विद्यार्थी में सकारात्मक सोच के विकास में शिक्षक की क्या भूमिका होती है ?

विद्यार्थी में सकारात्मक सोच के विकास में शिक्षक की क्या भूमिका होती है ?

उत्तर–विद्यार्थी में सकारात्मक सोच के विकास में शिक्षक की भूमिका–एक अध्यापक अपने विद्यार्थी के सकारात्मक सोच को बनाने के लिए निम्न आदतों का विकास करने के लिए प्रेरित कर सकता है :
(1)अपने लक्ष्य प्राप्ति में चुनौतियों का सामना साहस पूर्वक करने के लिए प्रेरित करना ।
(2) स्वयं के जीवन का वर्णन सकारात्मक शब्दों में करवाना।
(3) नकारात्मक या प्रश्नवाचक शब्दों को सकारात्मक शब्दों से पूर्ण करवाना यथा पानी का गिलास आधा खाली है इसके स्थान पर पानी का गिलास आधा भरा है यह बताना।
(4) स्वयं की सांसों पर नियंत्रण करना सीखना क्योंकि हमारी सांसें हमारी भावनाओं के अनुसार बदल जाती हैं।
(5)किसी भी समस्या के साथ उसके समाधान को खोजने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(6) अन्य की खुशी में अपनी खुशी मानना सीखना।
(7) सच्ची बातों को मानने के लिए प्रेरित करना ।
(8) छात्र में सकारात्मक दृष्टि का विकास करना जो आज तक अच्छा हुआ है, हो रहा है और होने के क्रम में है यह भाव विकसित करना ।
शिक्षा सकारात्मक दृष्टि का विकास करती है। शिक्षा के द्वारा ही बालक में समीक्षा करने की सकारात्मक दृष्टि का विकास होता है। सकारात्मक सोच ही कार्यक्षमता में वृद्धि करती है तथा नकारात्मकता को दूर करती है। शिक्षा के साथ सकारात्मक दृष्टि का योग ही निजी एवं राष्ट्रीय स्थितियों को ग्राह्य बनाती है तथा बेहतर के लिए प्रयत्नशील भी बनाती है। इस सकारात्मक सोच के साथ नैतिक मूल्यों का समावेश निश्चित रूप से अच्छे परिणाम को जन्म देने वाला सिद्ध होता है।
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