संस्कृति से आप क्या समझते हैं ?
संस्कृति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – संस्कृति (Culture) — संस्कृति शब्द का प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है। समाजशास्त्र में इस धारणा के सम्बन्ध में बड़ा विवाद है। इसकी अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। दो अमेरिकी मानवशास्त्रियों ए. एल. क्रोबर एवं क्लाइड क्लकहन ने संस्कृति की 164 परिभाषाओं को जमा किया। सामान्य शब्दों में हम संस्कृति को एक समाज का सम्पूर्ण धरोहर कह सकते हैं जिसमें उस समाज के लोगों के द्वारा विकसित, निर्मित एवं व्यवहृत सभी चीजें शामिल होती है।
संस्कृति के सम्बन्ध में तीन भ्रामक धारणाएँ प्रचलित है। बहुत लोग संस्कृति को अच्छा व्यवहार, अच्छी पोशाक एवं अच्छी भाषा से जोड़ते हैं। कुछ दूसरे लोग संस्कृति को मनोरंजन का कार्यक्रम कहते हैं। इसमें साहित्य, संगीत, नाटक आदि को शामिल कर लेते हैं। अनेक विद्वान संस्कृति के अन्तर्गत केवल अभौतिक पक्षों को शामिल करते हैं पारसन्स ने भी ऐसा ही किया। अमेरिका में अधिकतर प्रकार्यवादी विद्वान संस्कृति को अभौतिक कहते हैं ।
संस्कृति की परिभाषाएँ – संस्कृति की सबसे लोकप्रिय परिभाषा इंग्लैण्ड के मानवविज्ञानी एवं मानवविज्ञान के जनक ई. बी. टायलर ने 1871 ई. में अपनी पुस्तक ‘प्रमिटिव कल्चर’ में दिया। उनके अनुसार संस्कृति अथवा सभ्यता एक जटिल समष्टि है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, प्रथाएँ एवं अन्य आदतें और अन्य क्षमताएँ शामिल हैं, जिन्हें मानव ने समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त किया है। टायलर ने संस्कृति के मूल तत्त्वों (i) मानव क्षमता एवं प्रौद्योगिकी, (ii) मानव के सृजन, (iii) कानून, ज्ञान, विश्वास एवं नैतिकता को शामिल किया है।
ब्रिटिश समाजशास्त्री एन्थनी गिडेन्स ने सही कहा है कि समाजशास्त्र में संस्कृति एवं समाज सबसे प्रचलित धारणाएँ हैं। गिडेन्स ने कहा कि संस्कृति में मूल्य होते हैं जिन्हें लोग स्वीकार करते हैं, जिनका लोग | पालन करते हैं एवं संस्कृति में भौतिक वस्तुएँ होती हैं जिन्हें लोग गढ़ते हैं तथा प्रयोग करते हैं । एम. जे. हर्सकोविट्स ने अपनी पुस्तक ‘मैन एण्ड हिज वर्क्स’ में संस्कृति की विशद चर्चा की। उनके अनुसार मानव के सभी कार्य एवं कृतियाँ संस्कृति हैं। हर्सकोविट्स ने कहा है कि पर्यावरण का मानव निर्मित अंश संस्कृति है। राल्फ पिडिंगटन के अनुसार संस्कृति में वे सभी भौतिक एवं बौद्धिक साधन शामिल हैं जिनसे मानव अपनी बौद्धिक एवं जैविक आवश्यकताओं को पूरा करता है । मैलीनोवस्की ने संस्कृति को मनुष्य की व्यापकतम् कृति कहा की व्यापकतम् कृति कहा है जो एक साधन है, जिससे वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करता है ।’
वर्तमान समय में समाजशास्त्रीय विमर्श में संस्कृति की अधिक ठोस और विशिष्ट धारणा अपनाई जाती है। संस्कृति में नियम, मूल्य, सृजन, साहित्य, संगीत, प्रतीक चिह्न, विश्वास एवं विचार सम्मिलित किए जाते हैं। संस्कृति समाज की धरोहर है, परन्तु यह उसके अभौतिक पक्षों से अधिक जुड़ी है। संस्कृति को हम एक समाज विशेष की जटिल, सामूहिक, ग्रहण की जाने वाली कृतित्वों को एकीकृत धरोहर कह सकते हैं जिसमें भौतिक, आर्थिक, नियामक, विश्वास सम्बन्धी, चिह्न एवं प्रतीक सम्बन्धी तथा ज्ञान, विचार तथा विचारधारा के तत्त्व शामिल होते हैं।
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