संपोषित विकास हेतु प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन किस प्रकार होना चाहिए ?

संपोषित विकास हेतु प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन किस प्रकार होना चाहिए ?

उत्तर⇒अकसर ही पर्यावरणीय समस्याओं से हम रू-बरू होते हैं। यह अधिकतर वैश्विक समस्याएँ हैं । इनके समाधान में हम अपने-आपको असहाय पाते हैं। इनके लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं विनियम हैं तथा हमारे देश में भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कानून हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं।
संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से (निःशेषण से) उत्पन्न समस्याओं के विषय में जागरूकता हमारे समाज में अपेक्षाकृत एक नया आयाम है। इसी का उदाहरण है ‘गंगा सफाई योजना’ जो करीब 1985 में प्रारंभ की गई क्योंकि गंगा के जल को गणवत्ता बहत कम हो गयी थी। प्राकतिक संसाधनों का प्रबंधन दीर्घकालिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हए करना होगा जिससे कि ये अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके। इस प्रबंधन में इस बात का भी सनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इनका वितरण सभी वर्गों में समान रूप से हो। सबसे मुख्य बात है कि संपोषित प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में अपशिष्टों के सरक्षित निपटाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

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