व्यक्तिगत विभिन्नता के क्षेत्रों को बताइये ।

व्यक्तिगत विभिन्नता के क्षेत्रों को बताइये ।

उत्तर– व्यक्तिगत विभिन्नता निम्नांकित क्षेत्रों में पाई जाती हैं—
(1) गामक क्षमता में विभिन्नताएँ– गामक विकास की दृष्टि से भी लोगों में व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। कुछ लोग यान्त्रिक कार्यों को सरलता से कर लेते हैं तो अन्य को इन कार्यों को करने में कठिनाई होती है।
(2) संवेगात्मक विभिन्नताएँ– बच्चों में भी और बड़ों में भी संवेगों की दृष्टि से भिन्नताएँ होती हैं। कुछ बच्चों में संवेगात्मक परिपक्वता पाई जाती है। कुछ में इसका अभाव होता है।
(3) व्यक्तित्व संबंधी विभिन्नताएँ विभिन्न लोग विभिन्न व्यक्तित्व वाले होते हैं। कुछ अन्तर्मुखी तो कुछ बहिर्मुखी ।
(4) सीखने में विभिन्नताएँ  – सीखना व्यक्ति विशेष की क्षमताओं पर आधारित होता है । इसलिए एक ही कार्य को कुछ लोग जल्दी से सीख लेते हैं और कुछ देर से ।
(5) प्रजातीय एवं राष्ट्रीय विभिन्नताएँ –  प्रजातीय आधार पर भी व्यक्तियों में व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। ये भिन्नताएँ उनके रूप-रंग, शारीरिक संरचना आदि में देखी जा सकती हैं। इसीलिए नीग्रो एवं श्वेतों में भिन्नता होती है ।
(6) अभिक्षमता में विभिन्नता – अभिक्षमता का अर्थ है विशिष्ट योग्यता । इस दृष्टि से भी बच्चों में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। कुछ बच्चों में भाषाई अभिक्षमता होती है तो कुछ में मैकेनिकल अभिक्षमता। कुछ में गणितीय अभिक्षमता अधिक होती है तो कुछ में कौशलात्मक अभिक्षमता अधिक होती है।
(7) अभिवृत्तियों में विभिन्नता – अभिवृत्ति का अर्थ है दृष्टिकोण। लोग एक-दूसरे से अपनी अभिवृत्तियों के आधार पर भिन्न होते हैं। कुछ लोग सकारात्मक दृष्टिकोण वाले होते हैं तो कुछ नकारात्मक दृष्टिकोण के, कुछ देश के कानूनों को अच्छा मानते हैं तो कुछ उन्हें बुरा मानते हैं। इसी तरह विभिन्न लोगों का दृष्टिकोण शिक्षा, विवाह, तलाक आदि के प्रति भिन्न होता है।
(8) अभिरुचि में विभिन्नता–अभिरुचियों की दृष्टि से भी हम विभिन्न रुचि के व्यक्ति देखते हैं। कुछ की संगीत में, कुछ की खेलकूद में, कुछ की चित्रकला में तो कुछ की पढ़ने-लिखने में रुचि होती
(9) बुद्धिस्तर में विभिन्नताएँ – विभिन्न व्यक्तियों के बौद्धिक स्तर में अन्तर पाया जाता है। इस दृष्टि से व्यक्ति या बच्चे प्रतिभावान (140 एवं ऊपर) से जड़ बुद्धि (Idiol-25 से नीचे की बुद्धि लब्धि) तक के होते हैं।
(10) चरित्र में विभिन्नताएँ – बालकों में चारित्रिक स्तर पर विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। कुछ बालक झूठ बोलना ठीक नहीं समझते जबकि कुछ बालक बड़े उत्साह से झूठ बोलते हैं। कुछ बालक चोरी, मारपीट तथा अन्य अनैतिक कार्य करते हैं तो कुछ बालकों में इस प्रकार के चारित्रिक दुर्गुण नहीं होते हैं। ये चारित्रिक भिन्नताएँ प्रत्येक में पाई जाती हैं।
(11) लैंगिक विभिन्नताएँ– स्त्रियों और पुरुषों में व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। औरतें कोमल होती हैं जबकि पुरुष कठोर । पुरुषों के दाढ़ी-मूछें उगती हैं तो औरतों के नहीं। पुरुषों की वाणी में कर्कशता होती है तो स्त्रियों की वाणी में मधुरता होती है ।
 (12) शारीरिक विकास में विभिन्नताएँ – बच्चे या व्यक्ति अपने शारीरिक विकास की दृष्टि से भी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। कुछ व्यक्तियों का कद लम्बा तो कुछ का कद छोटा होता है।
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