स्वास्थ्य के विकास में अध्यापक की भूमिका को समझाइए।

स्वास्थ्य के विकास में अध्यापक की भूमिका को समझाइए। 

उत्तर— स्वास्थ्य के विकास में अध्यापक की भूमिका — अध्यापक की भूमिका स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम से सम्बन्धित कुछ मूलभूत अवधारणाओं के गिर्द घूमती है जो निम्न प्रकार से हैं—
(1) योजना बनाना – स्कूल के सत्र आरम्भ होने से पहले शिक्षक को वर्ष भर के लिए स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम की रूपरेखा पहले से ही तैयार कर लेनी चाहिए। इसके अन्तर्गत चिकित्सा परीक्षण, स्वास्थ्य सप्ताह मनाने का कार्यक्रम, सामाजिक सेवा शिविर कार्यक्रम (NSS), अभिभावक दिवस, दैनिक व वार्षिक खेल-कूद प्रोग्राम, स्वास्थ्य से सम्बन्धित गतिविधियों का वर्ष भर का कार्यक्रम आता है, जिसे स्कूल की स्वास्थ्य व खेलकूद समिति से अनुमोदित करा लेना चाहिए, क्योंकि सावधानीपूर्वक बनाया गया प्रोग्राम शिक्षा के कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(2) चिकित्सा परीक्षण – प्रत्येक विद्यालय में छात्रों के चिकित्सा परीक्षण या जाँच का प्रावधान अवश्य होना चाहिए, क्योंकि बच्चों के उचित विकास व स्वास्थ्य की उन्नति के लिए यह जाँच अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रकार के कार्यक्रम के अन्तर्गत दो प्रकार की जाँच हो सकती है — (i) दैनिक जाँच, (ii) सामयिक चिकित्सा जाँच। पहले प्रकार की जाँच में किसी डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि अध्यापक अन्य कर्मचारी की सहायता से सम्पन्न कर लेता है जबकि दूसरी प्रकार की जाँच डॉक्टर की सहायता से सम्पन्न कराता है।
(3) शिक्षा व प्रशिक्षण – शारीरिक प्रशिक्षण के अतिरिक्त अध्यापक को छात्रों को अन्य बातों, जैसे— व्यक्तिगत स्वच्छता, मानसिक, सामाजिक व शारीरिक स्वास्थ्य, आत्म संयम तथा सामुदायिक स्वास्थ्य व अनेक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी देनी होती है । अध्यापक का उत्तरदायित्वं है कि स्वास्थ्य तथा शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से अपने छात्रों में अच्छी आदतों, प्रवृत्तियों और स्वस्थ जीवन की कुशलताएँ विकसित करें।
(4) सेमिनार व स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन –अध्यापक का उत्तरदायित्व है कि वह स्वास्थ्य विषय-वस्तु पर समय-समय पर विभिन्न सेमिनारों को आयोजित करे तथा छात्रों को स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दिलवाये । अध्यापक को चाहिए कि स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य सप्ताह मनाने, व्यक्तिगत स्वच्छता प्रतियोगिता छात्रों के बीच करा कर बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करे और उन्हें अपनी व्यक्तिगत तथा जटिल स्वास्थ्य समस्याएँ सन्तोषपूर्वक सुलझाने में उनका मार्गदर्शन करे।
(5) पर्यवेक्षण – अध्यापक को शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम व्यायाम, खेलकूद, भ्रमण, स्काउटिंग, गर्लंगाइड आदि के पर्यवेक्षण के अतिरिक्त स्कूल के सम्पूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम–स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली जीवन, स्वास्थ्य सेवाएँ तथा स्वास्थ्य शिक्षण व निर्देशन कार्यक्रम की सफलता का उत्तरदायित्व भी उसी पर होता है।
(6) विद्यार्थियों के स्वास्थ्य निरीक्षण का रिकॉर्ड रखना –  विद्यालय में सभी छात्रों का (स्वास्थ्य संबंधी) संचयी रिकॉर्ड रखना भी अध्यापक की जिम्मेदारी है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थी की चिकित्सा जाँच व स्वास्थ्य निरीक्षण का रजिस्टर में ब्योरा रखना होता है जिसमें बच्चे का भार, कद, छाती का माप, शक्ति, आँख की दृष्टि सहित पूरी चिकित्सा जाँच की रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त उसके परिवार का स्वास्थ्य वृत्त, स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी कमी के लक्षण, उपस्थिति रिकॉर्ड और सभी प्रकार की मनोवैज्ञानिक परीक्षाओं के परिणाम भी इसमें दर्ज होना चाहिए। इस रिकॉर्ड की सहायता से अध्यापक ऐसे बच्चों का पता लगा सकता है जिनकी उचित वृद्धि व विकास नहीं हो रहा है। इसी आधार पर बच्चों को चिकित्सक के पास भेजा जाता है । कराना
(7) स्वास्थ्यप्रद जीवन के मूलभूत तत्त्वों से परिचित कराना –  स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम में अध्यापक का यह उत्तरदायित्व बनता है कि वह बच्चों को स्वास्थ्यप्रद जीवन जीने के लिए उन्हें स्वास्थ्य से सम्बन्धित मूलभूत तत्त्वों की जानकारी दे । उसका कर्त्तव्य है कि वह बच्चों में ऐसे दृष्टिकोण व अभिरुचियों का विकास करे जो छात्रों में स्वस्थ व्यवहार से सम्बन्धित आदतों का निर्माण कर सकें ।
(8) पोषण पर विशेष ध्यान – छात्रों के पोषण पर भी विशेष ध्यान देना स्वास्थ्य शिक्षा अध्यापक का दायित्व है। बच्चों की वृद्धि व विकास में पौष्टिकता की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा स्कूलों में छात्रों को दोपहर का भोजन (Mid-day meal) योजना भी लागू की हुई है जिसमें खाद्य सामग्री में पौष्टिकता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी प्रकार बच्चों को भोजन के आवश्यक तत्त्वों की जानकारी देकर उन्हें संतुलित भोजन (Balanced Diet) के महत्त्व का ज्ञान कराना भी स्वास्थ्य शिक्षक का उत्तरदायित्व है।
(9) संक्रामक रोगों की रोकथाम व नियन्त्रण – स्कूल के सभी छात्रों के लिए अग्रिम रोग निरोधक टीकाकरण के कार्यक्रम का आयोजन करना भी स्वास्थ्य शिक्षा अध्यापक की भूमिका का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वह इस बारे में स्कूल के चिकित्सा अधिकारी की सहायता से उचित योजना तैयार करता है, उसका संचालन करता है, अभिभावकों को स्कूल की योजना व स्वास्थ्य नीति से परिचित कराता है। संक्रामक रोगों से बचाव व उचित नियन्त्रण के लिए स्कूलों तथा घरों के वातावरण को साफ एवं स्वच्छ रखने व टीकाकरण के महत्व का ज्ञान काफी महत्त्वपूर्ण व प्रभावशाली है।
(10) मार्गदर्शन करना – अध्यापक का हर क्षेत्र में छात्रों को मार्गदर्शन करने का दायित्व भी बनता है। छात्रों को नशीली औषधियों की लत (Drug addiction) के विषय में जानकारी देकर स्वास्थ्य से सम्बन्धित उनके उपयोग के आर्थिक एवं सामाजिक प्रभावों का ज्ञान देकर उनका उचित मार्गदर्शन करना होता है।
(11) समन्वय लेना व सहायता देना – विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता स्कूल के दूसरे अध्यापकों, स्कूल के चिकित्सक, अभिभावकों, स्थानीय तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारियों एवं सार्वजनिक तथा स्वैच्छिक स्वास्थ्य संस्थाओं की सहायता व सहयोग पर निर्भर करती है। अतः शारीरिक शिक्षा अध्यापक का यह कर्त्तव्य बनता है कि वह इन सभी संस्थाओं से समन्वय स्थापित करे जिससे वह बीमारी या चोट आदि के पश्चात् स्कूल लौटने वाले बच्चों के पुनः समायोजन में सहायता कर सके ।
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