शिक्षण व अधिगम में वृद्धि में खेल के मैदान की भूमिका को समझाइये।
शिक्षण व अधिगम में वृद्धि में खेल के मैदान की भूमिका को समझाइये।
अथवा
खेल के मैदान का उपयोग बताइये |
अथवा
‘क्रीडा मैदान’ (खेल का मैदान) के उपयोग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— खेल के मैदान की उपयोगिता या खेल के मैदान की भूमिका—
(1) खेल बालक के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास के लिए अत्यधिक आवश्यक है, अत: विद्यालय में खेल का मैदान होना जरूरी है।
(2) खेल के मैदान में छात्र अन्य छात्रों के सम्पर्क में आता है इससे उसमें एकीकरण एवं सामंजस्यता की भावना का विकास होता है।
(3) खेल के मैदान में खेले जाने वाले विभिन्न खेलों से मनोरंजन के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है।
(4) खेल के मैदान में खेलते समय बालक स्वतंत्र रूप से व्यवहार करता है तथा अपनी रुचियों को प्रकट करता है, जिससे अध्यापक को छात्रों के व्यवहार की भिन्नता का पता लगता है।
(5) अध्यापक छात्रों की भिन्नताओं के आधार पर ही शिक्षण व अनुदेशन प्रदान करता है।
(6) खेल के मैदान में खेलकर बालक में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा एवं निर्णय शक्ति का विकास होता है ।
(7) शारीरिक विकास की कल्पना खेल के मैदान के अभाव में पूरी नहीं हो सकती।
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