वन्य जीवों पर संकट के क्या कारण हैं ?

वन्य जीवों पर संकट के क्या कारण हैं ?

उत्तर– वन्य जीवों पर संकट के कारण विश्व में सर्वाधिक वन्य जीवों की विविधता और प्रचुरता वाला देश भारत स्वयं अपनी भूलों के कारण आज इस स्थिति में आ गया है कि कई प्रजातियाँ तो नष्ट होकर समाप्त हो गई हैं। अनेक जातियाँ विनाश के कगार पर हैं और लुप्त प्राय होने की स्थिति में है। वन्य शेर अफ्रीका के बाद भारत में पाया जाता है जिसका आज केवल नाम रह गया। वन्यजीवों के संकट के निम्न कारण हैं —
(1) विगत वर्षों में राजा-महाराजा व जागीरदार लोग अपने शौक के लिए वन्य पशुओं (शेर, बघेरा, चीता, रीछ) का शिकार करते थे और इन पशुओं की खालों को अपने खास कमरे में लगाया करते थे। बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए विशेष शिकार की व्यवस्था आम बात थी।
(2) घने जंगल अथवा वन्य जीव आवास गृहों के सुरक्षित क्षेत्र में घरेलू और पालतू जानवरों के प्रवेश से वहाँ घास आदि में अत्यधिक कमी आई। जंगल का प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ गया। भोजन श्रृंखला में विघ्न पैदा हुआ। अतः वन्य जीवों का स्वतः पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो गया। पानी की कमी भी एक कारण बनी।
(3) माँस, खालें, बाल, आईवरी तथा जीव विशेष के सींगों की माँग से अनाधिकृत रूप से शिकार करने को बढ़ावा मिला और बहुतायत से वन्य जीव समाप्त हो गये।
(4) भारी जनसंख्या के दबाव के कारण घने जंगल, जो इनके सुरक्षित आवास थे, कृषि उत्पादन, मकान निर्माण और बांधों तथा बिजली उत्पादन केन्द्र बनाने हेतु काटे गये। वन्य जीवों का असुरक्षित स्थानों से पलायन हुआ और वे मर गये अथवा मार दिये गये। अतः संख्या पर उसका प्रभाव पड़ा।
(5) वनों की रक्षा को तैनात प्रशासन तंत्र की क्षमता भी उतनी प्रभावी नहीं हो सकी जितनी अपेक्षा थी। अतः चोरी-छिपे शिकार, • ग्रामीण लोगों का अवैध प्रवेश, प्रतिबन्ध क्षेत्र में अत्यधिक चराई और वन अग्नि (Forerst fire) आदि कई समस्याओं ने वन क्षेत्रों की सार्थकता को कम कर दिया। वन्य प्राणी प्रभावित हुए और भी अनेक इसी प्रकार के और कारण हो सकते हैं जिनका प्रभाव वन्य पशुओं पर पड़ता है। विभिन्न प्रकार की कीटनाशी दवाइयों के प्रयोग ने कीट-पतंगों को नष्ट किया है तो अनेक जलचर कुछ मानव स्वार्थ पूर्ति हेतु कुछ समुद्रीय प्रदूषण के कारण और कुछ उनकी कोई सुरक्षा न होने के कारण काल के ग्रास बन गये।
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