लचीलापन अथवा पलटाव किसे कहते हैं ? स्व के तालमेल एवं शान्ति के लिए आप लचीलेपन की रचना कैसे करेंगे ?

लचीलापन अथवा पलटाव किसे कहते हैं ? स्व के तालमेल एवं शान्ति के लिए आप लचीलेपन की रचना कैसे करेंगे ?

उत्तर– लचीलापन- लचीलेपन से मतलब आचरण से गिरना नहीं है। सफलता के लिए अपनी योग्यता का सदुपयोग करना ही लचीलापन है। लचीला व्यक्तित्व हर स्थिति का लाभ उठाना जानता है। छात्र को शक्ति तथा विनम्रता के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव को निपटाने में सक्षम होना चाहिए।
लचीला बनने के उपाय—अपनी भलाई के लिए उठाया गया कदम दबाव से निपटने में सहायता करता है तथा व्यक्ति के जीवन में जो तनाव है उसके प्रभाव को कम करता है। यह कभी-कभी विकसित भावात्मक लचीलापन कहलाता है। जब व्यक्ति के जीवन में कुछ कठिनाई होती है तो उसमें ग्रहण करने तथा त्यागने की क्षमता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए—
(1) जीवन शैली में परिवर्तन– कुछ ऐसे सामान्य परिवर्तन होते हैं जिन्हें व्यक्ति यदि अपनी जीवन शैली में अपना ले तो यह व्यक्ति को अधिक दबाव एवं तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करने में अधिक सक्षम अनुभव करते हैं। जीवन शैली में होने वाले कुछ परिवर्तन इस प्रकार हैं—
(i) दूसरों से सम्प्रेषण सीधा एवं स्वीकारात्मक हो ।
(ii) विश्राम तकनीको (स्नान, संगीत सुनना, टहलना आदि) का प्रयोग करना ।
(iii) शौक एवं रुचियों का विकास करना ।
(iv) मित्रों के लिए समय निकालना ।
(v) जीवन में सन्तुलन रखना।
(2) शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल – शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखने से व्यक्ति तनाव को कम कर सकता है तथा समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम कर सकता है। उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य हेतु कुछ आवश्यक तत्त्व निम्नलिखित हैं—
(i) अच्छी नींद लेना।
(ii) शारीरिक रूप से सक्रिय रहना ।
(iii) स्वास्थ्यवर्धक भोजन ।
(3) स्वयं को अवसर प्रदान करना — सीखना व्यक्ति को सामान्य रूप से दयालु बनाता है जो व्यक्ति को विभिन्न स्थितियों में अनुभव होने वाले दबाव को नियंत्रित करने में सहायता करता है जो व्यक्ति को कम तनावपूर्ण अनुभव करने में मदद करता है। स्वयं को अवसर प्रदान करने हेतु निम्नलिखित कार्यों को करना चाहिए—
(i) उपलब्धियों हेतु स्वयं को पुरस्कृत करना ।
(ii) परिदृश्य में परिवर्तन ।
(iii) स्वयं के लिए ब्रेक या छुट्टी लेना ।
(iv) विवादों को सुलझाना।
(v) स्वयं को क्षमा करना ।
(4) अपने समर्थन नेटवर्क का प्रयोग-सदैव याद रखें कि जो भी व्यक्ति के जीवन में घटित होता है उससे व्यक्ति में तनाव पैदा होता है। जिसके लिए अकेले व्यक्ति को इसका सामना नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके लिए व्यक्ति अपने समर्थन नेटवर्क का प्रयोग कर सकता है जो इस प्रकार है—
(i) मित्र एवं परिवार
(ii) कार्य स्तर पर सहायता
(iii) कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर पर सहायता
(iv) साथी समूह का समर्थन
(v) विशेषज्ञ वेबसाइट एवं संगठन ‘
(vi) व्यक्ति के स्वास्थ्य की सामान्य जानकारी ।
इन तथ्यों के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को स्वस्थमय बना सकता है । अत: उपर्युक्त समस्त तथ्यों से सम्बन्धित परिवर्तन यदि व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो वह दबाव व तनावमुक्त होकर स्वयं को लचीला अर्थात् परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित करने में समर्थ हो सकता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *