विकृत वितरण या विषमता को परिभाषित कीजिए । यह कितने प्रकार की होती है ?

विकृत वितरण या विषमता को परिभाषित कीजिए । यह कितने प्रकार की होती है ?

उत्तर — विकृत वितरण या विषमता (Skewed Distribution Skewness)—विचलन द्वारा एक केन्द्र बिन्दु के आस-पास फैलाव की मात्रा का माप किया जाता है तथा माध्य किसी भी श्रृंखला का विशेष प्रतिनिधित्व करता है। इनके अतिरिक्त एक और तकनीक है जो कि वितरण के आकार को मापती हैं। इसे विकृत वितरण या विषमता कहते हैं ।
विकृत वितरण वह वितरण है जिसमें मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक अलग-अलग बिन्दुओं पर होते हैं तथा प्राप्तांक के बीच में एकत्र न होकर वक्र के बाई या दाई ओर एकत्र होते हैं ।
विकृत वितरण का तात्पर्य वितरण की असममितता से है जो कि नीति निर्धारकों के निर्णय की प्रक्रिया का आवश्यक अंग है।
विषमता का अर्थ सममिति का अभाव (Lack of Symmetry ) होता है अर्थात् आँकड़ों का वितरण यदि सममित नहीं है तो यह असममित या विषम कहलाता है। एक वितरण सममित वितरण तब कहलाता है जब उसकी आवृत्तियाँ माध्य के दोनों ओर समान रूप से वितरित हों या दूसरे शब्दों में एक आवृत्ति वितरण सममित तब कहलाता है जब माध्य के सापेक्ष एक लम्बवत् रेखा पर वक्र को इस प्रकार से मोड़ दिया जाए कि वक्र के दोनों हिस्से एक रूप हो जाएँ परन्तु इसके विपरीत यदि किसी वितरण में माध्य से आवृत्तियाँ समान रूप से वितरित नहीं है तब वितरण असममित या विषम कहलाएगा।
सममित वितरण की आकृति घण्टाकार होती है। विषमता एक ऐसा सांख्यिकीय उपकरण है जो किसी श्रृंखला में आवृत्ति वितरण के असममितीय स्वभाव तथा उसकी सीमा को स्पष्ट करता है। एक सममित वितरण के मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक के मान समान होते हैं तथा मध्यांक से दोनों चतुर्थांक मूल्यों के अन्तर भी आपस में समान होते हैं । इस प्रकार से इसमें शून्य विषमता पाई जाती है। जैसा कि चित्र के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है :
एक विषम वितरण के मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक के मान भिन्न-भिन्न होते हैं। इसी कारण से सन्तुलन बाँई और या दाँई ओर को विवर्तित (Shift) हो जाता है।
इस बाँई और तथा दाँई ओर विवर्तन के आधार पर वितरण की विकृति या विषमता दो प्रकार की पाई जाती है—
(1) धनात्मक विकृति एवं
(2) ऋणात्मक विकृति ।
( 1 ) धनात्मक विकृति (Positive Skewness ) – किसी भी वितरण में धनात्मक विकृति तब पाई जाती है जब वितरण के मध्यमान का मान वितरण के मध्यांक तथा बहुलांक मान से अधिक होता है या हम इसकी पहचान वक्र बनाकर भी कर सकते हैं। वितरण वक्र के अनुसार, यदि वितरण वक्र का झुकाव दाई ओर होता है तो यह धनात्मक विकृति कहलाती है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
(2) ऋणात्मक विकृति (Negative Skewness) – किसी भी वितरण में ऋणात्मक विकृति तब पाई जाती है जब वितरण के बहुलांक का मान मध्यांक तथा मध्यमान से अधिक होता है या हम इसकी पहचान वितरण वक्र बनाकर भी कर सकते हैं। वितरण वक्र के अनुसार, यदि वितरण वक्र का झुकाव बाँई ओर होता है तो यह ऋणात्मक विकृति कहलाती है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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