मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर⇒ श्वसन की दो अवस्थाएं प्रश्वास (inspiration) तथा उच्छवास (expiration) मिलकर श्वासोच्छ्वास (breathing) कहलाते हैं। प्रश्वास द्वारा वायमंडलीय हवा नासिका तथा श्वसन से होती हुई फफड़ों की वायु कोष्ठिकाओं में पहुँच जाती के विभिन्न भागों में अनाक्साकृत रक्त (deoxygenated blood) पहले हृदय में पहुंचता है जहाँ से इसे फेफड़े में भेज दिया जाता है। यह रक्त शिरीय रक्त (Tvenous blood) भी कहलाता ह। शिराय रक्त फेफडे की वाय कोशिकाओं के चारों ओर स्थित रक्त कोशिकाओं में पहुंच जाता है। रक्त कोशिकाओं में शिरीय रक्त में वायमण्डलीय हवा से जो कि वायु कोष्ठिकाओं में होता है, ऑक्सीजन की मात्रा बहत कम होती है। अतः यहाँ ऑक्सीजन का आंशिक दबाव बहत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप ऑक्सीजन का विसरण (diffusion) वाय कोष्ठिकाओं से शिरीय रक्त में हो जाता है। यहाँ लाल रुधिर कोशिकाओं (RBC) के हीमोग्लोबिन (haemoglobin) ऑक्सीजन से संयोजन कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) परिवर्तित हो जाते हैं और यह रुधिर संचरण द्वारा शरीर के विभिन्न भागा मस्थित कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं। ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः टूटकर हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन बनाता है। यह ऑक्सीजन भोजन अणुओं को ऑक्सीकृत कर ऊर्जा उत्पादन करता है। इधर उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड विसरण द्वारा कोशाओं से रुधिर कोशिकाआ के रक्त में पहुँचता है। यह रुधिर के हीमोग्लोबिन से संयोजन कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (carboxyhaemoglobin) बनाते हैं जो परिसंचरण द्वारा इसी रूप में फेफड़ों में पहँचता है। फेफड़ों की शिरीय रुधिर कोशिकाओं में कार्बन डाइऑक्साइड के आंशिक दबाव अधिक होने के कारण इसका विसरण वायु कोष्ठिकाओं में हो जाता है। यहाँ से उच्छ्वास द्वारा इसे श्वासनली तथा नासिका द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।