य हैं। योजना के तहत गठित इन स्व-सहायता समूहों से 149.87 करोड़ रुपये की बचत हुई हैं। 64,955 समूहों ने बैंक में खाते खोले हैं। 35034 समूहों ने बैंक से 156.28 करोड़ रुपये ऋण लिया है। 52042 समूहों ( 80%) की 6.17 लाख महिलाएँ आमदनी बढ़ाने की गतिविधियों में संलिप्त हैं। 49395 समूह (65%) सरकार की दूसरी योजनाओं को एकत्रित कर काम कर रहे हैं। स्व-सहायता समूहों ने 4334 सामुदायिक संपत्तियों का सृजन किया है। यह योजना 31 मार्च, 2008 को समाप्त कर दी गई है।
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