रोमन कैथोलिक चर्च ने 16वीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची रखनी क्यों आरंभ की ?

रोमन कैथोलिक चर्च ने 16वीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची रखनी क्यों आरंभ की ?

उत्तर ⇒ मार्टिन लूथर ने 1517 में पिच्चानवें स्थापनाएँ लिखी, जिसमें उसने रोमन कैथोलिक चर्च में प्रचलित अनेक परंपराओं एवं धार्मिक विधियों पर प्रहार किया। लूथर के लेख के व्यापक प्रभाव से रोमन कैथोलिक चर्च में विभाजन हो गया। लूथर ने ईसाई धर्म की नई व्याख्या प्रस्तुत की। उसके समर्थक प्रोटेस्टेंट कहलाए। धीरे-धीरे प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म का प्रमुख संप्रदाय बन गया, रूढ़िवादी कैथोलिक संप्रदाय का प्रभाव कमजोर पड़ गया। दूसरी ओर, रोमन कैथोलिक चर्च धर्म विरोधी भावना दबाने के लिए प्रयासरत थे क्योंकि पुस्तकें धार्मिक मान्यताओं एवं चर्च की सत्ता को चुनौती दे रही थी। नए धार्मिक विचारों के प्रसार को रोकने के लिए चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए और वितरण नहीं हो सके।

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