मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभावों की विवेचना कीजिए।

मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभावों की विवेचना कीजिए।

उत्तर— मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभाव – मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभाव निम्नलिखित होते हैं—
(1) उत्पादन में कमी (Decrease in Production ) – मृदा प्रदूषण के कारण उत्पादन में कमी आ रही है ।
(2) कृषि भूमि पर दबाव (Pressure on Agriculture Land) — मृदा प्रदूषण से एक ओर उत्पादन में कमी आ रही है तो दूसरी ओर बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उन्नत किस्मों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे प्रति हैक्टेयर कृषि लागत बढ़ रही है और साथ ही कृषि भूमि पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे उसके खराब होने की संभावना बढ़ रही है ।
(3) भू-निम्नीकरण (Land Degradation ) – वन विनाश, खनन, उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग, मृदा अपरदन, अत्यधिक सिंचाई आदि के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आ रही है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी की 30 से 50% भूमि कुप्रबन्धन के कारण निम्नीकृत हो गई । विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (World Food and Agricultural Organisation) के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 60 हैक्टेयर कृषि भूमि कृषि कार्यों के लिए अनुपयुक्त की जाती है ।
(4) उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से युक्त जल से सिंचाई करने से अनेक हानिकारक रसायन व भारी धातुएँ मृदा को प्रदूषित करते हैं। इस प्रकार प्रदूषित मृदा में उगी फल-सब्जियों, अनाज आदि के उपयोग से मनुष्य में अनेक प्रकार के रोग, जैसे—कैंसर, त्वचा रोग, मस्तिष्क सम्बन्धी रोग, रक्त विकार आदि हो जाते हैं।
(5) मृदा प्रदूषण से मरुस्थलीकरण को बढ़ावा मिल रहा है और उसका विस्तार हो रहा है।
(6) मृदा में रेडियोधर्मी प्रदूषण से रेडियोधर्मीता वनस्पतियों, फलों आदि द्वारा पशुओं व मनुष्य के शरीर में अनेक रोगों एवं विकृतियों को जन्म देती है ।
(7) कचरे से होने वाले मृदा प्रदूषण के कारण अनेक संक्रामक रोग फैलते हैं ।
(8) चूहे, तिलचट्टे आदि ठोस कूड़े में छिपे रहते हैं और मानव सम्पत्तियों एवं अनाज को हानि पहुँचाते है ।
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