मध्यमान, मध्यांक एवं बहुलक की परिभाषा दीजिए।

मध्यमान, मध्यांक एवं बहुलक की परिभाषा दीजिए।

उत्तर—मध्यमान (Mean)– मध्यमान केन्द्रीय प्रवृत्ति की सबसे सरल माप होती है। मध्यमान को अंकगणित औसत (Arithmetic Average) भी कहा जाता है। मध्यमान ज्ञात करने के लिए समूह के सभी आँकड़ों को जोड़कर समूह के आँकड़ों की संख्या से भाग दिया जाए तो मध्यमान की प्राप्ति होती है।
मध्यमान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Mean) — केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों में सबसे अधिक विश्वसनीय और त्रिपद माप मध्यमान है। इसे समस्त संख्याओं के योग को समस्त संख्याओं से भाग देकर प्राप्त करते हैं। मध्यमान तीन प्रकार का होता है – अंकगणितीय मध्यमान (Arithmetic Mean), हरात्मक मध्यमान (Harmonic Mean) एवं ज्यामितीय मध्यमान (Geometric Mean) | मनोविज्ञान और शिक्षा में अंकगणितीय मध्यमान का ही उपयोग होता है। मध्यमान को ‘M’ से निरूपित किया जाता है।
ग्लीटमैन के अनुसार, “किसी अंक सामग्री के समस्त अंकों के योगफल को उस अंकों की संख्या से भाग देने से जो भागफल प्राप्त होता है, उसे मध्यमान कहते हैं।”
रेबर और रेबर के अनुसार, “मूल्यों या प्राप्तांकों के समूह को मूल्यों या प्राप्तांकों की संख्या से भाग देना ही अंकगणितीय मध्यमान कहलाता है। “
मध्यांक (Median)– यदि हमें मूल आँकड़ों की केन्द्रीय प्रवृत्ति के बारे में जानकारी प्राप्त करनी हो तथा इसके लिए हमें मध्यमान या मध्यमान की गणना आदि की सहायता भी न लेनी पड़े तो हम यह कार्य मध्यांक से कर सकते हैं। मध्यांक की गणना के लिए हमें दिए गए आँकड़ों को जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि आँकड़ों को आरोही क्रम (Increasing Order) या अवरोही क्रम (Decreasing Order) में लगाकर आँकड़ों के मध्य में आने वाला अंक ही उन आँकड़ों का मध्यांक कहलाता है।
मध्यांक का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Median) — मध्यांक को माध्यिका भी कहते हैं। मध्यांक या माध्यिका का संकेत चिह्न (Symbol) होता है। यह वस्तुतः केन्द्रीय प्रवृत्ति की स्थानीय माप है। स्थानीय से अभिप्राय किसी स्थान के आंकिक मूल्य से है।
मध्यांक की स्थिति किसी क्रमबद्ध आंकिक शृंखला में ऐसी होती है कि उस बिन्दु के ऊपर तथा नीचे अंकों की संख्या समान होती है अर्थात् मध्यांक किसी भी आंकिक शृंखला को दो बराबर भागों में विभाजित करता है। अतः यह उन व्यवस्थित अंकों को दो भागों में बाँट देता है। मध्यांक को निम्नांकित शब्दों में परिभाषित किया जा सकता हैं—
मध्यांक किसी आरोही अथवा अवरोही रूप में व्यवस्थित आंकिक श्रृंखला का वह स्थानीय मूल्य है जिसके ऊपर तथा नीचे आंकिक श्रृंखला के आधे-आधे अंक रहते हैं।
एच.ई. गैरट के अनुसार, “ज अव्यवस्थित अंक या अन्य माप क्रम में व्यवस्थित हों तो मध्य का अंक मध्यांक कहलाता है। “
गिलफोर्ड के अनुसार, “मापन के किसी पैमाने पर मध्यांक एक ऐसा बिन्दु है जिसके निश्चित आधे अंक उस बिन्दु से ऊपर तथा निश्चित आधे अंक उस बिन्दु से नीचे आते हैं। “
बहुलांक का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Mode) – किसी केन्द्रीय प्रवृत्ति को ज्ञात करने के लिए अभी तक हमने मध्यमान तथा मध्यांक की गणना की है। इस केन्द्रीय प्रवृत्ति को ज्ञात करने में हमें सबसे ज्यादा गणना मध्यमान में करनी होती है तथा मध्यांक निकालने के लिए हमें कुछ कम गणना करनी होती है। अतः एक ऐसा माध्यम भी है जिसमें बहुत कम गणना कर केन्द्रीय प्रवृत्ति को ज्ञात किया जा सकता है वह माध्यम बहुलांक कहलाता है।
“बहुलांक किसी अंक वितरण में वह मान है जिसकी पुनरावृत्ति सबसे ज्यादा बार होती है।”
गिलफोर्ड के अनुसार, “किसी अंक वितरण में वह मान जिसकी आवृत्ति सर्वाधिक हो, बहुलांक कहलाता है।”
रैथस के अनुसार, “अव्यवस्थित आंकड़ों (Ungrouped data) में जिस प्राप्तांक की आवृत्ति सबसे अधिक होती है उसे प्राप्तांक की दी हुई सामग्री का बहुलांक कहते हैं।”
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