वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए और सभी वनों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए और सभी वनों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर ⇒ वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों को पाँच वर्गों में बाँटा गया हैं-
(i) अत्यंत सघन वन- ऐसे वन अत्यधिक घने होते हैं। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 1.66% भाग पर इस प्रकार के वन पाये जाते है। मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मेजोरम, अरुणालच प्रदेश में मुख्य रूप प्रकार के वन पाये जाते हैं। इन्हें चिरहरित वन या सदाबहार वन भी कहा जाता है।
(ii) सघन वन- इस प्रकार के वनों में वक्षों का घनत्व 40 से 70% तक पाया जाता है। हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसी प्रकार के वन पाये जाते हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के 3% भाग में यह वन फैला हुआ है। खले वन इन वनों में वृक्षों का घनत्व 10 से 40% तक पाया जाता है। इस प्रकार के वृक्ष कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा के कुछ भाग में मिलता है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 7.12% भू-भाग पर खुले वन का फैलाव है।
(iv) झाड़ियाँ एवं अन्य वन- ऐसे वनों में वृक्षों का घनापन 10% से कम होता है। राजस्थान एवं अन्य अर्द्धशुष्क प्रदेशों में इस प्रकार के वन मिलते हैं। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.68% क्षेत्र पर इसी प्रकार के वन मिलते हैं। .
(iv) मैंग्रोव वन- भारत के तटीय राज्यों में इस प्रकार का वन पाया जाता है। इसका आधार क्षेत्र पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में है। देश के कुल भौगोलिक, क्षेत्र का 0.14% भाग मैंग्रोव वन के अंतर्गत है।