“सतत् एवं व्यापक आंकलन विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास का आंकलन करता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

“सतत् एवं व्यापक आंकलन विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास का आंकलन करता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर – सतत् एवं व्यापक आंकलन – शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान आंकलन करते रहने से शिक्षकों को छात्रों के बारे में जानकारी प्राप्त होती रहती है जिससे अध्यापक उचित समय पर विशेषकर तब जब छात्र को अधिगम में कोई कठिनाई हो रही हो या उसे किसी विशेष सहायता की आवश्यकता हो तब वह उसकी उचित कार्यवाही करके अधिगम में वृद्धि कर सकता है। सतत् आंकलन हेतु किसी संरचित परीक्षण जो किसी निश्चित समय पर प्रत्येक छात्र को दिया जाता है की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रक्रिया शिक्षण के साथ-साथ चलती रहती है जिस कारण छात्रों को यह ज्ञात नहीं हो पाता है कि उनका आंकलन किया जा रहा है।
व्यापक आंकलन के अन्तर्गत छात्र के समग्र विकास की बात की जाती है व्यापक आंकलन के अन्तर्गत छात्रों के विभिन्न कौशल, भावात्मक एवं क्रियात्म्क पक्ष का आंकलन किया जाता है। व्यापक आंकलन कुछ पाठ के समाप्त होने के बाद प्रश्नों या विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से तथा उन गतिविधियों के द्वारा प्राप्त आंकड़ों के द्वारा किया जाता है।
सतत् एवं व्यापक आंकलन के सोपान (Steps of Continuous and Comprehensive Assessment)—
प्रत्येक छात्र में विशिष्ट योग्यता होती है तथा वह अपनी विशिष्ट शैली में ही सीखता है। विकास के विभिन्न क्षेत्रों में बच्चों की प्रगति दर वित होती है। बच्चे की सीखने की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए स्वप्रथम आवश्यक है कि उसकी गति रुचि कम शैली के सम्बन्ध में जानकारियाँ प्राप्त की जाएं। सतत् एवं व्यापक आंकलन के विभिन्न सोपान निम्नलिखित हैं—
(i) भिन्न-भिन्न स्रोतों से तरह-तरह की विधियों के द्वारा छात्रों के बारे में सूचनाओं एवं प्रमाणों का संग्रह करना ।
(ii) प्राप्त सूचनाओं एवं प्रमाणों को अभिलेखों में दर्ज करना (रिकॉर्डिंग करना) ।
(iii) संग्रहीत सूचनाओं एवं प्रमाणों के आधार पर बच्चे की प्रगति के सम्बन्ध में निष्कर्ष निकालना ।
(iv) आंकलन सम्बन्धी पृष्ठपोषण बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों व अन्य सम्बन्धित लोगों को बताना ।
(v) विभिन्न अभिलेख तथा शिक्षक डायरी, छात्र संचयी प्रपत्र, छात्र प्रोफाइल आदि का उपयोग शिक्षण योजना में प्राप्त सूचनाओं को दर्ज करने में किया जाता है।
कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम को कक्षावार एवं विषयवार दो भागों में विभाजित कर माड्यूल्स तैयार किये जाते हैं। शिक्षण सत्र को पाँच-पाँच माह के दो टर्म में विभाजित किया गया है। प्रथम टर्म जुलाई से नवम्बर तक तथा द्वितीय टर्म दिसम्बर से अप्रैल तक। छात्रों की प्रगति दर्शाने के लिए ग्रेड प्रदान किया जाता है ।
सतत् एवं व्यापक आंकलन के परिप्रेक्ष्य में विद्यालय का स्वरूप (Nature of School in the Perspective Continuous and Comprehensive Assessment)
 शिक्षा का अधिकतर कानून के अन्तर्गत सी.सी.ई. के परिप्रेक्ष्य में विद्यालय का स्वरूप इस प्रकार होना चाहिए—
(i) शिक्षकों को अपनी शिक्षण योजना में बदलाव करना होगा।
(ii) बच्चों का नियमित मूल्यांकन करना होगा।
(iii) पाठ्यक्रम का प्रबन्धन करना होगा कि दक्षताओं पर समग्रता के साथ काम किया जाए।
(iv) विद्यालय में मूल्यांकन के उपकरणों एवं तरीकों में बदलाव करना होगा।
(v) कक्षा प्रबन्धन एवं समय प्रबन्धन को बच्चों के मूल्यांकन के आधार पर लचीला बनाना होगा।
(vi) बच्चों की प्रगति को प्रदर्शित करने की ऐसी तकनीक को अपनाना होगा जिन्हें छात्रों के विषय में शिक्षा के उद्देश्यों को परिप्रेक्ष्य में जानना आवश्यक हो ।
(vii) शिक्षण अधिगम सामग्री इस तरह तैयार करनी होगी जो कि अन्ततः बच्चों को ज्ञान के सृजन के अवसर देती हो ।
(viii) सी.सी.ई. के अन्तर्गत प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री—
(a) स्रोत पुस्तिका
(b). योजना एवं आंकलन पंजिका।
(c) विद्यार्थी मूल्यांकन प्रतिवेदन
(d) कार्य पत्रक ।
(e) पोर्टफोलियो फाइल |
(f) संचयी अभिलेख प्रपत्र ।
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