‘भाव-प्रबन्धन’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

 ‘भाव-प्रबन्धन’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 

                                 अथवा

संवेग प्रबन्धन क्या है ?
उत्तर— भाव प्रबन्धन – मानव स्वभाव में भावनाओं का सबसे अधिक महत्त्व है। बालक के विकास के लिए भावनाओं का प्रबन्धन आवश्यक है क्योंकि भावना ही वह उत्पादक शक्ति है, जो समग्र कार्यों, सामाजिक, राजनैतिक तथा अन्य व्यवहारों के सूत्र में रहने वाली वृत्ति है। अतः इनका प्रबन्धन प्रारम्भिक अवस्था से ही किए जाने की आवश्यकता है। प्राय: यह देखा जाता है कि अबोध बालक के मन में प्रारम्भ में जिन भावनाओं के सम्पर्क, अभ्यास, परिस्थिति, पुनरावृत्ति द्वारा बालक के गुप्त मन में संस्कारों का निर्माण करती है।
भावनाओं के प्रबन्धक हेतु उपयुक्त उदाहरण हिटलर का कहा जा सकता है जिसने जर्मनी में नाजियों की शिक्षा बचपन से ही भावना को लेकर की थी। वहाँ बच्चे-बच्चे के मन में यह भावना भर गयी थी कि, “तुम श्रेष्ठ हो, वीर हो, साहसी हो, जर्मन जाति संसार में सभी जातियों से उच्च श्रेष्ठतम है, दूसरे तुम्हारे गुलाम हैं तथा तुम्हें उन पर राज करना है।” इन भावनाओं के संस्कार विकसित होकर जर्मन जाति उत्साह, वीरता, धैर्य, साहस के जीते जागते पुतले बने यदि उनकी कहानियाँ, उनके नारे, गीत, राष्ट्र प्रेम, स्वदेश भक्ति से ओत-प्रोत न होते तो उनकी बुद्धि कभी स्वदेश भक्ति के पक्ष में तर्क न करती ।
आज शिक्षा जगत के सम्मुख सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या, भावनाओं की उचित शिक्षा ठीक रीति तथा मार्गों को विकास परिपुष्टि, उसी प्रकार का वातावरण निर्माण करने की है। यदि माता-पिता देश, समाज, विश्व प्रेम मातृत्व की भावनाओं की शिक्षा बालक में प्रारम्भ से ही सरकार के रूप में भर दें, तो उनकी बुद्धि भी विकसित होकर उसी प्रकार में तर्क उपस्थित करेगी।
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