सप्तक क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
सप्तक क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर— सप्तक–नाद के दो सीमान्त विराम माने गए हैं। निचली सीमा का स्वर निचली सीमा के स्वर से ऊपरी सीमा का स्वर का आवृत्ति दूना ऊँचा होगा। जैसे यदि नीचे सीमा का एक स्वर 120 आवृत्ति का होगा तो ऊपरी सीमा का स्वर 240 आवृत्ति का होगा। मध्य षड्ज और तार षड्ज के बीच 6 सीढ़ियाँ मानी गयी हैं। इन 6 स्वर से ‘सा’ को पहला स्वर मिलने पर सात स्वरों का सप्तक बन जाता है । षड्ज, ऋषभ, गंधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के सप्तक स्वरों के नाम हैं। पाश्चात्य प्रणाली में एक सप्तक के सात स्वरों के नाम हैं— C, D, E, F, G, A और B I
‘अभिनव राग मंजरी’ में पहले सप्तक को मन्द्र सप्तक, दूसरे को मध्य तथा तीसरे को तार सप्तक माना गया है।
(1) मन्द्र सप्तक–हृदय स्थान से निकलने पर जिन स्वरों पर जोर पड़ता है, उन स्वरों को मन्द्र सप्तक स्वर कहते हैं। इस सप्तक के स्वरों की मध्य सप्तक के स्वरों से आधी नीची आवाज होती है।
(2) मध्य सप्तक–मानव शरीर के कंठ स्थान पर जो साधारण रूप से स्वर निकलते हैं, उन स्वरों को मध्य सप्तक स्वर कहते हैं । यह स्वर मन्द्र सप्तक स्वरों से दूने ऊँचे होते हैं।
(3) तार सप्तक–जिन स्वरों के निकलने पर मानव शरीर के सिर स्थान पर जोर पड़े, वे स्वर तार सप्तक कहे जाते हैं। तार सप्तक के स्वर मन्द्र सप्तक के चौगुने ऊँचे तथा मध्य सप्तक के दूने ऊँचे होते हैं।
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