महिलाओं को पुरुष प्रधान समाज द्वारा किस प्रकार नियन्त्रित किया जाता है ?

महिलाओं को पुरुष प्रधान समाज द्वारा किस प्रकार नियन्त्रित किया जाता है ?

उत्तर- महिलाओं को पुरुष प्रधान समाज द्वारा निम्न प्रकार से नियन्त्रित किया जाता है—
(1) महिलाओं की गतिशीलता पर नियन्त्रण— औरतों की यौनिकता, उसके उत्पादन और प्रजनन पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि पुरुष, औरतों के आने-जाने पर नियंत्रण रखे। इसके लिए कई तरीके अपनाए गए हैं। पर्दा, घरेलू क्षेत्र तक उनके दायरे की सीमा, उस सीमा को छोड़ने पर रोक, पारिवारिक और सार्वजनिक दायरों के बीच बड़ा सा फर्क, स्त्रियों और पुरुषों के बीच कम से कम सम्पर्क, आदि सभी बातें अपने ढंग से औरत की आजादी और गतिशीलता पर नियंत्रण रखती है। इनकी खासियत ये है कि ये एक जेण्डर पर लागू होती है, दूसरे पर नहीं ।
( 2 ) औरतों की यौनिकता (सेक्सुअलिटी ) पर नियंत्रण – | हम ऐसा मानते हैं कि पुरुषों की इच्छाओं और जरूरतों के अनुसार महिलाओं को यौन सुख देना चाहिए। स्त्रियों की यौनिकता पर किसी एक पुरुष का ही अधिकार हो इसे सुनिश्चित करने के लिए उसकी पोशाक, चाल-ढाल पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है। स्त्री की यौनिकता । उसके अपने अधिकार में नहीं रहती, वह दूसरों द्वारा नियंत्रित वस्तु हो जाती है। परिवार के भीतर तथा बाहर बलात्कार अथवा धमकी के जरिए भी यौनिकता पर काबू रखा जाता है।
( 3 ) महिलाओं की प्रजनन शक्ति पर नियंत्रण—अनेक समाजों में बच्चों की संख्या, उनके जन्म का समय, गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल जैसे औरतों से ताल्लुक रखने वाले बुनियादी मुद्दों का फैसला भी खुद उनके हाथों में नहीं होता। औरतें कब और कितने बच्चे पैदा करें, या बिल्कुल ना करें, इसका फैसला खुद कर पाने की आजादी के लिए लगभग सारी दुनिया की औरतें लगातार संघर्ष कर रही है। इस बात से सिद्ध हो जाता है कि सरकार और धर्म के माध्यम से पुरुषों का यह नियंत्रण कितना कठोर है और ये सभी लोग इस नियंत्रण को छोड़ने को जरा भी तैयार नहीं है।
(4) महिलाओं की उत्पादन या पर नियंत्रण –  पुरुष, घर के भीतर औरत द्वारा की जाने वाली मेहनत और घर के बाहर कमाई के लिए की जाने वाली मजदूरी दोनों पर नियंत्रण रखते हैं। इसे ‘उत्पादन की पितृसत्तात्मक प्रणाली’ का नाम दिया जाता है। इसके तहत पति तथा परिवार के अन्य सदस्य औरतों की मेहनत का लाभ उठाते हैं। घरेलू औरतें उत्पादन करने वाला वर्ग है और पति लाभ उठाने वाला वर्ग। औरत का चौबीस घण्टे चलने वाला उबाऊ काम और कमरतोड़ मेहनत को काम समझा ही नहीं जाता, और फिर भी उसे पति पर निर्भर व्यक्ति के रूप में देखा जाता है ।
(5) सम्पत्ति तथा अन्य आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण – अधिकांश सम्पत्ति तथा अन्य आर्थिक संसाधनों पर पुरुषों का नियंत्रण है और आमतौर पर ये एक पुरुष से दूसरे पुरुष यानि पिता से पुत्र के हाथों में जाती है। जहाँ कहीं औरतों को उत्तराधिकार का कानूनी हक मिला है, वहाँ भी सामाजिक रिवाज, भावनात्मक दबाव, रिश्तों की राजनीति से लेकर साफ-साफ जोर-जबरदस्ती का इस्तेमाल करके उन्हें अपने हक को वास्तव में पाने से रोका जाता है।
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