विद्यालयी वातावरण के स्वास्थ्य पर चार प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
विद्यालयी वातावरण के स्वास्थ्य पर चार प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— विद्यालयी वातावरण के स्वास्थ्य पर प्रभाव निम्नलिखित है—
(1) विद्यालय का अस्वास्थ्यप्रद वातावरण – विद्यालय का अस्वास्थ्यप्रद वातावरण बालकों के स्वास्थ्य को बिगाड़ देता है। पाठशाला भवन की अस्वास्थ्यकारक स्थिति, कक्षा-कक्षों की गन्दगी, उनमें प्रकाश तथा हवा आने-जाने की खिड़कियों और रोशनदानों की कमी, अनुपयुक्त फर्नीचर, टाट पटटी, बिना पीठ की बैंचों, क्रीड़ा स्थल एवं क्रीड़ा सामग्री का अभाव, अनुपयुक्त और अरुचिकर पाठ्यक्रम, अध्यापकों का भय, अनुपयुक्त शिक्षण पद्धतियाँ, मूत्रालय और शौचालय का अभाव आदि ऐसे कारण हैं जिनका प्रभाव बालकों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
(2) मल-मूत्रालय मल – मूत्रालय पर्याप्त संख्या में बनाये जाने चाहिये। छात्र एवं छात्राओं के लिये अलग-अलग मूत्रालय होने चाहिये । इनकी दीवारें पक्की होनी चाहिये। फर्श टाईल्स का होना चाहिये जिससे धुलने में सुविधा रहे। इनकी सफाई प्रतिदिन फिनाइल डालकर करनी चाहिये।
(3) विद्यालय में बैठने की व्यवस्था – बालकों को कक्षा में बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिये। सही प्रकार से नहीं बैठने से बालक को पाचन तन्त्र के रोग, दृष्टि रोग तथा रीढ़ की हड्डी के रोग हो जाते हैं। कक्षा में उत्तम श्याम पट्ट का उपयोग करना चाहिये। कुर्सी तथा डैस्क इस प्रकार होनी चाहिये कि बालक को झुकना न पड़े।
(4) विद्यालय में खेल का मैदान एवं व्यायाम शाला –बालकों के शारीरिक विकास के लिये प्रत्येक विद्यालय में खेल का मैदान एवं व्यायाम शाला होनी चाहिये। खेल का मैदान समतल हो, बरसात में मैदान में पानी नहीं भरना चाहिये। गर्मी, वर्षा तथा अधिक सर्दी होने पर व्यायाम खुले मैदान में नहीं हो सकता। व्यायाम शाला के लिये कमरा बड़ा, खुला व हवादार होना चाहिये। इसमें प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिये। ऐसे कक्ष में बैडमिन्टन, टेबिल-टेनिस आदि खेल भी खेले जा सकते हैं ।
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