स्व – आंकलन तथा सामूहिक आंकलन का महत्त्व समझाइये ।

स्व – आंकलन तथा सामूहिक आंकलन का महत्त्व समझाइये ।

उत्तर – स्व – आंकलन का महत्त्व — स्व-आंकलन का महत्त्व निम्न है—
(i) इसके माध्यम से शिक्षक एवं छात्रों में अधिगम के प्रति भागीदारी एवं उत्तरदायित्वों को प्रोत्साहित किया जाता  है |
(ii) यह छात्रों/शिक्षक को समूह कार्य की प्रक्रिया में अपनी भूमिका एवं योगदान को प्रतिबिम्बित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
(iii) यह छात्रों एवं शिक्षकों में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करने में सहायक होता है।
(iv) यह शिक्षकों को उनकी कमजोरियों एवं सामर्थ्य को पहचानने में उनकी सहायता प्रदान करता है।
(v) इसमें कोई बाह्य (साथी समूह) आदि दबाव नहीं होता है।
(vi) स्व- आंकलन पूर्व के प्रदर्शन को समझने और भविष्य के लक्ष्यों को निर्धारित करने में सहायता प्रदान करता है।
(vii) यह शिक्षक को अपनी शिक्षण योजनाएँ एवं उनमें करने में सहायक होता है।
सामूहिक आंकलन का महत्त्व – सामूहिक आंकलन का महत्त्व निम्न है—
(i) छात्र की भागीदारी और जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करता है।
(ii) समूह प्रक्रिया में उनकी भूमिका व योगदान का प्रतिबिम्बित करने के लिए प्रोत्साहित करना ।
(iii) निर्णायक कौशल का विकास करना।
(iv) प्रक्रिया के स्वामित्व में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा देना ।
(v) दिया गया पृष्ठपोषण (Feed Back) सुसंगत होता है चूँकि वह सहकर्मियों द्वारा दिया जाता है।
(vi) यह निष्पक्ष प्रक्रिया है क्योंकि सहकर्मियों द्वारा प्रत्येक सदस्य का योगदान आंका जाता है।
(vii) छात्र जागरूक रहते हैं क्योंकि उनके योगदान की ग्रेडिंग उनके सहकर्मी करते हैं।
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