सचेतन किसे कहते हैं ? तालमेल एवं शान्ति किस प्रकार से सचेतन से सम्बन्धित है ?

सचेतन किसे कहते हैं ? तालमेल एवं शान्ति किस प्रकार से सचेतन से सम्बन्धित है ? 

उत्तर— सचेतन / सजगता / सम्पूर्णता— व्यक्ति में सामंजस्य और शान्ति के लिए मानसिक रूप से सम्पूर्ण होना भी आवश्यक है । मानसिक रूप से सजगता/ पूर्णता वर्तमान क्षण में होने वाले आन्तरिक और बाहरी अनुभवों के लिए किसी के ध्यान में लाने की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। सजगता/ पूर्णता को ध्यान और अन्य प्रशिक्षण के अभ्यास के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। अपने आसपास के वातावरण अपने विचारों, भावनाओं, शारीरिक उत्तेजना के प्रति जागरूकता या सचेतना बनाए रखना व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है। इसमें इस प्रकार की स्वीकृति भी सम्मिलित है कि व्यक्ति बिना आंकलन किए अपने विचारों और भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित कर लेता है।

सचेतन के द्वारा शांति व सामंजस्य —“गंदा पानी थोड़ी देर स्थिर रखने पर साफ हो जाता है उसी प्रकार यदि हमारा दिमाग थोड़ी देर स्थिर रहेगा, तो दिमाग की सारी तकलीफें भी साफ हो जाएँगी ।”
माइन्डफुलनेस स्व-जागरूकता प्रशिक्षण का एक स्वरूप है जिसे बौद्ध ध्यान साधना से लिया गया है । इस प्रकार के ध्यान का उपयोग अवसाद व तनाव की परिस्थितियों के उपचार व मनःस्थिति के नियंत्रण हेतु किया जाता है। माइन्डफुलनेस (Mindfulness) वर्तमान में जीने की वह अवस्था है जिसमें परिस्थितियों को बिना किसी निर्णय के उनके मूल स्वरूप में स्वीकार कर लिया जाता है। अर्थात् उनके अच्छे या बुरे रूप को ना देखकर सिर्फ वर्तमान रूप को देखा जाता है। यह वर्तमान में जीवन जीना सिखाने की कला है। माइन्डफुलनेस से व्यक्ति सीखता है कि कैसे खुशी-खुशी वर्तमान में जिया जाये, ना भविष्य की चिन्ता हो ना भूतकाल का डर, जो भी वह वर्तमान है, आज है अभी है, यही जीवन का सार है अर्थात् हर पल जीओ।
माइन्डफुलनेस भारतीय शब्द सति का रूपान्तरण है जिसका अर्थ है जागरूकता, ध्यान व स्मृति । अतः माइन्डफुलनेस के निम्न महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं—
(1) ध्यान केन्द्रित करना— चयन किये गए कार्य पर पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित करो ।
(2) वर्तमान क्षण– वर्तमान क्षण ही सत्य है। प्रत्येक क्षण को जिओ ।
(3) प्रतिक्रिया न करें- सामान्यतः हम किसी भी कार्य की प्रतिक्रिया अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर करते हैं तथा विचलित हो उठते हैं अतः प्रतिक्रिया न करके कार्य का वर्तमान आधार पर प्रत्युत्तर दें, | जिससे तनाव न हो।
(4) अनिर्णयवादिता – सामान्यतः हम वर्तमान में कोई भी घटना होने पर उसके अच्छे-बुरे के सम्बन्ध में तुरन्त निर्णय लेकर खुश या दुःखी होने लगते हैं । माइन्डफुलनेस का प्रशिक्षण सिखाता है कि परिस्थितियों को जैसी वे हैं वैसी ही स्वीकार कर लें इससे दिमाग में स्थिरता आएगी।
माइन्डफुलनेस की आवश्यकता—
(i) अवसाद को कम करने में
(ii) चिन्ता को कम करने में
(iii)  तनाव के स्तर को कम करने में
(iv) शारीरिक कष्ट को कम करने में
(v) अच्छी नींद लेने में
(vi)  मनःस्थिति को नियंत्रित करने में
(vii) शरीर की ऊर्जा में वृद्धि हेतु
(viii) आत्म-सम्मान को बढ़ाने हेतु
(ix) आत्म भय को कम करने में
(x) भावनात्मक सन्तुलन बनाने में ।
माइन्डफुलनेस सिखाता है कि विचारों को सत्य मानकर दुःखी न हों तथा इन्हें भावनाओं से न जोड़ें। माइन्डफुलनेस समस्या का समाधान करने पर ध्यान केन्द्रित नहीं करता वरन् यह उस समस्या को स्वीकारने पर बल देता है। अतः अगर आप चिन्ताग्रस्त हैं तो यह सिखाता है चिन्ता व तनावों से लड़ने की जगह उन्हें स्वीकार कर लें जिससे संघर्ष की स्थिति ही पैदा न हो।
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