शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के मापन एवं मूल्यांकन की तकनीकों का वर्णन कीजिए।
शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के मापन एवं मूल्यांकन की तकनीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विद्यालय स्तर पर शारीरिक फिटनेस की परख के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक एवं विधियों को विस्तारपूर्वक परिभाषित कीजिये ।
अथवा
शारीरिक योग्यता के मूल्यांकन हेतु प्रयुक्त कोई दो तकनीक बताइये।
उत्तर— शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के मापन एवं मूल्यांकन तकनीकों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार हैं—
(1) लिखित परीक्षाएँ – बालकों द्वारा अर्जित ज्ञान तथा समझ (Knowledge and Understanding) एवं उनके भावात्मक व्यवहार रुचि, आदतों तथा अभिवृत्तियों आदि में आने वाले परिवर्तनों की जाँच हेतु लिखित परीक्षाओं का प्रयोग काफी सुविधाजनक सिद्ध हो सकता है । इस कार्य हेतु निबन्धात्मक (Essay Type), लघु उत्तरात्मक (Short Answer Type) तथा वस्तुगत (Objective Type) प्रश्नों का समावेश परीक्षा प्रश्न पत्रों में किया जा सकता है। शारीरिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण से सम्बन्धित क्रियाओं, खेल कूद तथा उससे जुड़ी हुई विभिन्न सैद्धान्तिक तथ्यों की बालकों को कितनी जानकारी तथा सूझ-बूझ है इसकी जाँच इस प्रकार के प्रश्नों द्वारा अच्छी तरह से की जा सकती है। उदाहरण के लिए विभिन्न प्रकार की कूदें (Jumps) तथा फैंकें (Throws) क्या होती हैं ? उन्हें किस प्रकार कुशलतापूर्वक संपादित किया जाता है ? उनके नियम (Rules) तथा आचार संहिता क्या है ? इनके लिए कैसी तैयारी या सावधानी की आवश्यकता होती है ? एक गोले, डिस्कस या जैवलिन को जब फैंकने के काम में लिया जाता है तो उसकी माप-तोल या आकार किस प्रकार का होना चाहिए। किस सीमा में रहकर उन्हें फेंका जाना चाहिए। फैंकी हुई दूरी का माप कैसे लिया जाना चाहिए इत्यादि बहुत सी बातें ऐसी हो सकती हैं, जिनकी जानकारी की जाँच लिखित प्रश्नों के द्वारा हो सकती है। यही बात शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी अन्य तथ्यों, सिद्धान्तों, नियमों एवं क्रियाओं के लिए सही बैठ सकती है और इनकी जाँच हेतु भी उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण किया जा सकता है।
(2) मौखिक परीक्षाएँ – बालकों को शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी बातों की कितनी सैद्धान्तिक जानकारी है इसकी जाँच हेतु उनसे मौखिक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। यह कार्य साक्षात्कार (Interview) के रूप में भी किया जा सकता है तथा दूसरी तरह जब बच्चे शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी विभिन्न क्रियाएँ कर रहे हों तो खेल के मैदान या क्रियाओं को करने के स्थानों पर ही उसी समय उनसे आवश्यक प्रश्न पूछकर उनके ज्ञान, समझ, रुचि तथा दृष्टिकोण आदि की जाँच की जा सकती है।
(3) प्रयोगात्मक परीक्षाएँ – शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के संपादन में बालकों द्वारा जिस प्रकार की विभिन्न कुशलताओं का अर्जन किया गया है, उसकी जाँच हेतु प्रयोगात्मक परीक्षाएँ काफी प्रभावकारी सिद्ध होती हैं । इस कार्य हेतु बालकों से वे सभी क्रियाएँ कराके देखी जा सकती हैं, जिनमें अर्जित कौशल की हम जाँच करना चाहते हैं। शारीरिक क्षमता की जाँच हेतु फिजीकल फिटनैस परीक्षणों की भी मदद ली जा सकती है।
(4) रुचि प्रश्नावली और अभिवृत्ति मांपनी का प्रयोग – शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण के कार्यक्रमों द्वारा बालकों की रुचियों और अभिवृत्तियों में क्या परिवर्तन आया इसकी जाँच हेतु विशेष रूप से बनी हुई रुचि प्रश्नावली तथा अभिवृत्ति मापनी का प्रयोग किया जा सकता है।
(5) रेटिंग स्केल का प्रयोग – बालकों में आये व्यवहारगत परिवर्तनों— रुचि, समझ, आदतों तथा अभिवृत्तियों की जाँच हेतु अध्यापकों, खेल विशेषज्ञों, शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षकों आदि की राय लेना भी उपयुक्त रहता है। कौन बालक किस खेल क्रिया या शारीरिक प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रिया-कलापों में कितनी कुशलता अर्जित कर रहा है, इस बात की जानकारी भी उन लोगों द्वारा अच्छी तरह मिल सकती है, जिनकी देख-रेख में बालक ये सब कुछ करते हैं। इस कार्य हेतु उनके व्यवहार, गुणों तथा कुशलताओं की जानकारी उनके द्वारा की जाने वाली रेटिंग से अच्छी तरह प्राप्त हो सकती है। इसके लिए 5 से 7 बिन्दु रेटिंग स्केल का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे गोला फेंकने में जिस सावधानी की जरूरत है और जिन नियमों का पालन करना जरूरी है, उसको ध्यान में रखते हुए कौन बालक किस स्तर तक पहुँचा है इसकी तुलनात्मक जाँच निम्न में से किसी एक बिन्दु पर गोल दायरा लगाकर की जा सकती है ।
इस दायरे के द्वारा यह बताया जा सकता है कि कौनसा बालक सामान्य या सामान्य से कितनी ऊपर-नीचे है । गुणात्मक व्याख्या के साथ-साथ अंक भी दिये जा सकते हैं। जैसे कमजोर को 3 तथा सर्वोत्तम को 7 आदि । मापन की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए इस प्रकार के अंक कई निरीक्षकों तथा खेल प्रशिक्षकों द्वारा दिलाये जा सकते हैं और फिर उनकी औसत निकाली जा सकती है ।
(6) निरीक्षण या अवलोकन तकनीक का प्रयोग – इस तकनीक का प्रयोग करने में बालकों को अपने स्वाभाविक रूप में व्यक्तिगत या सामूहिक शारीरिक शिक्षा या प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं में भाग लेते हुए निरीक्षण या अवलोकन करने का प्रयत्न किया जाता है। जैसे जब कोई बालक जिम्नास्टिक की कसरतें या योग सम्बन्धी क्रिया करता है तब उसके अंग संचालन, शारीरिक मुद्रा तथा अन्य प्रकार के कौशल प्रदर्शन का बारीकी से निरीक्षण किया जाता है। दौड़ते समय, कूदते समय या किसी तरह के फेंकने सम्बन्धी प्रदर्शन करते समय बालक या बालकों द्वारा जो भी प्रदर्शन किया जाता है उसका खेल निरीक्षक, शारीरिक शिक्षा अध्यापक तथा प्रशिक्षकों द्वारा उचित रूप से निरीक्षण किया जाता है तथा उसके प्रदर्शन के स्तर का मापन एवं मूल्यांकन किया जाता है । इस अवलोकन में वे अवलोकन हेतु विभिन्न यांत्रिक उपकरणों दूरबीन, वीडियो कैमरा, ऑडियो टेप, फोटोग्राफिक कैमरा तथा निरीक्षण अनुसूची आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
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