सूचना का क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएँ समझाइये । ज्ञान तथा सूचना के सम्बन्ध का वर्णन कीजिए । अथवा ज्ञान तथा सूचना के संबंध का वर्णन कीजिए।

सूचना का क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएँ समझाइये । ज्ञान तथा सूचना के सम्बन्ध का वर्णन कीजिए । अथवा ज्ञान तथा सूचना के संबंध का वर्णन कीजिए।

उत्तर – सूचना का अभिप्राय–सूचना से हमारा तात्पर्य एक ऐसे ज्ञान से है जो किसी विशेष तथ्य विषय या घटना से सम्बन्धित हो साथ ही वह सम्प्रेषणीय भी हो । मानव जब किसी विषय पर विचार करता है. तो उसके मस्तिष्क में उस अमुक विषय से सम्बन्धित विभिन्न विचार, कल्पनाएँ, प्रतिबिम्ब, प्रतिरूप, अनुभूति, संवेदना एवं उत्तेजना आदि उत्पन्न होते हैं जो सूचना उत्पन्न करने में सहायता करते हैं। सूचना सामान्य रूप से आँकड़ों या तथ्यों के एकत्रित समूह का विस्तृत स्वरूप जिसे संचारण के लिए किसी माध्यम में अंकित किया गया हो या विभिन्न रूपों में एकत्रित किए गए तथ्यों को विश्लेषित एवं संशोधित करने के पश्चात् उसका परिष्कृत अर्थपूर्ण उपयोगी स्वरूप को सूचना की संज्ञा दी जाती है ।
साधारण अर्थ में सूचना से तात्पर्य विचारों का आदान-प्रदान करने से लगाया जाता है। जब किन्हीं दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के द्वारा एक-दूसरे को ज्ञान प्रदान किया जाता है तो निश्चय ही इस ज्ञान को सूचना की संज्ञा दी जाती है ।
वर्तमान समय में इसके विविध साधन हैं जैसे—टेलीफोन, टी.वी., मोबाइल और रेडियो आदि । इसके (सूचना) द्वारा छात्रों को विशेष रूप से अधिगम प्रदान किया जा सकता है ।
सूचना के अन्तर्गत विधि, साधन एवं वातावरण आदि सम्मिलित किए जाते हैं जो अधिगम को सुगमता एवं सरलता प्रदान करते हैं। सूचनाएँ एकत्रित करने का कार्य हम विभिन्न माध्यमों से कर सकते हैं। सूचनाओं से सम्बन्धित निम्नलिखित बातें अति आवश्यक हैं—
(1) सभी स्रोतों से सूचनाएँ एकत्र करना ।
(2) सूचनाओं को सुरक्षित रखना ।
(3) समय पर उनका उपयोग करना ।
(4) सूचनाओं का विश्वसनीय एवं वैध होना ।
(5) प्रत्येक दृष्टि से एकत्रित की गई सूचनाओं का पूर्ण होना ।
Pp (6) सूचनाओं का अपने शुद्ध एवं मूलरूप में उपलब्ध होना । इस प्रकार ‘सूचना’ की परिभाषाएँ निम्न प्रकार से दी जा सकती
रोवली एवं टर्नर के अनुसार–” सूचना वह आँकड़े हैं, जो व्यक्तियों के मध्य प्रेषित हो सकें और प्रत्येक व्यक्ति उसका उपयोग कर सके।”
ई. हॉफमैन के अनुसार—”वक्तव्यों अथवा तथ्यों अथवा संख्याओं की सम्पूर्णता को सूचना कहते हैं, जो बौद्धिक तर्कपूर्ण विचारधारा अथवा किसी अन्य मानसिक कार्य पद्धति के अनुसार धारणात्मक ढंग से परस्पर सम्बद्ध होती है।”
जे. बेकर के ” अनुसार —”किसी विषय से सम्बन्धित तथ्यों को सूचना कहते हैं।
“सूचना से अभिप्राय उन आँकड़ों से है जिनका प्रयोग किसी निष्कर्ष तक पहुँचने में किया जाता है।”
“सूचना को शिक्षा या ज्ञान का एक भाग माना जाता है। “
उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से निम्न बातें स्पष्ट होती हैं—
(1) सूचना वह डाटा है जिसे व्यक्तियों या उपयोगकर्ताओं के बीच प्रेषित किया जा सके एवं प्रत्येक व्यक्ति उसका आवश्यकतानुसार समुचित उपयोग कर सके ।
(2) सूचना एवं सम्प्रेषण सामाजिक विनिमय की प्रक्रिया है जिसमें सूचना विनिमय की वस्तु होती है ।
(3) सूचना एक ऐसा आँकड़ा है जिसे पुनः प्राप्त कर पि रूप प्रदान किया जाता है।
(4) यह एक सन्देश, संकेत या उत्तेजना के रूप में हो सकती है ।
(5) सूचना एवं सम्प्रेषण में अति घनिष्ठ सम्बन्ध होता है क्योंकि एक के अभाव में दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
सूचना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—
(1) सूचना अपरिमित, वर्द्धनशील एवं अन्तर्विषयी होती है ।
सूचना को अभिलिखित और अनुवादित किया जा सकता है।
(3) सूचना मानव संसाधनों के मध्य पारस्परिक प्रभाव डालती है।
(4) सूचना वर्तमान, भूत, भविष्य में सत्यता स्थापित करने में सहायक होती है।
(5) सूचना की उपयोगिता में समयानुसार परिवर्तन सम्भव है।
(6) सूचना सम्प्रेषण में समय तत्त्व का विशेष महत्त्व होता है ।
(7) सूचना का मूल्यांकन एवं विनिमय किया जा सकता है ।
(8) सूचना लोक निष्पादन का एक आवश्यक संसाधन है।
(9) सूचना आँकड़ों का संगठित, व्यवस्थित तथा परिष्कृत रूप होती है।
(10) सूचना सारपूर्ण तथा उद्देश्यपूर्ण मानवीय मस्तिष्क उत्पाद
(11) सूचना उपयोग में नष्ट नहीं होती ।
(12) सूचना एक समुचित संरचना में होती है एवं इसे विश्लेषित किया जा सकता है।
(13) सूचना स्मरण करने, हस्तान्तरण करने एवं सम्प्रेषण करने योग्य होती है।
(14) सूचना का संचयन किया जाता है।
(15) मानव के प्रत्येक क्रियाकलाप एवं क्षेत्र में सूचनाएँ व्याप्त होती हैं ।
(16) यह व्यापारिक एवं औद्योगिक विकास का आधार होती है।
(17) सूचना में एक अद्भुत शक्ति होती है साथ ही यह आर्थिक में समृद्धि का आधार भी होती है ।
सूचना एवं ज्ञान में सम्बन्ध निम्न तालिका से स्पष्ट कर सकते हैं—
सूचना (Information )
(1) सूचनाएँ किसी तथ्य से सम्बन्धित होती हैं ।
(2) सूचना प्राप्ति की प्रक्रिया में किसी भी मानसिक परिवर्तन व मानसिक वृद्धि नहीं होती है। मस्तिष्क पहले ‘की तरह ही अपने स्थान पर रहता ) है।
(3) सूचनाओं का मानसिक दृष्टि से ज्यादा महत्त्व नहीं होता है ।
 (4) सूचना का क्षेत्र सीमित है।
(5) सूचनाओं के लिए व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक नहीं है। यह किसी व्यक्ति के द्वारा प्रदान की जा सकती है ।
(6) सूचना में मात्र आँकड़े होते हैं।
(7) सूचना की प्राप्ति के लिए प्रामाणिकता का होना आवश्यक होता है ।
ज्ञान (Knowledge)
(1) ज्ञान में विश्वास का होना भी आवश्यक होता है।
(2)परन्तु ज्ञान प्राप्ति में मानसिक परिवर्तन व ज्ञान की वृद्धि होती रहती है। जितना अधिक व्यक्ति को ज्ञान होता उतना ही अधिक उसके व्यक्तित्व का निखार होता है।
(3) ज्ञान का मानसिक दृष्टि से ज्यादा महत्त्व होता है।
(4) ज्ञान का क्षेत्र विस्तृत है।
(5) ज्ञान उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो थोड़ा बहुत साक्षर होता है।
(6)ज्ञान मात्र आँकड़े व तथ्य नहीं है।
(7)ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रामाणिकता का होना आवश्यक है।
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