रूढ़िवादिता के सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए। कक्षाकक्ष में आप धार्मिक रूढ़िवादिता की चुनौती को कैसे दूर कर सकते हैं ?

रूढ़िवादिता के सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए। कक्षाकक्ष में आप धार्मिक रूढ़िवादिता की चुनौती को कैसे दूर कर सकते हैं ?

उत्तर- रूढ़िवादिता का अर्थ-रूढ़ियुक्ति का अंग्रेजी रूपान्तर ‘Stereotype’ है जिसका प्रयोग सर्वप्रथम वाल्टर लिपमैन ने अपनी पुस्तक ‘Public Opinion’ में किया जिसका शाब्दिक अर्थ है “एक तख्ती जो साँचे का कार्य करती है।” इससे तात्पर्य है कि जैसे सांचे में ढालकर एक प्रकार की अनेक वस्तुएँ गढ़ी जा सकती हैं वैसे ही अनेक वृत्तियों, विचारों इत्यादि को एक सांचे में ढालकर एक प्रकार का समरूप बनाकर उन्हें व्यक्तियों के मस्तिष्क में अंकित किया जा सकता है।
आधुनिक समाज में मनोवैज्ञानिकों द्वारा ‘रूढ़ियुक्त’ शब्द का प्रयोग अधिक वैज्ञानिक अर्थ में किया जाता है। आजकल इससे तात्पर्य किसी समूह के सभी सदस्यों के बारे में विश्वासों के एक ऐसे संग्रह से होता है जिससे विवेकपूर्ण आधार की कमी होती है।
हम कभी-कभी ऐसे शब्दों इत्यादि का प्रयोग करते हैं जो कि विभिन्न परिस्थितियों या विभिन्न व्यक्तियों या वस्तुओं को एक ही प्रकार से व्यक्त करते हैं ।
स्पष्ट है कि रूढ़ियुक्तियों में किसी समूह के सदस्य के बारे में हम इस प्रकार का स्थूल सामान्यीकरण करते हैं जो सच्चाई एक विवेक से कम है अतएव हम कह सकते हैं कि रूढ़ियुक्ति बिना, विभिन्नता की ओर ध्यान दिए हुए बिना तर्कयुक्ति के किन्हीं परिस्थितियों में बनी हुई किन्हीं धारणाओं के आधार पर विकसित हो जाती है।
रूढ़ियुक्तियों की परिभाषाएँ—इसकी प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
( 1 ) शेवर के अनुसार, “श्रेणीकरण को ही विश्वास का आधार मान लेने से वस्तु की वैयक्तिक विशेषताएँ छिप जाती हैं और रूढ़ियुक्तियों का मार्ग प्रशस्त होता है। “
( 2 ) बैरन एवं बाइरने के अनुसार, “किसी समूह के सदस्यों के बारे में, तार्किक आधार के अभाव में विश्वासों का पुलिन्दा बना लेना रूढ़ियुक्तियाँ कहा जाता है। “
( 3 ) कुप्पूस्वामी के अनुसार, “रूढ़ियुक्तियों को सामान्यतः अन्य समूहों के लोगों के प्रति प्रबल संवेगात्मक भावनाओं के साथ मिथ्या वर्गीकरण की अवधारणा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। “
उपर्युक्त विवेचनों तथा परिभाषाओं से स्पष्ट है कि रूढ़ियुक्तियाँ अशुद्ध या मिथ्या रूप में किसी व्यक्ति में उसकी वर्ग सदस्यता के आधार पर अनुकूल या प्रतिकूल गुणों के निर्धारण (गुणारोपण) की प्रवृत्ति है। इनके कारण हम किसी व्यक्ति में उसकी जाति, वर्ग, सम्प्रदाय या धर्म के बारे में प्रचलित अवधारणाओं के अनुरूप विशेषताएँ निर्धारित करते हैं, चाहे उसमें वैसी विशेषताएँ हों या न हों। रूढ़ियुक्तियों से वर्ग विशेष के लोग सहमत भी होते हैं।
धर्म सम्बन्धी रूद्रिबद्धता एवं पूर्वाग्रह को समाप्त करने हेतु प्रयास— धर्म सम्बन्धी रूढ़िबद्धता को समाप्त करने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए—
(1) विद्यालयों, संस्थाओं, महाविद्यालयों में सभी धर्मावलम्बियों के व्यक्तियों को समान अवसर दिए जाएँ।
(2) सभी को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाए।
(3) धार्मिक भेदभाव करने वालों को कम से कम दो वर्ष की जेल होनी चाहिए।
(4) धार्मिक पूर्वाग्रह के कारण साम्प्रदायिकता की भावना फैलती है। इसी साम्प्रदायिकता के कारण अंग्रेज भारत में अधिक दिनों तक टिके रहे और देश का विभाजन हो गया। इसके लिए आवश्यक है कि सभी समाजों के नेताओं को परस्पर बातचीत करके समस्या का समाधान रखना चाहिए तथा संकीर्ण भावना फैलाने वाले को न केवल सजा देनी चाहिए, अपितु समाज से बहिष्कृत भी कर देना चाहिए।
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