लैंगिक समानता का क्या अर्थ है ? स्पष्ट कीजिए |
लैंगिक समानता का क्या अर्थ है ? स्पष्ट कीजिए |
अथवा
लिंगीय समानता हेतु वैधानिक प्रावधन लिखें।
उत्तर – लैंगिक समानता का अर्थ— लैंगिक समानता का अर्थ यह है कि लिंग के आधार पर असमानता का अभाव । व्यापक अर्थ में लैंगिक समानता एक समाजशास्त्रीय अवधारणा है जो लिंग के आधार पर
सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक क्षेत्रों में समानता स्थापित करने की बात करता है। लैंगिक समानता विशेषकर अवसरों की समानता से सम्बन्धित हैं जो बिना लैंगिक भेदभाव के विकास करने का अवसर देता है। लैंगिक समानता विशेषकर महिलाओं एवं लड़कियों को समान अवसर देता है। लैंगिक समानता विशेषकर महिलाओं एवं लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने से है ताकि उन्हें परम्परागत सोच पर आधारित सामाजिक, शैक्षिक असमानता के दायरे से बाहर लाकर उनको समुचित विकास का अवसर प्रदान किया जा सके। मेरी वोल स्टोन क्राफ्ट ने लैंगिक समानता का महत्त्व बताते हुए लिखा है कि “मैं यह नहीं कहती कि पुरुष के बदले अब स्त्री का वर्चस्व पुरुष पर स्थापित होना चाहिए। जरूरत तो इस बात की है कि स्त्री को स्वयं अपने बारे में सोचने-विचारने और निर्णय का अधिकार मिले। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है जिससे उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाता है और उन्हें बच्चे पालने तथा घर का काम करने जैसे कामों में लगा दिया जाता है। उनका कार्य क्षेत्र व्यक्तिगत सीमाओं में बंधकर रह जाता है। “
लैंगिक समानता एक ऐसी अवधारणा है जो इस बात पर बल देता है कि स्त्रियाँ स्त्री-पुरुष लिंग भेद-भाव के बिना अपना समुचित विकास कर सकें। लैंगिक समानता एक आधुनिक विचारधारा है, जो परम्परागत पितृवाद सामाजिक सोच के विपरीत सभी को समान अवसर देने की वकालत करता है । लैंगिक समानता के अर्थ से सम्बन्धित निम्नलिखितं निष्कर्ष निकाला जा सकता है—
(1) लैंगिक समानता, मानव अधिकार है जो किसी को भी इन्सान के रूप में पैदा होने के कारण स्वाभाविक रूप से मिलना चाहिए।
(2) लैंगिक समानता समान व्यवहार से सम्बन्धित प्रत्यय है जो लिंग के आधार पर भेदभाव के विपरीत प्रत्यय है।
(3) लैंगिक समानता, समान परिस्थितियों को उत्पन्न करने से सम्बन्धित है जो लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है।
(4) लैंगिक समानता उस अतार्किक भेदभाव की एक प्रतिक्रिया है जो महिलाओं के शोषण का प्रमुख आधार था ।
(5) भारत की सामाजिक संरचना के सन्दर्भ में बालिका से सम्बन्धित शिक्षा एवं उनका विकास एक महत्त्वपूर्ण एवं आधारभूत अध्ययन का पहलू है। बालिकाओं को शिक्षा के ही माध्यम से सामाजिक संरचना में महत्त्व प्रदान हो सकता
(6) लैंगिक समानता से अभिप्राय लड़के-लड़कियों, पुरुष और महिलाओं के समान अधिकार, उत्तरदायित्व और अवसर से होता है अर्थात् पुरुष एवं महिला लिंग को सभी प्रकार के उन अवसरों में समानता दी जानी चाहिए जो उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक विकास के लिए अधिकार के रूप में दिए जा रहे हैं।
(7) लैंगिक समानता व्यक्ति केन्द्रित संविकास के लिए पूर्व आवश्यकता है अर्थात् कोई भी व्यक्ति अपना विकास बिना किसी क्षति के तभी कर सकता है जब उसे लैंगिक समानता दी जाए। लैंगिक समानता के साथ ही दोनों ही लिंगों को अपना-अपना विकास करने का अवसर प्राप्त हो सकता हैं।
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