महिला सशक्तीकरण को परिभाषित कीजिए तथा महिला सशक्तीकरण में शिक्षा की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
महिला सशक्तीकरण को परिभाषित कीजिए तथा महिला सशक्तीकरण में शिक्षा की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
टिप्पणी लिखिये- महिला सशक्तीकरण ।
उत्तर— महिला सशक्तीकरण —–महिलाएँ एक देश की सांस्कृतिक, राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाओं को वेदों में उपदेशत्री (Updeshtri) कहा गया था। उपदेशत्री शब्द इस बात का संकेत देता है कि प्राचीन काल में महिलाएँ शिक्षिका के रूप में कार्य करती थीं। महिला शिक्षा एवं महिला सशक्तीकरण को विभिन्न विद्वानों एवं आलोचकों ने इस प्रकार परिभाषित किया है–
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “यदि आप स्त्रियों को ऊँचा नहीं उठाते हो तो जो ईश्वरीय भाषा की कृति का जीवन रूप है तो यह मत सोचो कि तुम्हारे पास ऊँचा उठाने के लिए कोई अन्य रास्ता है।”
जवाहर लाल नेहरू के अनुसार, “एक बालक की शिक्षा एक व्यक्ति की शिक्षा है, लेकिन एक बालिका की शिक्षा सम्पूर्ण परिवार की शिक्ष| है।”
इस प्रकार शिक्षा महिला सशक्तीकरण के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका | निभाती है इसलिए शिक्षा का सशक्तीकरण प्रारूप आवश्यक है। शिक्षा एवं दूसरी विषय सामग्री न केवल छात्राओं को उत्तम आर्थिक अवसर प्रदान करके सशक्त बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण मंत्र है बल्कि यह लिंग स्तर में परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रकार | सशक्तीकरण में शिक्षा की भूमिका केवल उनमें अधिगम का ही विकास नहीं करना है बल्कि उनमें जागरूकता विकसित करना, विभिन्न संरचनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण तथा सभी स्तरों पर सशक्तीकरण के लिए ज्ञान प्राप्त करना इसमें शामिल है। शिक्षा में केवल औपचारिक शिक्षा ही नहीं बल्कि कौशल प्रशिक्षण तथा कार्यात्मक साक्षरता भी शामिल होनी चाहिए। महिलाओं के लिए प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए शिक्षा की सशक्त भूमिका को समाज के द्वारा स्वीकार किया गया है।
शिक्षा महिला सशक्तीकरण में निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका का निर्वाह करती है—
(1) शिक्षा महिलाओं को असमानता के शिकंजों से करती है—लिंग असमानता को दूर करने का शिक्षा ही एक साधन है। असमानता को दूर करने के साथ यह महिलाओं की गतिशीलता में वृद्धि करती है। इसके कारण, निर्णय शक्ति का विकास होता है तथा राष्ट्रीय एकता में वृद्धि होती है। महिलाओं की आर्थिक उत्पादकता की वृद्धि में भी शिक्षा सहायक होती है। इस प्रकार से शिक्षा महिलाओं को असमानता के शिकंजे से दूर करती है ।
(2) पारिवारिक कल्याण में प्रभावी— परिवार कल्याण पर पुरुषों की शिक्षा की अपेक्षा स्त्रियों की शिक्षा का अधिक प्रभाव पड़ता है। महिला शिक्षा के द्वारा जनसंख्या नियन्त्रण एवं बच्चों की मृत्यु घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। कम आय वाले देशों में भी शिक्षा और इन घटनाओं में घनिष्ठ सम्बन्ध दिखाई देता है। यह इस बात को परिलक्षित करता है कि एक स्त्री के लिए एक या दो वर्ष की शिक्षा बच्चों की मृत्युदरों को 5 से 10 प्रतिशत तक कम करने से सम्बन्धित है।
( 3 ) शिक्षा महिलाओं को शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाती है—शिक्षा स्त्रियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी पक्ष जैसे खेलकूद, शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान प्रदान करके उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ बनने की शक्ति प्रदान करती है। ऐसी मान्यता भी है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इस प्रकार एक स्त्री जब शारीरिक रूप से सुदृढ़ होगी तो इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य भी अधिक विकसित होगा।
( 4 ) बचत दर में वृद्धि — उपभोक्ता व्यय के सर्वेक्षण से ही शिक्षित एवं अशिक्षित विभिन्न घरों की आय बचत से प्रदर्शित होता है कि भारत में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा के प्रत्येक स्तर के साथ बचत की दर में वृद्धि होती है। बचत एक स्त्री को न केवल सुरक्षा ही प्रदान करती है बल्कि आर्थिक विकास को बढ़ावा भी देती है।
( 5 ) पारिवारिक स्वास्थ्य में प्रभावी — परिवार कल्याण के अतिरिक्त पारिवारिक स्वास्थ्य के लिए भी महिला शिक्षा अत्यन्त प्रभावी है। स्वास्थ्यवर्धक सामग्रियों का ज्ञान शिक्षा द्वारा ही होता है। शिक्षा इन सामग्रियों के प्रयोग को अधिक प्रभावी बनाती है। शिक्षा एक स्त्री को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने की क्षमता प्रदान करती है तथा बालक को अच्छा वातावरण प्रदान करने में सहायता करती है। अन्त में हम कह सकते हैं कि शिक्षा महिला को उस ज्ञान से युक्त करती है जो उसे घर में अधिक प्रभावी भूमिकाएँ निभाने के लिए आवश्यक है।
(6) महिलाओं के स्वास्थ्य स्तर में सुधार — महिलाओं के स्वास्थ्य स्तर में सुधार शिक्षा द्वारा ही सम्भव है। शिक्षा बच्चों के जन्म में दूरी बनाए रखने तथा गर्भ एवं जन्म के समय तथा स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयोग को प्रभावित करती हैं। यदि स्त्री में गर्भवती होने की आवृत्ति बढ़ जाए तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। अमेरिका एवं एशिया की शिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर निरन्तर कम हो रही है तथा यह लगभग उनकी स्वयं की इच्छा पर निर्भर करता है। शिक्षा का प्रभाव भारतीय महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार ला सकता है।
( 7 ) आय में बढ़ोत्तरी — जितनी उच्च शिक्षा होगी उतनी ही उच्च आय होगी तथा जितनी अधिक आय होगी उतना ही अधिक महिला सशक्तीकरण होगा। स्वाश्रित जीविकोपार्जन स्त्रियों के ज्ञान एवं स्वाभिमान में सुधार लाता है। जिसके कारण वे आर्थिक रूप से गृहस्थी में योगदान दे रही है। इनके विचार भी नकारात्मक की अपेक्षा सकारात्मक अधिक हो जाते हैं लेकिन यह सब महिलाओं को शिक्षित करने पर ही सम्भव है।
( 8 ) लिंग अनुपात की गिरती हुई दर को रोकने में प्रभावी — भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। वर्ष 1901 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 972/1000 था जो 2011 की जनगणना में लिंगानुपात 940/1000 हो गया है। इससे यह परिलक्षित होता है कि पुरुष जनसंख्या में वृद्धि का प्रतिशत स्त्री जनसंख्या से अधिक है। केवल शिक्षा ही इस दिशा में महिलाओं को जागरूक करके लिंगानुपात की गिरती दर को रोक सकती है।
( 9 ) शिक्षा स्त्रियों को अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का पालन करने के योग्य बनाती है-शिक्षित महिलाएँ अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों को समझकर इसके पक्ष में समर्थन कर सकती हैं, जैसेवोट देने का अधिकार तब तक अर्थहीन है जब तक महिला स्वयं उससे अवगत न हो। इसके अतिरिक्त शिक्षा स्त्रियों को विभिन्न क्षेत्रों में जैसेशिक्षा प्राप्त करना, बच्चों के विषय में निर्णय लेना, जमीन का अधिग्रहण करना, शोषण से बचना इत्यादि अधिकारों को प्रयोग करने के योग्य बनाती है।
( 10 ) शिक्षा आर्थिक एवं सामाजिक विकास से रुकावटों को दूर करती है-महिलाओं की शिक्षा उनके सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है क्योंकि यह आर्थिक सामाजिक विकास की कुछ रुकावटों को दूर करती है। ज्ञान तर्कशक्ति तथा विश्लेषण करने की योग्यता को बढ़ाती है तथा तथ्यों एवं घटनाओं को उनके उचित क्रम में सम्बन्धित करने में सहायता करती है। शिक्षित महिलाएँ निष्कर्ष निकालने के योग्य बनती हैं तथा उन निष्कर्षों को नवीन परिस्थितियों में लागू करने में समर्थ हो जाती है। इसलिए स्त्रियों की शिक्षा आधुनिक विचारों तथा सामाजिक परिवर्तनों तक पहुँच को भी बढ़ावा देती है।
अन्ततः हम कह सकते हैं कि शिक्षा महिलाओं को अधिक आत्मविश्वासी बनाती है तथा जो व्यक्ति उनका दमन करते हैं उन अधिकारियों या व्यक्तियों को चुनौती देने का सामना करने के योग्य बनाती है। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त करती है।
शिक्षा महिलाओं को शोषण से बचने के लिए, अपने ही बच्चों के समक्ष तिरस्कृत होने से बचने में तथा सभी स्तरों पर निर्णय लेने में अपनी भागीदारी दे सकने में सक्षम बनाती है। स्त्रियों की शिक्षा से व्यक्ति, परिवार समाज एवं समुदाय आदि सभी को लाभ पहुँचता है। महिलाओं को शिक्षित करके देश से अशिक्षा एवं गरीबी जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है, जैसे-जैसे पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएँ शिक्षित होंगी उसी प्रकार सभ्य समाज का निर्माण भी शीघ्रता से होगा।
महिला शिक्षा के विषय में कोठारी कमीशन ने कहा है कि “मानवीय संसाधनों के पूर्ण विकास के लिए, मानव के सुधार एवं शिशु अवस्था के प्रभावशाली वर्षों में बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की शिक्षा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। “
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