स्त्रियों का अनुपात पुरुषों की तुलना में कम होने के क्या कारण हैं ?
स्त्रियों का अनुपात पुरुषों की तुलना में कम होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर – स्त्रियों का अनुपात पुरुषों की तुलना में कम होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं—
(1) समाज में जब बालक का जन्म होता है तो परिवार में खुशियाँ मनायी जाती हैं तथा उस बालक की सुरक्षा की अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार पूर्ण व्यवस्था की जाती है। बालिकाओं की देखभाल प्रायः कम होती हैं | बालिकाओं का जन्म परिवार में आर्थिक दृष्टि से भार समझा जाता है जबकि बालक को आमदनी का साधन ।
(2) लड़कियों की देखभाल प्रायः कम होने से शारीरिक दृष्टि से वे निर्बल हो जाती हैं जिसके कारण प्रसूति के समय ही उनकी मृत्यु हो जाती है या वे बीमारियों से घिरने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं।
(3) बालकों को उचित पालन-पोषण एवं बालिकाओं के उचित पालन-पोषण के अभाव में बालिकाओं की बालकों की तुलना में अधिक मृत्यु हो जाती है।
(4) भारत में बाल-विवाह प्रथा बहुत प्रचलित है। अत: छोटी आयु में मातृत्व का भार बालिकाओं द्वारा सहन न करने के कारण भी उनकी प्रसूति के समय मृत्यु हो जाती है और वे काल का ग्रास बन जाती हैं।
(5) भारत में पुरुषों की मृत्यु दर स्त्रियों की मृत्यु दर से कम है। यह एक विलक्षण स्थिति है जबकि पाश्चात्य देशों में स्त्रियों की मृत्युदर कम तथा पुरुषों की मृत्युदर अधिक है।
(6) भारत में जनसंख्या के लिंगानुपात में असन्तुलन का महत्त्वपूर्ण कारण शिक्षा का अभाव भी है। जब हम उन क्षेत्रों में जाते हैं जहाँ शिक्षा का अभाव है वहाँ पर कन्या भ्रूण हत्या की संख्या अधिक है तथा स्त्रियों के साथ अन्याय भी उन्हीं क्षेत्रों में अधिक होते हैं जहाँ समाज के लोग अशिक्षित हैं ।
(7) हमारे भारतीय समाज में दहेज की प्रथा इतनी अधिक व्यापक और प्रत्येक समाज में फैली हुई है कि विवाह के समय इतना दहेज दिया जाता है कि माता-पिता आर्थिक दृष्टि से इतने कमजोर हो जाते हैं कि बालिकाओं को वे परिवार में अभिशाप समझने लगते हैं और कन्या भ्रूण हत्या हेतु बाध्य हो जाते हैं ।
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