वर्ग सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह के कारण एवं प्रभाव का उल्लेख कीजिए।

वर्ग सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह के कारण एवं प्रभाव का उल्लेख कीजिए।

उत्तर— वर्ग सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह के कारण एवं प्रभाव–वर्ग सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए इनके कारण एवं प्रभाव के विषय में जानना आवश्यक है—
(1) शिक्षित एवं अशिक्षित वर्ग – शिक्षित वर्ग को आज भी प्रतिष्ठित नजर से देखा जाता है तथा अशिक्षित वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह के कारण उसे बुद्धिहीन समझा जाता है एवं समाज में उसे ऊँचा स्थान प्राप्त नहीं होता है। इससे शिक्षित तथा अशिक्षित वर्ग के बीच भेदभाव पनपता हैं।
(2) धनी एवं निर्धन वर्ग – धनी वर्ग को समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त है चाहे उसके पास ब्लैक का पैसा हो तथा वह थोड़ी सी दानदक्षिणा कर दे तो उसे दयालु, नरम दिल इन्सान माना जाता है। समाज में वे लोग ऊँचे माने जाते हैं जिनके पास सम्पत्ति होती है जो सभी प्रकार की विलासिता एवं सुख-सुविधाओं की वस्तुएँ खरीदने की क्षमता रखते हैं। इसके विपरीत गरीब तथा सम्पत्ति हीन की स्थिति निम्न होती है। गरीब-अमीर के बीच भेद इसी आधार पर पनपता है।
(3) धार्मिक वर्ग – धार्मिक वर्ग में विभिन्न धर्म के लोग आते हैं जैसे- हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैनी इत्यादि। ये परस्पर एक दूसरे से पूर्वाग्रह रखते हैं। हिन्दू-मुस्लिम वर्ग दोनों में जबरदस्त रूढ़िवादिता है। इसी तरह हिन्दू-सिक्खों में भी भेदभाव है। जैनी भी हिन्दुओं के प्रति पूर्वाग्रह रखते हैं। उन्हें समझाना होगा कि हम सब एक ही ईश्वर की सन्तान हैं। हमारे मन में एक ही रक्त का संचार हो रहा है। इस प्रकार हम कबीर की वाणी का उपदेश देकर रूढ़िवादिता को कम कर सकते हैं।
(4) सत्ताधारी वर्ग – सत्ताधारी वर्ग में वे लोग आते हैं जिनके हाथ में सैनिक शक्ति, सत्ता, शासन होता है। उनकी स्थिति ऊँची होती है। इसी तरह धर्म गुरुओं, पण्डित, पुजारी, महन्त, मुल्ला-मौलवी, पादरी तथा सामान्य लोगों के बीच विषमता पायी जाती है जो वर्ग भेद के लिए उत्तरदायी हैं। इसी तरह राजनेता भी इसी वर्ग में आते हैं। यह पूर्वाग्रह है रूढ़िवादिता है क्योंकि सभी सत्ताधारी राजनेता स्वार्थी अवसरवादी, निरंकुश नहीं होते हैं।
(5) पूंजीपति एवं मजदूर वर्ग (शोषक-शोषित वर्ग ) –  पूंजीपतियों एवं मजदूर वर्ग में रूढ़िवादिता विद्यमान है। पूंजीपति सोचते हैं मजदूर कमजोर हैं। इधर मजदूरों में पूर्वाग्रह है कि पूंजीपति शोषण करते हैं । बोनस काटते हैं। मजदूरों की छटनी करते हैं। अतः उनके बीच भेदभाव को दूर किया जाना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक है कि मजदूर वर्ग सेवाभाव से कार्य करें एवं पूंजीपति वर्ग उनके श्रम के आधार पर वेतन दे ।
इस तरह वर्तमान युग में अनेक चुनौतीपूर्ण रूढ़िवादिता है जो सामने खड़ी है। उनको दूर करना बहुत आवश्यक है।
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