रूढ़िवद्धता तथा लिंगीय पहचान के प्रकार बताइये।
रूढ़िवद्धता तथा लिंगीय पहचान के प्रकार बताइये।
उत्तर–रुदिबद्धता तथा लिंगीय पहचान को हम निम्नलिखित प्रकार देख सकते हैं
(1) जीवित पुत्र का मुख देखने से नरक से मुक्ति तथा पितृऋण से छुटकारा पाने की मान्यता
(2) पूर्वजों को पिण्डदान इत्यादि का सम्पादन पुरुष के द्वारा ही होना।
(3) अन्तिम संस्कार इत्यादि का सम्पादन पुरुष के द्वारा ही होना।
(4) पूर्वजों को पुत्र ही मुक्ति दिलाते हैं ऐसी मान्यता
(5) पुत्रो जन्म पर उत्साह न होना जबकि पुत्र जन्म पर बधाइ
(6) पुत्र जन्म पर फूल की थाली बजायी जाती है और उत्तर भारत में जबकि कन्या के जन्म पर नहीं।
(7) कन्या को पराया धन मालना अत: उसका विवाह शीघ्रातिशीघ्र सम्पन्न करा देना।
(8) बाल-विवाह कर देना जिससे बालिकाओं की शिक्षा आदि का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
(9) मनुस्मृति के अनुसार जिस पिता की पुत्रियाँ ही हों, पुत्र न हो वहाँ विवाह न करना।
(10) पुत्र ही वंश परम्परा को आगे बढ़ायेगा, ऐसी धारणा और केवल पुत्री ही रही हो वंश समाप्त हो जायेगा।
(11) आर्थिक अधिकारों और पैतृक सम्पत्ति का हस्तान्तरण पुत्री की न होकर सदैव पुत्र की ओर होना
(12) दहेज जैसी कुप्रथा के कारण कितनी बेटियाँ और बहनें आग की भेंट चढ़ा दी जाती हैं, परन्तु हमारे समाज में झूठी शान दिखाने के लिए दहेज लेने और देने दोनों की ही होड़ मची हुई है, जिसके कारण बालिकाओं को अभिशाप स्वरूप माना जाता है।
(13) पर्दा प्रथा का शिकार महिलाओं को ही होना पड़ता है और अब इस विषय में कुछ जागरूकता आयी है, परन्तु कुछ वर्षों पूर्व तक धूप भी नहीं देख पाती थी, परिणामस्वरूप टी.बी. जैसी खतरनाक बीमारियों की चपेट में वे आ जाती थीं। आज भी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान इत्यादि राज्यों में पर्दा प्रथा बतौर चली आ रही है।
(14) मुस्लिम बालकों का खतना यह सुनने में ही भयावह लगता है, परन्तु परम्परा के रूप में शिक्षित और अशिक्षित दोनों ही प्रकार का मुस्लिम समुदाय इसे ढो रहा है।
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