शहरों में अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन के बारे में बताइये ।
शहरों में अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन के बारे में बताइये ।
उत्तर— शहरों में अपशिष्ट पदार्थों का प्रबन्धन – किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं। ऐसे अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निस्तारण या निपटान के प्रबन्धन को अपशिष्ट प्रबन्धन कहते हैं। इसके अन्तर्गत अपशिष्ट के प्रकार आधार पर निस्तारण की विधि अपनाई जाती है ।
अपशिष्ट प्रबन्धन की विधियाँ – अपशिष्ट प्रबन्धन सामग्री के
प्रकार, स्थान, उपलब्ध क्षेत्र इत्यादि के अनुसार अलग-अलग प्रकार का होता है। प्रबन्धन के अन्तर्गत निम्न विधियाँ काम में लाई जाती है ।
(1) भूमि भराव (Landfill) – इसमें अपशिष्टों को भूमि में गाड़ दिया जाता है। यह अपशिष्ट निपटान का एक बहुत ही साफ व कम खर्च वाला तरीका है । प्रायः भूमि भराव गैर-उपयोग की खानों, खनन से रिक्त हुए स्थानों पर किया जाता है। गलत तरीके से निपटान करने पर पर्यावरण पर उल्टा प्रभाव होता है। ठीक ढंग से अपशिष्ट को न गाड़ने पर कचरा उड़ने लगता है, कीटों को आकर्षित करता है। कार्बनिक अपशिष्ट के अपघटन से मीथेन गैस पैदा होती है जिससे दुर्गन्ध आती है। भूमिभराव आधुनिक नियोजित तरीके से करना चाहिए। गड्ढों को मिट्टी से भर तथा भूमिभराव गैस निकासी हेतु भूमिभराव गैस प्रणाली स्थापित की जाती है। इस गैस को एकत्रित कर विद्युत उत्पादन किया जा सकता है।
(2) पुनर्चक्रण विधि (Recycling method) — अपशिष्ट पदार्थ से पुनः कच्चा माल प्राप्त किया जाता है। इस कच्चे माल से पुनः नई सामग्री का निर्माण किया जाता है। जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट को पुनः कच्चे प्लास्टिक में बदलकर नई प्लास्टिक सामग्री का निर्माण किया जाता है।
पुनर्चक्रण हेतु प्रायः एल्युमीनियम पेय के डिब्बे, इस्पात, भोजन व एयरोसोल के डिब्बे, काँच की सामग्री, गत्ते के डिब्बे, पत्रिकाओं का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में यह कचरा नई सामग्री के निर्माण में अधिक उपयोगी है। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ जैसे पौधे की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद बनाने में किया जाता है तथा इस प्रक्रिया से उत्पन्न गैसे से विद्युत बनाई जाती है।
(3) भस्मीकरण (Incineration) — इस विधि में अपशिष्ट को जलाया जाता है। इसमें अपशिष्ट भाप, ताप, गैस व राख में बदल जाता है। छोटे पैमाने पर भस्मीकरण व्यक्तियों द्वारा तथा बड़े पैमाने पर उद्योगों द्वारा किया जाता है। इसका प्रयोग तरल, ठोस व गैसीय अपशिष्टों के निपटान के लिए किया जाता है। भस्मीकरण जापान जैसे देशों में ज्यादा प्रचलित है। इस प्रक्रिया में कम भूमि की आवश्यकता होती है।
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