मध्य प्रदेश राज्य का गठन
मध्य प्रदेश राज्य का गठन
मध्यप्रदेश का गठन (Madhya Pradesh Ka Gathan)
देश के आजाद होने के बाद सभी राज्य/रियासतों को चार भागों पार्ट-A, पार्ट-B, पार्ट-C तथा पार्ट-D में बांटा गया था।
ऐसे राज्य/रियासतें जो अंग्रेजों के अधीन थे तथा जिन्हें ब्रिटिश प्रांत के नाम से जाना जाता था, उन्हें पार्ट-A में शामिल किया गया। इसके अलावा पार्ट-B तथा पार्ट-C में देसी रियासतों को शामिल किया गया।पार्ट-D के अंतर्गत अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह को शामिल किया गया
वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के पश्चात मध्य प्रदेश नाम की कोई राज्य/रियासत नहीं था। मध्य प्रदेश राज्य का गठन चार भागों को मिलाकर किया गया था, इसलिए यह भी चार भागों में बंटा हुआ था। सुरूआती दौर में राज्य के निमार्ण के समय पहला भाग सीपी एंड बरार नाम से जाना जाता था। सीपी तथा बरार के तहत वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य का पूरा हिस्सा तथा वर्तमान महाराष्ट्र का भी कुछ हिस्से को भी इसमें शामिल किया गया था।
- पार्टA इसे सेंट्रल प्रोविजंस एंड बरार के नाम से भी जाना जाता था, जिसकी राजधानी नागपुर रखी गई थी। देश की आजादी के बाद भारत को चार भागों में विभाजन के बाद सीपी एंड बरार, पार्ट-A का हिस्सा बनाया गया था।
- पार्टB मध्य प्रदेश राज्य का शेष भाग मध्य भारत के नाम से जाना जाता था, जिसकी दो राजधानियां हुआ करती थीं। मध्य भारत की राजधानी 6 महीने के लिए इंदौर तथा अगले 6 महीने के लिए ग्वालियर को बनाया जाता था।
- पार्टC विंध्य प्रदेश के तहत रीवा, सतना, पन्ना आदि रियासतें शामिल थीं। विंध्य प्रदेश की राजधानी रीवा हुआ करती थी। जिसे देश की आजादी के बाद पार्ट-C श्रेणी राज्य में रखा गया था।
- चौथे भाग के तहत भोपाल रियासत को मध्यप्रदेश राज्य में शामिल किया गया था। इसकी राजधानी भोपाल रखी गई थी। जिसे आजादी के तत्काल बाद मध्यप्रदेश राज्य में शामिल किया गया था। भोपाल रियासत देश के आजादी के दौरानपार्ट-C श्रेणी राज्यों के अंतर्गत शामिल किया गया था। इस रियासत में नवाबों का शासन हुआ करता था।
मध्य प्रदेश के गठन की प्रक्रिया (Madhya Pradesh Ke Gathan Ki Prakriya)
- वर्ष1956 से सन 2000 के मध्य प्रदेश का पुनर्गठन किया गया। वर्ष 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। जिसके द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया।
- मध्य प्रदेश के गठनके बाद राज्य की राजधानी भोपाल बनाई गई। प्रशासनिक दृष्टि से भोपाल केवल सीहोर जिले की एक तहसील हुआ करती थी, जिसे जिला नहीं बनाया गया था।
- वर्ष1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद कुल 43 जिले तथा 9 संभाग बनाए गए थे।
- इस दौरान मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र के हिस्से के अंतर्गत शामिल जिलों को वापस महाराष्ट्र को दिया गया, जो कि सभी पार्ट-A के हिस्सा थे। इसके तहत अकोला, अमरावती, बुलढाना, यवतमाल, वर्धा, चांदा, नागपुर तथा भंडारा को तत्कालीन मुंबई राज्य का हिस्सा बनाया गया।
- तत्कालीन मुंबई राज्य को गुजरात तथा महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा मिला कर बनाया गया था। इन सभी को छोड़कर बाकी शेष हिस्से को मध्यप्रदेश में मिला दिया गया।
- मध्य प्रदेश के पुन: निर्माण के दौरान प्रदेश के मंदसौर जिले के सुनील टप्पा को राजस्थान को दे दिया गया तथा शेष भानपुरा तहसील को मध्यप्रदेश में शामिला किया गया।
- देश की आजादी के दौरान बनाए गएपार्ट-C के पूरे भाग को मध्यप्रदेश में शामिल किया गया। इसी के तहत राजस्थान के कोटा जिले के सिरोंज तहसील को मध्यप्रदेश में शामिल करते हुए विदिशा जिले में शामिल किया गया।
- मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद वर्ष 1972 में मध्यप्रदेश में 2 नए जिले बनाए गए। वर्ष 1972 में बनाए गए जिले के तहत पहला जिला भोपाल को तथा दूसरा जिला राजनांदगांव को बनाया गया। इस तरह से 26 नवंबर 1972 को मध्य प्रदेश में कुल जिलों की संख्या 45 हो गई।
- 1980 में मध्यप्रदेश में चंबल और बस्तर दो नवीन संभागों का गठन किया गया। परिणामस्वरूप संभागों की संख्या 10 से बढ़कर 12 हो गई।
- 25मई 1998 को गठित बीआर दुबे समिति की अनुशंषा पर 10 नए जिले तथा वर्ष 1998 में ही एक और नई समिति सिंह देव समिति का गठन की अनुशंषा के आधार पर 6 नए जिलों के गठन के बाद जिलों की कुल संख्या 61 हो गई।
- इन दोनों समितियों के अनुशंसा के आधार पर16 नए जिलों के गठन के बाद मध्य प्रदेश में कुल 61 जिले तथा 12 संभाग बनाए गए। वर्ष 1998 के दौरान क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य हुआ करता था।
- अविभाजित मध्यप्रदेश की पूरब से पश्चिम सीमा 996 किमी थी जो कि वर्तमान में 870 किमी है तथा उत्तर से दक्षिण की सीमा 1127 किमी थी जो कि वर्तमान में 605 किमी है।
- अविभाजित मध्यप्रदेश का क्षेत्रफल का क्षेत्रफल 4,43,446वर्ग किमी है जो कि वर्तमान में 3,08,252 वर्ग किमी है।
- इस दौरान बनाए गए नवीन जिलों केअंतर्गत डिंडोरी, बड़वानी, नीमच, कटनी, श्योपुर तथा उमरिया वर्तमान मध्य प्रदेश में शामिल हैं तथा 10 जिले वर्तमान छत्तीसगढ़ में शामिल किए गए हैं।
- 1नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश का पुनः विभाजन करते हुए छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाया गया, जो देश का 26वां राज्य बना।
- छत्तीसगढ़ के विभाजन के लिए संविधान में 84वां संविधान संशोधन किया कर‘छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक, 2000 लाया गया।
- इस विधेयक को 31 जुलाई, 2000को लोकसभा, 9 अगस्त, 2000 को राज्यसभा पारित किया गया तथा 24 अगस्त को इस विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए।
- तत्कालीन मध्यप्रदेश से 16 जिलों तथा 3 संभाग को छत्तीसगढ़ को दे दिया गया,जिसके बाद मध्यप्रदेश में कुल जिलों की संख्या घटकर 45 तथा संभागों की संख्या 9 रह गई।
- 15 अगस्त 2003 को मध्यप्रदेश में 3 जिलों का गठन किया गया। इसके तहत खंडवा से बुरहानपुर,गुना से अशोकनगर तथा शहडोल से अनूपपुर को अलग करते हुए नए जिले बनाए गए तत्पश्चात जिलों की संख्या 45 से बढ़कर 48 हो गई।
- वर्ष2008 में दो नए जिले अलीराजपुर को झाबुआ से अलग कर का नया जिला तथा सिंगरौली को सीधी से अलग करते हुए नए जिले बनाए गए। जिससे जिलों की संख्या बढ़कर 50 हो गई।
- 14 जून, 2008को शहडोल को संभाग बनाया गया जिसके चलते संभागों की संख्या मध्यप्रदेश में 9 से बढ़कर 10 हो गई।
- इसी कड़ी मेंवर्ष 2013 के दौरान एक और नए जिले का गठन शाजापुर से अलग करते हुए आगर मालवा नाम दिया गया। जो प्रदेश का 51वां जिला बना।
- 01अक्टूबर 2018 को टीकमगढ़ जिले से पृथ्वीपुर, निवाड़ी एवं ओरछा तहसीलों को अलग करते हुए निमाड़ी नाम से नया जिला बनाया गया है। इस प्रकार अब वर्तमान मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 52 हो गई है तथा निमाड़ी को प्रदेश का 52वां जिला बनाया गया है।
- वर्तमान में मध्यप्रदेश में 10 संभाग एवं 52 जिले है।
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