लिंग एवं जेण्डर लैंगिकता के अन्तर को स्पष्ट कीजिये |

लिंग एवं जेण्डर लैंगिकता के अन्तर को स्पष्ट कीजिये |

उत्तर- लिंग और जेण्डर में बड़ा अन्तर है। पिछले कई वर्षों से इस अन्तर को नजरअंदाज किया गया है। लिंग का अर्थ निम्न अवधारणाओं से लिया जाता है
(i) स्त्री एक लिंग है और यह कमजोर लिंग है।
(ii) स्त्रियाँ माता और पत्नी होती है। स्त्रियाँ सन्तान उत्पन्न करती है।
(iii) स्त्रियाँ खाना बनाती हैं, घर की सफाई करती हैं, कपड़े सिलती हैं और कपड़े धोती हैं ।
(iv) वह पुरुषों की देखभाल करती हैं तथा उनके अधीनस्थ रहती है ।
देखा जाय तो समाजशास्त्र में सेक्स और जेण्डर को लेकर बड़ा विवाद है। कुछ समाजशास्त्री कहते हैं कि पुरुष व स्त्री के अन्तर को हारमोन्स द्वारा समझा जा सकता है। बहुसंख्यक समाजशास्त्री इस कथन से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि पुरुष व स्त्री के व्यवहार के अन्तर का कारण जेण्डर है। जेण्डर का अर्थ है पुरुष और स्त्री को पुरुषोचित और स्त्रियोचित गुणों को देना । ऐन ओकली जेण्डर की परिभाषा करते हुए कहते हैं कि ज़ेण्डर और कुछ न होकर एक सांस्कृतिक अवधारणा है। उनका निष्कर्ष है—
(1) स्त्रियों में जो जैविकीय लक्षण हैं वे उन्हें कभी किसी भी व्यवसाय को करने से रोकते नहीं है ।
(2) हमें जो सामग्री प्राप्त है, उसके आधार पर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि माँ जिस भूमिका को करती है उसे पिता भी कर सकता है ।
(3) जेण्डर भूमिकाएँ जैविकीय न होकर सांस्कृतिक होती है ।
(4) विभिन्न समाजों की जो तथ्य सामग्री हमें प्राप्त है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि बच्चों के प्रजनन का कार्य ही ऐसा है जिसे केवल स्त्रियाँ करती हैं और दूसरे सब काम स्त्रियाँ भी कर सकती है ।
अतः ऐन ओकली (1974) इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि लिंग और जेण्डर दोनों अलग-अलग हैं। यह जेण्डर ही है जो पुरुष और स्त्री को विभिन्न भूमिकाएँ प्रदान करता है।
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