रूढ़ियुक्तियों से क्या तात्पर्य है ? सामाजिक जीवन में इनके कार्य एवं महत्त्व को लिखिए।
रूढ़ियुक्तियों से क्या तात्पर्य है ? सामाजिक जीवन में इनके कार्य एवं महत्त्व को लिखिए।
उत्तर— रूढ़ियुक्तियों से तात्पर्य – रूढ़ियुक्तियों का अंग्रेजी रूपान्तर ‘ Stereotype ‘ है जिसका प्रयोग सबसे पहले वाल्टर लिपमैन ने अपनी पुस्तक ‘Public Opinion’ में किया जिसका शाब्दिक अर्थ है “एक तख्ती जो साँचे का कार्य करती है ।” इससे अभिप्राय है कि जैसे सांचे में ढालकर एक प्रकार की अनेक वस्तुएँ गढ़ी जा सकती हैं वैसे ही अनेक वृत्तियों, विचारों इत्यादि को एक सांचे में ढालकर एक प्रकार का समरूप बनाकर उन्हें व्यक्तियों के मस्तिष्क में अंकित किया जा सकता है।
वर्तमान समाज में मनोवैज्ञानिकों द्वारा ‘रूढ़ियुक्त’ शब्द का प्रयोग अधिक वैज्ञानिक अर्थ में किया जाता है। आजकल इससे तात्पर्य किसी समूह के सभी सदस्यों के बारे में विश्वासों के एक ऐसे संग्रह से होता है जिसमें विवेकपूर्ण आधार की कमी होती है।.
हम कभी-कभी ऐसे शब्दों इत्यादि का प्रयोग करते हैं जो विभिन्न परिस्थितियों या विभिन्न व्यक्तियों को एक ही प्रकार से व्यक्त करते हैं।
स्पष्ट है कि रूढ़ियुक्तियों में किसी समूह के सदस्य के बारे में हम इस प्रकार का स्थूल सामान्यीकरण करते हैं जो सच्चाई एवं विवेक से कम है। अतएव हम कह सकते हैं कि रूढ़ियुक्ति, बिना विभिन्नता की ” तरफ ध्यान दिए हुए बिना तर्कयुक्ति के किन्हीं परिस्थितियों में बनी हुई किन्हीं धारणाओं के आधार पर विकसित हो जाती है।
सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का कार्य एवं महत्त्व – हमारे सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का अधिक महत्त्व है क्योंकि इसका प्रभाव सामाजिक अन्तः क्रियाओं पर सीधा पड़ता है। प्रत्येक समाज एवं संस्कृति में कुछ निश्चित रूढ़ियुक्तियाँ होती हैं जिनके आधार पर हम किसी वर्ग या समुदाय के लोगों के बारे में एक सामान्य अर्थ लगाते हैं तथा जिससे हमें सामाजिक अन्तः क्रिया करने में मदद मिलती है।
उदाहरणार्थ— जब हम यह रूढ़ियुक्ति सुनते हैं कि शिक्षक आदर्शवादी होते हैं तो हमें किसी शिक्षक के साथ अन्तः क्रिया करते समय आदर्शवादी विचारों की उम्मीद बनी रहती है और इसी के अनुसार हम व्यवहार करते हैं। रूढ़ियुक्तियाँ हमारे लिए महत्त्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि इनके द्वारा निम्नांकित कार्य सम्पन्न होते हैं—
(1) मानव व्यवहार का निर्देश – आधुनिक मानव समाज अत्यधिक जटिल होता जा रहा है। इस समाज के व्यक्तियों के पास समय का अभाव है। समय के अभाव में उनके लिए सम्भव नहीं कि वे जिन लोगों के सम्पर्क में आते हैं उनकी व्यवहारों की गतिशीलता का पता लगाते रहें। इन अवसरों पर व्यक्ति रूढ़ियुक्तियों के सहारे व्यक्तियों का परिचय प्राप्त करता है और उनसे उसी प्रकार का व्यवहार करता है। अतः कहा जा सकता है कि रूढ़ियुक्तियाँ मानव व्यवहार का निर्देशन करती हैं। व्यक्ति रूढ़ियुक्तियों के सहारे अनुमान लगा लेता है कि कौन व्यक्ति कैसा है उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ।
(2) सामाजिक व्यवहार के नियंत्रण में – रूढ़ियुक्तियाँ सामाजिक व्यवहार का नियंत्रण भी करती हैं। हिन्दुस्तानी स्त्री के लिए पति देवता है, यह रूढ़ियुक्तियों को एक ही पंति में आस्था रखने को बाध्य करती है। सैनिकों की रूढ़ियुक्तियाँ उन्हें युद्ध मैदान में पीठ दिखाने से रोकती हैं अतः कहा जा सकता है कि रूढ़ियुक्तियाँ सामाजिक व्यवहार का नियंत्रण भी करती हैं।
(3) मानसिक चित्रों का निर्माण – रूढ़ियुक्तियों को जब व्यक्ति सुनता है अथवा बोलता है तब सम्बन्धित चित्र व्यक्ति के मस्तिष्क में बन जाते हैं।
(4) भविष्यवाणी में सहायता – रूढ़ियुक्तियों के आधार पर व्यक्ति के सम्बन्ध में भविष्यवाणी सम्भव है। उदाहरण के लिए सिख व गोरखा बहादुर माने जाते हैं। इन लोगों के युद्ध परिणामों के बारे में रूढ़ियुक्ति के आधार पर भविष्यवाणी की जा सकती है कि विजय अवश्य होगी। जर्मन लोग मेहनती होते हैं। रूढ़ियुक्ति के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जर्मन व्यक्तियों का कार्य अन्य की अपेक्षा में श्रेष्ठ होता है। .
(5) व्यावसायिक प्रचार में उपयोगिता–व्यावसायिक विज्ञापनों के प्रचार में रूढ़ियुक्ति का उपयोग होता है। रूढ़ियुक्तियों के आधार पर विज्ञापन को अधिक सफल बनाया जा सकता है। उदाहरण: “लाइफबॉय है जहाँ तन्दुरुस्ती है वहाँ” तथा “गर्मियों में गर्म चाय ठण्डक देती है।
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