सस्वर वाचन के भेद बताइए।
सस्वर वाचन के भेद बताइए।
उत्तर— सस्वर वाचन के भेद—सस्वर वाचन के गुण के आधार पर इसके निम्नलिखित भेद किये जा सकते हैं—
(1) आदर्श वाचन—कक्षा में अध्यापक के द्वारा किया जाने वाला वाचन आदर्श वाचन कहलाता है, क्योंकि यह छात्रों के लिए वाचन के आदर्श रूप में होता है। एक शिक्षक को सुन्दर वाचन में ध्यान रखने योग्य बातों को ध्यान में रखकर वाचन करना चाहिए जिससे छात्रों को वाचन के लिए उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सके और वे उसका उसी रूप में अनुकरण कर सकें। यदि शिक्षक द्वारा किये गये वाचन में त्रुटियाँ रहती हैं तो उसे आदर्श वाचन नहीं कहा जा सकता है। इसलिए शिक्षक को पूर्ण सचेष्ट होकर वाचन के घटकों को ध्यान में रखकर ही आदर्श वाचन करना चाहिए ।
(2) अनुकरण वाचन—अनुकरण वाचन कक्षा में छात्रों द्वारा किया जाता है। इसे अनुकरण वाचन इसलिए कहा जाता है कि, क्योंकि इसमें छात्र शिक्षक द्वारा किये गये वाचन के अनुसार ही वाचन करने का प्रयास करता है। अनुकरण वाचन के दो भेद हैं—
(i) व्यक्तिंगत वाचन—व्यक्तिगत वाचन में छात्र अकेला जोर से उच्चारण करता हुआ उचित आरोह-अवरोह, गति, स्वर और प्रवाह आदि के साथ पढ़ता है। उसके द्वारा इस प्रकार से पढ़ने से उसकी वाचन सम्बन्धी कमियों का शिक्षक को पता चल जाता है और उन कमियों को शिक्षक द्वारा दूर किया जा सकता है । इस प्रकार के वाचन से छात्र में आत्मविश्वास बढ़ता है और वक्तृत्व शक्ति का विकास होता है।
(ii) समवेत वाचन ( सामूहिक वाचन )—इस वाचन में छात्र कक्षा के अन्य छात्रों के साथ सामूहिक रूप से सस्वर वाचन करता है। छोटी कक्षाओं के लिए यह अत्यधिक उपयोगी है। छोटी-छोटी कविताओं एवं बाल उपयोगी गीतों का समवेत वाचन करना हमेशा उचित रहता है। इसके लिए ठीक यह रहता है कि सबसे पहले शिक्षक छात्रों के समक्ष आदर्श वाचन प्रस्तुत करे फिर शिक्षक छात्रों से उसी रूप में एक साथ छात्रों को वाचन करने का निर्देश दे । इससे जो छात्र अकेले पढ़ने में संकोच करता है वह भी समवेत वाचन में अन्य छात्रों के साथ खुलकर वाचन करना सीख जाता है और उसकी झिझक समाप्त हो जाती है।
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