रूढ़िवादिता से आप क्या समझते हैं ? जेण्डर विकास में रूढ़िवादिता किस प्रकार बाधक है ? स्पष्ट कीजिए।
रूढ़िवादिता से आप क्या समझते हैं ? जेण्डर विकास में रूढ़िवादिता किस प्रकार बाधक है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – रूढ़िवादिता (Stereotpyes) इसके लिए निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 5 का उत्तर देखें। जेण्डर विकास में रूढ़िवादिता बाधक–भारत के प्रत्येक समाज में प्राचीन पीढ़ियों से चली आ रही कुछ ऐसी परम्पराएँ हैं जिनका हमारे दैनिक जीवन से सम्बन्ध है। ये परम्पराएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तथा बाद में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती जाती है। बुजुर्गों ने तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार उस समय परिवारों में ऐसी परम्पराएँ विकसित कर ली जो वर्तमान परिस्थितियों में प्रगति में बाधक है। जैसे–पर्दा प्रथा एक रूढ़ि है जिसका प्रभाव भारत में स्थित अन्य समाजों पर भी गहरा पड़ा है।
पर्दा प्रथा के कारण महिलाएँ घर से बाहर नहीं निकलती है। बालिकाओं को इसी रूढ़ि के कारण स्कूलों में पढ़ने नहीं भेजते थे। महिलाओं की शिक्षा जरूरी नहीं है क्योंकि यह तो पराया धन है। ऐसी मान्यता से आज भी आदिवासी क्षेत्रों में तथा श्रमिक वर्गों में बच्चियों को माता-पिता स्कूल नहीं भेजते हैं।
धनार्जन का काम पुरुषों के अधिकार में है। ऐसी रूढ़ि से महिलाएँ पराश्रित यानि परिवार के पुरुषों पर ही आश्रित रहने लगी। इससे उनका जीवन दुखी हो गया । धार्मिक क्षेत्र में भी रूढ़ियाँ या अन्धविश्वास है। पति परमेश्वर की धारणा ने विधवाओं के जीवन को अत्यधिक कष्टमय बना दिया है। पति की मृत्यु के बाद वह दूसरा विवाह नहीं कर सकती, दूसरी ओर परिवार वाले उसे पारिवारिक सम्पत्ति से भी वंचित कर देते हैं। दहेज प्रथा, बाल विवाह ये रूढ़ियाँ हैं। इनसे जेण्डर (बालिका) शिक्षा व जेण्डर के सर्वोत्तम विकास में बाधाएँ उत्पन्न होती है। रूढ़िवादिता समाप्त होनी चाहिए।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here