समावेशी शिक्षा की परिभाषा लिखिए।
समावेशी शिक्षा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर – समावेशी शिक्षा का तात्पर्य–विद्यालय में सभी बच्चों को उनकी बौद्धिक, भाषायी, सामाजिक, भावनात्मक परिस्थितियों की परवाह किये बिना समायोजित करना ‘समावेशी शिक्षा’ है। इसमें सामान्य विद्यालय में सामान्य तथा बाधित बालकों को एक साथ शिक्षा प्रदान की जाती है। ऐसा करने से, बालकों में हीन भावना न आए और वे मुख्य धारा से अलग न हों, उद्देश्य निहित है। विशिष्ट शिक्षा का उद्देश्य जो बच्चे बाधित हैं और कम सीख पाते हैं, उनमें छिपी हुई योग्यता को उभारना है, जिससे योग्यता का प्रयोग देश के हित में किया जा सके।
समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत सभी प्रकार के असमर्थ बालकों को सामान्य कक्षाओं में नहीं पढ़ाया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि असमर्थ बच्चों को तभी सामान्य कक्षा में डाला जाये जब कि वहाँ का वातावरण उसकी आवश्यकताओं के अनुकूल हो एवं वे स्वयं को दूसरों से पृथक् महसूस न करें।
समावेशी शिक्षा की परिभाषायें— यूनेस्को के अनुसार, “समावेशी शिक्षा वर्णन के लिये अतिसंवेदनशील तथा सीमांत स्थित सभी अधिगमकर्त्ताओं की शिक्षा के अवरोधों को हटाने से सम्बन्धित है यह एक प्रतिमानित उपागम है जिसे सभी बालकों की शिक्षा में सफलता के लिये निर्मित किया गया है, इसका सामान्य उद्देश्य व्यक्ति के शिक्षा के अधिकार के सभी वर्णन को कम करना तथा निराकरण करना है कम से कम प्राथमिक स्तर शिक्षा से तथा इस प्रकार सभी के लिये गुणात्मक शिक्षा तक पहुँच, भागीदारी तथा सीखने में सफलता को संभव बनाना है।”
माइकेल एफ. जिआनग्रेको के अनुसार, “समावेशी शिक्षा से अभिप्राय उन मूल्यों, सिद्धान्तों और प्रयासों के समूह से है जो सभी विद्यार्थियों को, चाहे वे विशिष्ट हों अथवा नहीं, प्रभावकारी और सार्थक शिक्षा देने पर बल देते हैं।”
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