पूर्वाग्रह निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
पूर्वाग्रह निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-पूर्वाग्रह निर्माण के लिए उत्तरदायी कारक–पूर्वाग्रह निर्माण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं–
पूर्वाग्रह निर्माण के ऐतिहासिक कारक–ऐतिहासिक कारक में पूर्वाग्रह के कारण बहुत पहले से चली आ रही विशेष प्रकार की मनोवृत्तियाँ होती हैं। इस प्रकार की मनोवृत्तियों का कारण मनुष्यों के परस्पर बिगड़ते सम्बन्ध, आर्थिक संघर्ष, अन्याय, अत्याचार के अनुभव आदि होते हैं। ये धीरे-धीरे पूर्वाग्रह का आकार ले लेते हैं; जैसे- यौन पूर्वाग्रह जिसमें नारी को अबला, पति पर निर्भर रहने वाली, समझा जाता है। इसका कारण सदियों से महिलाएँ पुरुष के अत्याचारों को सहती आ रही हैं और उसे सहना उसने अपना धर्म समझा है क्योंकि हमारे यहाँ कहा गया है कि पति देवता है, पत्नी को पतिव्रत धर्म का पालन करना चाहिए। इसके साथ हमारे व्यवसायों का भी ऐतिहासीकरण हो गया है। हमने यह विभाजन कर लिया है कि कौनसा व्यवसाय पुरुषों के लिए अच्छा है तथा कौनसा स्त्रियों के। जैसे-ट्रक, बस, रेल, ड्राइवर का पेशा महिलाओं के लिए ठीक नहीं समझा जाता है। यदि कोई महिला परिस्थितिवश यह कार्य करती है तो उसे हेय की दृष्टि से देखा जाता है क्योंकि समाज के लोग पूर्वाग्रहित होते हैं।
इसी प्रकार अमेरिका के गोरी जाति नीनो अमेरिकन के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रहित होते हैं इसके पीछे ऐतिहासिक कारक है। जिनमें नीग्रो की दासता का इतिहास आदि प्रधान है। भारत में अनुसूचित जातियों के प्रति सामान्य वर्ग की नकारात्मक मनोवृत्ति पायी जाती है जिसका कारण ऐतिहासिक कारक ही है। सम्भव है कि पूर्व में ये अनुसूचित जातियाँ अत्यधिक असहाय थीं तथा पूरी तरह सामान्य वर्ग पर निर्भर है परन्तु जब वह अपने पैरों पर खड़ी होने लगी हो तथा उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार है तो सामान्य वर्ग उन्हें नकारात्मक दृष्टिकोण से देखने लगा है।
पूर्वाग्रह निर्माण के सामाजिक- सांस्कृतिक कारक –पूर्वाग्रह निर्माण के सामाजिक-सांस्कृतिक कारक निम्नलिखित हैं–
( 1 ) शिक्षा – शिक्षा का प्रभाव पूर्वाग्रह पर बहुत अधिक पड़ता है। बालक समाज में रहकर दो प्रकार से शिक्षा ग्रहण करता है(1) अनौपचारिक, (2) औपचारिक । अनौपचारिक शिक्षा उसे अपने परिवार में माता-पिता तथा अन्य सदस्यों से प्राप्त होती है। जब बालक बड़ा होता है तो माता-पिता उसे समझाते हैं कि उसे किसके साथ खेलना चाहिए एवं किसके साथ नहीं खेलना चाहिए। किस समूह के साथ उठना बैठना चाहिए किसके साथ नहीं। परन्तु जब वह विद्यालय में जाता है तो वहाँ औपचारिक शिक्षा ग्रहण करता है वहाँ उसे सोचने-समझने की शक्ति मिलती है तो ऐसे पूर्वाग्रह में कमी आती है।
( 2 ) रीति-रिवाज–पूर्वाग्रह का निर्माण रीति-रिवाजों, परम्पराओं, जीवन के अन्य ढंगों के कारण भी हो जाता है। हिन्दुओं और मुसलमानों के रीतिरिवाज भिन्न होते हैं। इसी विभिन्नता के कारण बालक उनके प्रति अधिक पूर्वाग्रही हो जाता है।
( 3 ) सामाजिक वर्ग – पूर्वाग्रह पर सामाजिक वर्ग का भी प्रभाव पड़ता है। समाज में मुख्यत: तीन वर्ग पाये जाते हैं : (1) उच्च सामाजिक वर्ग, (2) मध्यम सामाजिक वर्ग, (3) निम्न सामाजिक वर्ग। अध्ययनों से मालूम हुआ है कि उच्चवर्गीय गोरे अमेरिकन, यहूदी के प्रति ज्यादा पूर्वाग्रही होते हैं। यही स्थिति भारत में है भारतीय उच्च एवं मध्य वर्गीय स्तर के लोग निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के लोगों के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रही होते हैं।
(4) मास मीडिया – पूर्वाग्रह के निर्माण में सिनेमा, टेलीविजन, समाचार पत्र, रेडियो, पत्रिकाओं की बहुत भूमिका होती है। उदाहरणार्थटेलीविजन पर आज भी नारी को पुरुषों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। उसकी छवि को नकारात्मक ढंग से दिखाया जाता है फलस्वरूप पुरुषों की नारी के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति बन गयी है।
( 5 ) नगरीकरण—नगरीकरण का प्रभाव भी पूर्वाग्रह पर पड़ता है। आज देश-विदेशों में नगरीकरण की समस्या उत्पन्न हो रही है। नगरों में गन्दगी, कोलाहल, असुरक्षा, अनैतिक सम्बन्धों की संख्या बढ़ती जा रही है। अध्ययनों द्वारा ज्ञात हुआ कि अमेरिका में शहरीकरण की समस्या का कारण अधिकांश लीग नीग्रो तथा यहूदियों का छा जाना मानते हैं। अत: उनके मन में नीग्रो एवं यहूदियों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति पायी जाती है। भारत में भी नगरीकरण की समस्या उत्पन्न हो रही है कई ग्रामीण क्षेत्र के वासी शहरों में बसते जा रहे हैं जिससे रोजगार की समस्या उत्पन्न हो रही है अत: ग्रामीणवासियों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति रखते हैं।
( 6 ) जाति-भारतीय समाज अनेक जातियों में बँटा है। अध्ययनों से अवगत हुआ है कि उच्च जाति के लोग अन्य पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रति पूर्वाग्रही होते हैं। यह भी पाया गया है कि उच्च वर्ग के लोगों में निम्न वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है। हिन्दुओं, ब्राह्मणों में जातिपूर्वाग्रह की मात्रा सबसे अधिक होती है।
(7) सामाजिक संघर्ष-जब एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र के साथ सामाजिक संघर्ष उत्पन्न होता है तो उस राष्ट्र के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति उत्पन्न हो जाती है जिससे पूर्वाग्रह का जन्म होता है। जब तक चीन देश के प्रति हमारे सामाजिक संघर्ष पैदा नहीं हुए थे तब तक हम चीनियों को ईमानदार, दोस्त, प्रगतिशील के रूप में देखते थे। लेकिन भारत चीन सीमा पर बढ़ते विवाद के कारण उन्हें साम्राज्यवादी, पिम्पौम (Pimpom) गेन्द, धोखेबाज, चालाक, धूर्त्त आदि के रूप में देखते हैं अर्थात् उनके प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह विकसित हो गया है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा, नागासाकी दो शहरों पर बम डाल दिया था जिसे आज भी जापानी नहीं भुला पाए हैं। उनके प्रति पूर्वाग्रह वर्तमान में भी विश्व खेलों में देखा जा सकता है।
( 8 ) शहरी ग्रामीण क्षेत्र–कई अध्ययनों में पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों की अपेक्षाकृत शहरी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की मनोवृत्ति अधिक उदार होती है। जैसे—हिन्दुओं के प्रति, ग्रामीण ईसाई, शहरी ईसाइयों के प्रति अधिक पूर्वाग्रहित होते हैं।
( 9 ) धार्मिक समूह-व्यक्ति जिस धर्म को मानता है उसी धर्म के प्रति वह अटूट आस्था रखता है। वह सहर्ष उस धर्म के आचार विचार, नीतियों, मान्यताओं, विश्वासों एवं अविश्वासों को स्वीकार कर लेता है। जिससे उसका अन्य धर्मावलम्बियों के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह स्थापित हो जाता है। अमेरिकी मनोवैज्ञानिकों ने अध्ययन द्वारा पाया कि कैथोलिक धर्म मानने वालों में सबसे ज्यादा पूर्वाग्रह, उससे कम प्रोटेस्टैन्ट धर्म मानने वाले व्यक्तियों में तथा सबसे कम यहूदियों में पाया जाता है।
पूर्वाग्रह निर्माण के परिस्थितिजन्य कारक—इसमें वे पूर्वाग्रह सम्मिलित हैं जो तात्कालिक वातावरण से सम्बन्धित होते हैं। ये ती । प्रकार से पूर्वाग्रह का निर्माण करते हैं—
( 1 ) सामाजिक अधिगम-बालक समाजीकरण के दौरान अपने माता-पिता, भाई-बहनों तथा पड़ोसियों से दूसरे व्यक्तियों या समूहों के प्रति उचित व्यवहार करना, उन पर विश्वास करना आदि सीखता है। इस समय जैसी शिक्षा उनसे मिलती है वैसी ही मनोवृत्ति विकसित होती है। यदि माता-पिता हिन्दी धर्मी है तो यह मनोवृत्ति बालक में विद्यमान होती। है। अध्ययनों द्वारा यह मालूम हुआ है कि माता-पिता एवं बालक के पूर्वाग्रह में बहुत समानता होती है। यदि माता-पिता किसी जाति या धर्म से विद्वेष, घृणा आदि नकारात्मक पूर्वाग्रह रखते हैं तो यह पूर्वाग्रह ! बालक में भी अवश्य होगा।
( 2 ) जनसांख्यिकी विशेषताएँ—जनसांख्यिकी विशेषताओं से, आशय भौगोलिक क्षेत्र, शैक्षिक स्तर तथा उम्र आदि से है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि भौगोलिक क्षेत्र, शैक्षिक स्तर, आयु भी पूर्वाग्रह के निर्माण में सहायक है। मेकोविच ने अध्ययन में पाया कि अमेरिका के उत्तरी क्षेत्र के लोगों की अपेक्षा दक्षिण क्षेत्र के लोगों में नीग्रो के प्रति ज्यादा पूर्वाग्रह पाया गया। इसी तरह पढ़े लिखे व्यक्ति की अपेक्षा कम पढ़े लिखे व्यक्ति में पूर्वाग्रह ज्यादा पाया जाता है। कम उम्र के व्यक्तियों की अपेक्षा ज्यादा आयु के व्यक्तियों में किसी जाति या धर्म के प्रति पूर्वाग्रह ज्यादा पाया जा सकता है।
( 3 ) नौकरी में प्रतियोगिता–वर्तमान प्रत्येक व्यक्ति रोजगार प्राप्त करना चाहता है। जिससे रोजगार प्राप्ति हेतु कठिन प्रतियोगिताएँ हो गयी हैं। उच्च वर्ग के व्यक्ति धनाढ्य होने के कारण अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करवाने में अपने बालकों की सहायता करते हैं लेकिन निम्न वर्ग के व्यक्ति इन लाभों से वंचित रह जाते हैं। फलस्वरूप सरकार ने आरक्षण की व्यवस्था कर रखी है जिसके तहत निम्न वर्ग के व्यक्ति भी रोजगार प्राप्त कर सकें। परिणामस्वरूप उच्च वर्ग समूह ऐसा सोचता है कि हमारे अधिकार छीन रहे हैं फलत: वह आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वालों के प्रति पूर्वाग्रही हो रहे हैं।
पूर्वाग्रह निर्माण के मनोवैज्ञानिक कारक—पूर्वाग्रह के निर्माण में कुछ मनोवैज्ञानिक तत्व भी सम्मिलित होते हैं इनका उल्लेख निम्न 11 प्रकार हैं—-
(1) कुण्ठा एवं आक्रामकता– कुण्ठा से भी पूर्वाग्रह की उत्पत्ति होती है। इसका आधार आक्रामकता है। जब व्यक्ति कोई लक्ष्य रखता है लेकिन वंह बाधाओं के कारण उस लक्ष्य पर नहीं पहुँच पाता है तो उसमें कुण्ठा उत्पन्न हो जाती है। जिससे वह आक्रामक हो जाता है एवं वह अपनी आक्रामकता और बैर-भाव को एक कमजोर स्रोत की ओर विस्थापित कर लेता है अर्थात् उसके प्रति अधिक पूर्वाग्रही बन जाता है। उदाहरण के लिए-कुण्ठा के कारण ही आज सामान्यवर्ग आरक्षित वर्ग अधिक पूर्वाग्रही है। कुण्ठा के कारण ही बालक सड़क के बल्ब तोड़ देता है, कारों के कांच तोड़ देता है। इस तरह उसकी यह मनोवृत्ति पूर्वाग्रह को जन्म देती है।
( 2 ) असुरक्षा और चिन्ता – व्यक्ति में पूर्वाग्रह असुरक्षा एवं चिन्ता की भावना से भी विकसित होती है। असुरक्षा की भावना एवं चिन्ता की भावना उस व्यक्ति में ज्यादा होती है जो बेरोजगार होता हैं या जिसका सामाजिक-आर्थिक स्तर निम्न होता है अथवा जिसे पारिवारिक प्रेम नहीं मिल पाता है। ऐसे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों या अन्य समूहों के प्रति अस्पष्ट विचार विकसित कर लेते हैं जिसके फलस्वरूप उनमें पूर्वाग्रह जन्म लेता है उदाहरण के लिए अध्ययन में पाया गया कि एकाकी जीवन असुरक्षा तथा चिन्ता उत्पन्न करता है जिससे पूर्वाग्रह की प्रवृत्ति जन्म लेती है।
(3) अधिकारवादी व्यक्तित्व —–अधिकारवादी शील गुण वाले व्यक्तियों में (जैसे–दृढ़ता, आत्मविश्वास, दण्डात्मकता, सकारात्मकता गुण वाले) कमजोर शील गुण वालों के प्रति पूर्वाग्रह ज्यादा होता है। जिन अधिकारवादी व्यक्तियों को बचपन में कठोर अनुशासन में रहने का प्रशिक्षण मिला हो तो वह अपने माता-पिता से खुश नहीं रहते हैं लेकिन वह अपना बैर भाव माता पिता से नहीं करके बाह्य समूहों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति दिखाकर करते हैं जिसके फलस्वरूप नकारात्मक पूर्वाग्रह का निर्माण होता है। विशेषकर उनका पूर्वाग्रह वृद्धों पर ज्यादा होता है। उदाहरण के लिए एक बालक को अपने माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता था जिससे वह उस बालक की अपेक्षा अकारण अधिक पिटता था जिसके माता-पिता उसे बहुत प्यार करते थे ।
(4) सामाजिक मापदण्ड–पूर्वधारणाओं के विकास में अनेक सामाजिक मापदण्ड बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिएदक्षिणी अफ्रीका के गोरे लोग काली जाति के लोगों के प्रति बहुत अधिक प्रतिकूल भावना रखते हैं जबकि फ्रांस के स्केण्डिनेविया, रूस के निवासी बहुत कम ऐसी मनोवृत्ति रखते हैं। इस तरह विभिन्न राष्ट्र के निवासी रंग भेद के प्रति विभिन्न मात्रा में पूर्वधारणा रखते हैं। हमारे देश में भी यही स्थिति है जहाँ प्रत्येक जाति के लोग एक दूसरे से मिलते जुलते रहते हैं उनमें अपने से भिन्न समूह या जातियों के प्रति अधिक पूर्वाग्रह नहीं पाया जाता है।
(5) विभेद – पूर्वाग्रह का निर्माण बाल्यकाल से ही हो जाता है। बाल्यकाल में बालक बिना किसी प्रकार का भेदभाव रखकर खेलते हैं। वह जिसके साथ खेलते हैं वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा बोलने वाला हो सकता है परन्तु जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे उनमें विभेद की भावना बढ़ती है फलस्वरूप वह दूसरे समूह के बालकों से अपने को अलग रखने लगता है।
( 6 ) शारीरिक विशेषताएँ– विभिन्न जाति समूहों या राष्ट्र समूहों इत्यादि में कुछ शारीरिक विशेषताएँ होती हैं जिसके परिणामस्वरूप पूर्वाग्रह का निर्माण हो जाता है। जैसे किसी व्यक्ति को हम देखकर कह सकते हैं कि अमुक व्यक्ति मुसलमान लगता है या सिक्ख लगता है। रंग रूप के साथ-साथ कुछ सांस्कृतिक अन्तर भी है जो विभिन्नता को स्पष्ट करते हैं; जैसे— हिन्दू, मुसलमानों, ईसाइयों या सिक्खों की वेशभूषा में अन्तर होता है। इसी तरह सिर पर तिलक देखकर कह सकते हैं कि वह हिन्दू है। इसी प्रकार साड़ी पहने स्त्री को देखकर कह सकते हैं कि वह हिन्दू नारी है। सलवार कुर्ता पहने स्त्री को देखकर कह सकते हैं कि यह मुसलमान या सिक्ख है। बालक इस अन्तर को बचपन से देखते हैं अतः अपने समूह तथा दूसरे समूह में विभेद करना सीख लेते हैं। इस तरह उनका पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
( 7 ) असामान्य व्यक्तित्व–असामान्य व्यक्तित्व से अभिप्राय मानसिक रोगग्रस्त व्यक्ति । मानसिक रूप से जो व्यक्ति रोगी होता है, वह असामाजिक तथा हिंसक व्यवहार पूर्वाग्रह के आधार पर करने लगता है।
( 8 ) विफलता – कभी-कभी विफलता की भावना भी पूर्वधारणाओं को विकसित कर लेती है; जैसे—किसी गांव में किसान निर्धन हैं एवं बनिए धनवान हैं। फलस्वरूप वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। फलतः उनमें विफलता का भाव बढ़ जाता है और वे बनिए के प्रति अधिक पूर्वाग्रही हो जाते हैं तथा डाकू बनकर लूटमार प्रारम्भ कर देते हैं।
( 9 ) आत्मसम्मान–पूर्वाग्रह के निर्माण में आत्मसम्मान की भावना भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। व्यक्ति को आत्मसम्मान सबसे ज्यादा प्यारा होता है। फलतः वह अपने को दूसरों से ऊंचा प्रदर्शित करना चाहता है। जब वह ऐसा नहीं कर पाता है तो पूर्वाग्रह निर्मित कर लेता है। जैसे— उच्चवर्ग के लोग निम्नवर्ग के व्यक्तियों से अपने को श्रेष्ठ समझते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक प्रतिष्ठा चाहता है फलस्वरूप वह समाज के आदर्शों, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, अंधविश्वासों इत्यादि को अपना लेता है।
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