सहयोगी अनुशिक्षण (Peer Tutoring) क्या है ? सहयोगी अनुशिक्षण के लाभ तथा हानियों का वर्णन कीजिए ।

सहयोगी अनुशिक्षण (Peer Tutoring) क्या है ? सहयोगी अनुशिक्षण के लाभ तथा हानियों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर— सहयोगी अनुशिक्षण-अनुशिक्षण की प्रक्रिया से एकसे एक को शिक्षण या अधिगम किया जाता है। यह प्रक्रिया विद्यालयों में समावेशी को प्रोत्साहन देती है। इसमें एक व्यक्ति जो वरिष्ठ या पुराना विद्यार्थी या विशेषज्ञ अध्यापक अनुशिक्षण की भूमिका में होता है और अधिगमकर्त्ता वह होता है जो निर्देशन ग्रहण करता है। अनुशिक्षण बालक की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयोग में लिया जाता है जिसमें बालक का निदानात्मक एवं सहयोगात्मक निर्देशन किया जाता है। सम्मिलित शिक्षा में सहयोगी शिक्षा सर्वाधिक प्रभावशाली प्रकार है। “
इसमें निर्देश देने वाला बालक का ही कोई सहयोगी होता है । अर्थात् बालक दूसरे बालकों को एक-एक कर पढ़ाते हैं । यह समआयु प्रकार का अनुशिक्षण होता है। आयु-भेद अनुशिक्षण उस निर्देशनात्मक स्थिति से सम्बन्ध रखता है जिसमें समकक्ष उत्कृष्ट बालक अपने से छोटे व निम्न स्तर के बालकों का निर्देशन करते हैं । समआयु अनुशिक्षण यह निर्देशन होता है जिसमें अनुशिक्षण प्रक्रिया में समान आयु के बालकों का शिक्षण शामिल होता है । जिस किसी प्रकार का भी सहयोगी अनुशिक्षण अपनाया जाता है, यह सप्ताह में दो बार, हस्तलेखन, अंकगणित या फिर सामाजिक व्यवहार सिखाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
सहयोगी अनुशिक्षण के उद्देश्य – सहयोगी अनुशिक्षण के उद्देश्यों में सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक क्षेत्रों के ज्ञानात्मक पहलू शामिल हो सकते हैं ।
ज्ञानात्मक क्षेत्र – ज्ञानात्मक कौशल सिखाना जैसे वर्तनी, हस्तलेखन आदि ।
सामाजिक क्षेत्र – बालक के सामाजिक व्यवहार को सुधारना जैसे— सहयोग, परस्पर सम्मान आदि ।
इसके उद्देश्य भले जो भी हों पर इसे कक्षा शिक्षण के प्रतिस्थापक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। सहयोगी अनुशिक्षक को भी नियमित अध्यापक का प्रतिस्थापक नहीं समझना चाहिए। अनुशिक्षक को निदानात्मक निर्देशन कर सहभागी की भूमिका निभानी चाहिए।
सहयोगी अनुशिक्षण के लाभ एवं सीमाएँ – सहयोगी अनुशिक्षण इसके सक्षम लाभों के कारण सम्मिलित शिक्षा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। इस प्रकार का अनुशिक्षण न केवल विशिष्ट आवश्यकताओं वाले, बालक के लिए लाभकारी होता है बल्कि सभी बालकों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें अनुशिक्षण से जुड़े सभी पक्षों को लाभ पहुँचाने की क्षमता होती है। अगर अध्यापक विषय-वस्तु से संबंधित कोई कार्यक्रम आयोजित करता है तो अनुशिक्षण उसकी हर गतिविधि में बहुत सहायता करता है। वे दोनों मिलकर अनुशिक्षित को उसकी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में सहयोग सुनिश्चित करते हैं। वे मिलकर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। विषय-सामग्री को समय रहते पूर्ण करना तो लगभग निश्चित होता है। ऐसी स्थिति में अनुशिक्षक विद्यार्थी पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित करता है और विद्यार्थी उपयुक्त नियमितता के साथ अपनी अधिगम प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है।
अनुशिक्षक प्रभावशाली ढंग से विद्यार्थी की अधिगम गतिविधियों को देखता है। इस दौरान हर गलती को पहचान कर ठीक किया जा सकता है। एक-को-एक कर किए गए शिक्षण में गलत अधिगम को समय रहते सुधारने की संभावना बनी रहती है ।
अनुशिक्षण विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बालक एवं अनुशिक्षकों के मध्य स्वस्थ संबंध बनाता है। यह नियमितं विद्यार्थियों एवं विशिष्ट बालकों के मध्य सकारात्मक संचार को प्रोत्साहित करता है और इसके साथ ही यह सहयोग से कार्य करने को बढ़ावा देता है। सहयोगी अनुशिक्षण निकट व्यक्तिगत संबंधों, व्यक्तिगत अन्तर्निर्भरता और परिणामों के प्रति साझा उत्तरदायित्व को प्रोत्साहित करता है क्योंकि सहयोगी शिक्षण सभी कमियों को हटाने की पहल करता है । ये सभी बालक दिन-प्रतिदिन की नियमित गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगते हैं। यह अधिगम वाताबरण को प्रतिस्पर्धात्मक बनाता है ।
यद्यपि सहयोगी अनुशिक्षण के अनेक लाभ हैं पर हम इसमें निहित अनेक त्रुटियों से मुँह नहीं मोड़ सकते हैं । अन्तर्व्यक्तिगत संबंधों एवं अंतर्संचार उस समय बुरी तरह प्रभावित होता है जब एक ही अनुशिक्षक को एक से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में अनुशिक्षक के लिए प्रबंधन की समस्या भी आड़े आती है। जब अनुशिक्षक एवं अनुशिक्षित के मध्य स्थिति गंभीर हो जाती है तो इसकी सफलता के अवसर नगण्य हो जाते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि अनुशिक्षक अपने अनुशिक्षण में दक्ष हों ।
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