विद्यालयी अभिलेखों की विशेषताएँ बताइये ।
विद्यालयी अभिलेखों की विशेषताएँ बताइये ।
उत्तर – विद्यालयी अभिलेखों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—
(1) गुणवत्ता – किसी भी रिकॉर्ड में शामिल किसी भी जानकारी की गुणवत्ता सटीक और विश्वसनीय होनी चाहिए। सटीकता तथा विश्वसनीयता जितनी अधिक होगी, सूचना की गुणवत्ता भी उतनी ही अच्छी होगी। यही सूचना प्रणाली के कार्य को परिवर्धित करती है ।
(2) प्रासंगिकता – एक प्रासंगिक रिकॉर्ड वह है जो एक प्रणाली की आवश्यकताओं के लिए उपयोगी हो । अनावश्यक या अप्रासंगिक जानकारी को रिकॉर्ड से हटा देना चाहिए जिससे रिकॉर्ड की प्रासंगिकता बनी रहे ।
(3) समयबद्धता – रिकॉर्ड में निहित सूचना बहाल करने योग्य होनी चाहिए जिससे कि महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के बाद उसको पुनः बहाल किया जा सके ।
(4) परिवर्तनशीलता – यह रिकॉर्ड परीक्षण की आम सहमति को प्रदर्शित करता है जितनी सहमति होगी, रिकॉर्ड उतना की स्वीकार्य होगा।
(5) सम्पूर्णता – अभिलेखों का पूर्ण व व्यापक रिकॉर्ड होना चाहिए जिससे उपभोक्ता को आवश्यक पूर्ण जानकारी मिल सके तथा उनके निर्णय प्रभावी हों ।
(6) अभिलेखों का प्रतिधारण तथा प्रबन्ध – अभिलेखों के प्रबन्ध का अर्थ उनका पूरी तरह विनाश करना नहीं है। प्रबन्ध से तात्पर्य अभिलेखों के स्थानान्तरण से है । ऐतिहासिक प्राप्ति, संग्रहालय में अभिलेखों को हस्तान्तरित किया जाता है। विद्यालयी अभिलेखों की आवश्यकता न होने पर हस्तान्तरित कर दिया जाता है। अधिकारियों से सम्बन्धी अभिलेखों को एक निश्चित समय अवधि के बाद समाप्त कर दिया जाता है।
(7) रख-रखाव – अभिलेखों के रख-रखाव में उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो रिकॉर्ड की अच्छी स्थिति, क्रमबद्ध रखाव को सुनिश्चित करती है। रिकॉर्ड प्रबन्धन का यह केन्द्रीय कार्य है।
(8) लागत – अभिलेखों का संरक्षण व रख-रखाव करने में लागत कम होनी चाहिए अर्थात् सूचना, जानकारी को एकत्र करने / संग्रह करने में, विश्लेषण तथा भण्डारण करने में वित्तीय खर्च कम होना चाहिए।
(9) लचीलापन – रिकॉर्ड में संग्रहीत जानकारी में लचीलापन होना चाहिए जिससे इसका उपयोग एक से अधिक बार किया जा सके।
विद्यालयी अभिलेखों का संरक्षण एवं प्रबन्धन–निम्नलिखित प्रकार से विद्यालयी अभिलेख को संरक्षित किया जा सकता है—
(i) वर्गीकरण – अभिलेखों को संरक्षित करने का यह सबसे उचित प्रकार है। इसमें अभिलेखों को विषयों के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है ।
(ii) फाइल भण्डारण – वर्गीकरण प्रणाली निर्धारित करने के बाद फाइलों को चिन्हित कर लिया जाता है इसके पश्चात् उन्हें फाइल कैबिनेट दराज में क्रमबद्ध करके रख दिया जाता है।
(iii) फाइल रख-रखाव – फाइलों की उचित देखभाल करने के लिए उन्हें समय-समय पर चेक करते रहना चाहिए जिससे कि उनकी स्थिति का पता रहे ।
(iv) जाँच करना – जब फाइल या रिकॉर्ड उपयोगकर्ता के लिए खोली जाती है तो उसकी एक प्रणाली होनी चाहिए जिससे फाइलों का क्रम अव्यवस्थित न हो। इसके लिए छोटे कार्ड उपलब्ध होने चाहिए जिन पर फाइल से सम्बन्धित कुछ सूचना अंकित हो तथा उपयोगकर्त्ता आसानी से फाइल के स्थान का पता लगा सके ।
(v) प्राकृतिक कारण – विद्यालयी अभिलेखों को सुरक्षित करके रखना चाहिए जिससे उन पर प्राकृतिक संकट जैसे— बाढ़, कीड़े-मकोड़े, वर्षा सूर्य आदि का प्रभाव न पड़ सके । फाइलों को किसी सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए जहाँ इन प्राकृतिक खतरों से पूर्ण बचाव हो सके।
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