संवेग के प्रकारों को वर्गीकृत कीजिए। संवेगात्मक विकास में एक विद्यालय की क्या भूमिका होती है ?
संवेग के प्रकारों को वर्गीकृत कीजिए। संवेगात्मक विकास में एक विद्यालय की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर – संवेग ( भावनाओं) के प्रकार-संवेग (भावनाओं) के सा प्रकार को निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है—
(1) संज्ञानात्मक भावनाएँ- प्रत्येक मनुष्य में प्रत्येक क्षण कुछ न कुछ भावनाएँ जन्म लेती रहती हैं। अगर ये भावनाएँ एवं संवेग व्यक्ति में न हो तो उसका जीवन नीरस हो जाता है। संज्ञानात्मक भावनाएँ मस्तिष्क के अगले हिस्से (प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स) में उत्पन्न होती है। संज्ञानात्मक क्रिया चेतन या अवचेतन हो सकती है तथा वैचारिक प्रक्रिया का रूप ले सकती है और नहीं भी ले सकती है।
(2) स्वाभाविक भावनाएँ— जिस प्रकार से संज्ञानात्मक भावनाएँ मस्तिष्क के अगले हिस्से में उत्पन्न होती हैं, उसी प्रकार से स्वाभाविक भावनाएँ भी मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से (एमिग्डाला) में उत्पन्न होती हैं। इन्हें गैर-संज्ञानात्मक भावना भी कहा जाता है। ये भावनाएँ किसी घटना या दृश्य को देखकर स्वतः ही उत्पन्न हो जाती हैं।
( 3 ) बुनियादी भावनाएँ— बुनियादी भावनाएँ व्यक्ति की एक प्रकार से मूल भावनाएँ होती हैं। कई बार जटिल भावनाओं के साथ बुनियादी भावनाओं को जोड़कर इन्हें जटिल भावनाओं में परिवर्तित कर दिया जाता है। जैसे-सांस्कृतिक पहचान की छवि जब राजनीतिक समूह से संयुक्त हो जाती है, तब यह एक जटिल रूप धारण कर लेती है और संघर्ष की स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं ।
(4) अवधि आधारित भावनाएँ—अवधि आधारित भावनाओं की अगर बात की जाए तो प्रत्येक व्यक्ति पर इसका प्रभाव अलग होता है। कुछ भावनाएँ कुछ सेकण्ड की होती हैं जैसे—आश्चर्य तथा कुछ भावनाएँ कई वर्षों तक रहती हैं, जैसे—प्यार ।
इस प्रकार उपर्युक्त तथ्यों के विश्लेषण के आधार पर ये कहा जा सकता है कि यद्यपि भावनाएँ कई प्रकार की होती हैं, परन्तु प्रत्येक भावना का अपना विशिष्ट प्रभाव होता है तथा व्यक्ति की प्रतिक्रिया भी उसी के अनुसार होती है ।
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